भारत, चीन और चार अन्य देशों ने देश–दर–देश स्वचालित रिपोर्टिंग को साझा करने हेतु समझौता किया
संधि सभी हस्ताक्षर करने वाले देशों को एक दूसरे को द्विपक्षीय और स्वचालित तरीके से देश– दर –देश रिपोर्टों के आदान– प्रदान की अनुमति देता है, जैसा कि बीईपीएस कार्य योजना के एक्शन 13 में परिकल्पित है.
भारत, चीन, इस्राइल, न्यूजीलैंड, कनाडा और आईसलैंड, इन छह देशों ने बहुराष्ट्रीय उद्यमों द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए स्वचालित विनिमय हेतु बहुपक्षीय सक्षम अधिकार समझौता (Multilateral Competent Authority agreement ) किया. समझौते पर हस्ताक्षर 12 मई 2016 को बीजिंग में किया गया.
इसके साथ ही हस्ताक्षर करने वाले देशों की कुल संख्या 39 हो गया.
सम्बंधित मुख्य तथ्य -
• संधि सभी हस्ताक्षर करने वाले देशों को एक दूसरे को द्विपक्षीय और स्वचालित तरीके से देश– दर –देश रिपोर्टों के आदान– प्रदान की अनुमति देता है, जैसा कि बीईपीएस कार्य योजना के एक्शन 13 में परिकल्पित है.
• यह कर प्रशासनों को बहुराष्ट्रीय उद्यम अपना संचालन की संरचना कैसे बनाते हैं, की पूर्ण समझ प्रदान करेगा और जानकारी की गोपनीयता की रक्षा भी सुनिश्चित करता है.
• OECD/G20 BEPS परियोजना अंतरराष्ट्रीय कर रूपरेखा में सुधार के लिए 15 मुख्य कार्य निर्धारित किए हैं और यह सुनिश्चित करता है कि जहां आर्थिक गतिविधियां की गईं हैं एवं मूल्य पैदा किए गए हैं वहां लाभ की रिपोर्टिंग हो.
• विकासशील देशों में कॉरपोरेट आयकर, खासकर बहुराष्ट्रीय उद्यम (एमएनई) से मिलने वाले, पर उच्च निर्भरता के कारण बीईपीएस का बहुत महत्व है.
• हर न्यायक्षेत्र जहां वे व्यापार करते हैं, आमदनी और करों के भुगतान के वैश्विक आवंटन से संबंधित है, एमएनई समूह के भीतर अन्य संकेतकों के साथ आर्थिक गतिविधि के स्थान पर देश– दर– देश रिपोर्टिंग में एमएनई को सालाना समग्र जानकारी उपलब्ध कराने की आवश्यकता होगी,.
• कौन सी निकाय किस खास न्यायक्षेत्र में व्यापार कर रही है और प्रत्येक निकाय किन व्यापारिक गतिविधियों में शामिल है, के बारे में भी जानकारी को यह कवर करेगा.
पृष्ठभूमि-
नवंबर 2015 में G20 नेताओं ने व्यापक रेंज वाली बीईपीएस पैकेज का समर्थन किया और इसे अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली की प्रभावशीलता में सुधार के लिए ऐतिहासिक अवसर बनाया.
हस्ताक्षर किया गया पैकेज सभी ओईसीडी और G20 देशों के बीच दो वर्षों तक हुई चर्चा का नतीजा है. इस चर्चा में एक दर्जन से अधिक विकासशील देश भी थे.
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी)
ओईसीडी 34 देशों का अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संगठन है. इसकी स्थापना 1961 में आर्थिक विकास एवं विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी. इसका उद्देश्य दुनिया में रहने वाले लोगों स्वचालित व्यापार पर चर्चा के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार लाने वाली नीतियों को बढ़ावा देना है.
• ओईसीडी एक मंच प्रदान करता है जहां सरकारें एक साथ मिल कर काम कर सकती हैं और अपने अनुभव साझा कर सकती हैं एवं आम समस्याओँ का समाधान ढूंढ़ सकती है.
• आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय बदलाव अभियानों को समझने के लिए यह सरकारों के साथ मिलकर काम करता है.
• यह उत्पादकता और व्यापर एवं निवेश के वैश्विक प्रवाहों को मापता है.
• भविष्य के रूझानों की भविष्यवाणी के लिए आंकड़ों का विश्लेषण और तुलना करता है.
• यह कृषि और रसायनों की सुरक्षा के लिए कर समेत कई क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करता है.
वर्ष 1948 में ओईसीडी की उत्पत्ति यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन (ओईईसी) के तौर पर हुई थी. इसके गठन का उद्देश्य युद्ध से तबाह महाद्वीप के पुनर्निर्माण के लिए मार्शल योजना के प्रशासन में मदद करना था.
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स्विट्जरलैंड सूचना देने को तैयार, क्या भारत वापस आएगा कालाधन?
स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लिउथर्ड बुधवार से तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं. डोरिस की इस यात्रा के दौरान भारत और स्विट्जरलैंड के बीच व्यापार और निवेश संबंधों में मजबूती लाने सहित द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा हो रही है. स्विस राष्ट्रपति के साथ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और स्विट्जरलैंड की बड़ी कंपनियों का कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है.
अंकुर कुमार
- नई दिल्ली ,
- 31 अगस्त 2017,
- (अपडेटेड 31 अगस्त 2017, 3:59 PM IST)
कालेधन पर स्विट्जरलैंड भारत की मदद करने के लिए तैयार हो गया है. स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लिउथर्ड और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. स्विट्जरलैंड और हमारे देश के बीच सूचनाओं के ऑटोमेटिक एक्सचेंज पर समझौता हुआ है. इस समझौते के तहत 2019 से पहले कालेधन, विदेश में जमा पैसा और स्विट्जरलैंड में प्रॉपर्टी की खरीददारी से जुड़ी सूचनाओें की अदला बदली शुरू हो जाएगी. रेल हादसों से उबरने के लिए भी भारत स्विट्जरलैंड से मदद लेने जा रहा है.
स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लिउथर्ड बुधवार से तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं. डोरिस की इस यात्रा के दौरान भारत और स्विट्जरलैंड के बीच व्यापार और निवेश संबंधों स्वचालित व्यापार पर चर्चा में मजबूती लाने सहित द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा हो रही है. स्विस राष्ट्रपति के साथ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और स्विट्जरलैंड की बड़ी कंपनियों का कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है.
ऐसे लगेगी कालेधन पर लगाम
मोदी और डोरिस के बीच बातचीत के दौरान भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में जमा किए गए कालेधन का मुद्दा उठा. स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सूचनाओं के ऑटोमेटिक एक्सचेंज से जुड़ा बिल उनके संसद में इस साल के अंत तक पास हो जाएगा. ऐसे में 2019 से सूचनाओं का आदान प्रदान हो सकेगा.
वहीं भारत और स्विट्जरलैंड के बीच दो समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, इनमें से एक रेलवे में तकनीकी सहयोग से भी जुड़ा है. वर्तमान में हुए रेल हादसों की वजह से यह समझौता काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. स्विट्जरलैंड की रेल तकनीक को दुनिया में बेहतरीन माना जाता है.
बुधवार को राष्ट्रपति भवन में डोरिस का स्वागत किया गया. इस दौरान भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. अपने स्वागत के बाद स्विस राष्ट्रपति ने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए सुधारों से बेहद खुश हैं. स्वागत समारोह के दौरान स्विस राष्ट्रपति डोरिस ने कहा कि भारत और स्विट्जरलैंड 70 सालों से दोस्त हैं. इस दौरे से दोनों देशों के संबंधों को काफी मजबूती मिलेगी. दोनों देशों के संबंधों के बारे में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'भारत और स्विट्जरलैंड के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं. स्विट्जरलैंड भारत का 7वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और भारत के लिए 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है.'
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल जून में स्विट्जरलैंड की यात्रा की थी. इस दौरान स्विट्जरलैंड ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन किया था. इसके अलावा काले धन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर भी दोनों देश सहमत हुए थे. मोदी ने तब कहा था कि दोनों देशों के लिए काले धन जैसी बुराई से लड़ना साझी प्राथमिकता है. स्विट्जरलैंड के किसी राष्ट्रपति की यह चौथी भारत यात्रा है. स्विस राष्ट्रपतियों ने डोरिस की यात्रा से पहले 1998, 2003 और 2007 में भारत की यात्रा की है.
मेक इन इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।
'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।
'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत स्वचालित व्यापार पर चर्चा में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।
सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।
29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।
कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।
निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य
- मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
- 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
- विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
- समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
- घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
- विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना
- भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
- 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
- अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
- जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
- विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
- घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
- शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
- विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार
भारत में परेशानी मुक्त व्यापार
'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।
अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।
व्यवसाय में तालमेल के लिए नेटवर्किंग जरूरी : राजीव राय
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि आइआइएम रायपुर के परामर्श और उद्यमिता क्लब के तत्वावधान में उद्यमी सम्मेलन आकाश 11 का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में उद्यमियों और छात्रों को नेटवर्क बनाने, विचारों का आदान-प्रदान करने और समस्याओं पर चर्चा हुई। कार्यक्रम उद्यमिता से संबंधित प्रासंगिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। मौके पर 36 इं
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
आइआइएम रायपुर के परामर्श और उद्यमिता क्लब के तत्वावधान में उद्यमी सम्मेलन आकाश 11 का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में उद्यमियों और छात्रों को नेटवर्क बनाने, विचारों का आदान-प्रदान करने और समस्याओं पर चर्चा हुई। कार्यक्रम उद्यमिता से संबंधित प्रासंगिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। मौके पर 36 इंक के सीईओ राजीव राय ने कहा कि व्यवसाय में आपसी तालमेल बनाने के लिए नेटवर्किंग करना सबसे ज्यादा जरूरी है। एक व्यापारी को मधुर संबंध बनाने के लिए बहुत स्वचालित व्यापार पर चर्चा लोगों के साथ और कंपनियों से जुडना पड़ेगा। इससे बाद ही एक सफल व्यापार की कल्पना की जा सकती है। मेडिक्लिक के संस्थापक विक्रम आदित्य, प्रो-सी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक नागेश बंछूर, रियल इस्पात एंड पावर लिमिटेड के वित्तीय विश्लेषक गौरव अग्रवाल और संग्या पीआर के सह-संस्थापक गौरव शुक्ला शामिल थे। वक्ताओं ने आइआइएम रायपुर के छात्रों को उद्योग जगत की गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की।
एक विविध पैनल होने का मतलब था कि हर किसी के पास उद्यमिता पर एक अलग परिप्रेक्ष्य था पक्ष था। उन्होंने कब शुरू करना है, क्या गलत हो सकता है और उनके कुछ व्यक्तिगत अनुभव सहित विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की। वक्ताओं द्वारा ऐसे उद्यमों के वित्तपोषण से विपणन, संचालन सहित सभी विषयों पर व्यापक चर्चा की गई। छात्रों के लिए विशेष बात यह थी - अपने विचार, उत्पाद पर मजबूत दृढ़ विश्वास ही आपको एक अच्छा उद्यमी बनाता है। जब आप दृढ; विश्वास के साथ काम करते हैं, तो जुनून, प्रतिबद्घता या नवाचार स्वचालित रूप से आप के भीतर उभर जाते हैं। आपका दृढ विश्वास ही सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।
अब घाट की स्वचालित सीढ़ियों से पहुंचे बाबा दरबार: जलासेन घाट से श्रीकाशी विश्वनाथ चौक तक काम शुरू; जल्द ही मंदिर से जुडेंगे 2 और घाट
वाराणसी के जलासेन घाट से श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर तक जाने के लिए अब स्वचालित सीढ़ियां होंगी। 13 दिसंबर को श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी घाट से बाबा दरबार तक इन्हीं एक्सीलेटर सीढ़ियों के सहारे पहुंचेंगे। इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि वाराणसी के प्राचीन घाटों पर स्वचालित सीढ़ियां भक्तों की सुविधा के लिए लगाई जा रहीं हैं।
श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर में आज से ही इन स्वचालित सीढ़ियों को इंस्टाल किया जा रहा है। जल्द ही काम समाप्त हो जाएगा और अगले सप्ताह से दिव्यांग और बड़े बुजुर्ग भक्तों को गर्भगृह तक पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
घाट स्वचालित सीढ़ियां कल ही लाकर रख दी गईं थी। जलासेन घाट पर गंगा स्नान करके भक्त सीधे बाबा का दर्शन कर पाएंगे। इसके अलावा दूसरे फेज के निर्माण कार्य में वाराणसी के 2 और घाटों ललिता घाट और मणिकर्णिका घाट पर स्वचालित सीढ़ियां बनाई जाएंगी, जो कि श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचाएंगी।अंत्येष्टि करने वाले को प्रशासन के इस फैसले से अब बूढ़ों-पुरनियों और बीमारों को कोई दिक्कत नहीं आएगी।
फाइव स्टार व्यवस्था वाला गेस्ट हाउस बनकर तैयार
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर चौक के पास गैलेरी, शॉप और फाइव स्टार व्यवस्थाओं वाले गेस्ट हाउस की बाहरी दीवारों की धुलाई करके चमकाया जा रहा है। मंदिर चौक से घाट के बीच-बीच में कीमती पत्थर बिठाए जा रहे हैं। वहीं हरियाली को ठीक करने के लिए पेड़ भी लगाए जा रहे हैं। गंगा घाट की ओर बन रहे विशालकाय गेट के सामने 9 स्लोप बनाए गए हैं। यहां पर पत्थर की सीढ़ियां बनकर तैयार हैं।
चमकने लगा बाबा का स्वर्ण शिखर
काशी विश्वनाथ मंदिर में स्वर्ण शिखर की चमक अब काफी बढ़ गई है। तीसरे फेज की साफ-सफाई में कामगारों ने शिखर पर मौजूद गंदगी को पूरी तरह से साफ कर दिया है। 13 दिंसगर को लोकार्पण के बाद मंदिर परिसर में मेधा समागम शुरू होगा। यहां पर 2050 के भारत की तस्वीर दिखाई जाएगी। विश्वनाथ धाम लोकार्पण महोत्सव के अंतर्गत इस समागम में पूरे यूपी भर से 200 युवा पहुंचेंगे। इसका आयोजन पर्यटन एवं संस्कृति विभाग करा रहा है। साहित्य, कला, संस्कृति, विज्ञान, व्यापार, शिक्षा, राजनीति, खेल आदि क्षेत्रों में भारत को मजबूत बनाने पर चर्चा होगी।मं
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