विदेशी मुद्रा भंडार | वर्तमान में भारत का विदेशी कोष भंडार

विदेशी मुद्रा भंडार का उद्देश्य केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से होता है। जिसमें बांड (Bonds), ट्रेजरी बिल व अन्य सरकारी प्रतिभूतियां शामिल होती हैं। अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आरक्षित किए जाते हैं। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित संपत्तियों को शामिल किया जाता है।

  • स्वर्ण,
  • विशेष आहरण अधिकार (SDR),
  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास रिजर्व ट्रेंच,
  • विदेशी मुद्रा परिसम्पत्तियां

विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख उद्देश्य :

  1. मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन हेतु निर्मित नीतियों के प्रति समर्थन व विश्वास बनाए रखना।
  2. संकट के समय या जब उधार लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है तो संकट के समाधान के लिए विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखते हुए भारी प्रभाव को सीमित करता है।
  3. यह राष्ट्रीय या संघ मुद्रा के समर्थन में हस्तक्षेप करने की क्षमता प्रदान करता है।

विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व :

विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में हो रही बढ़ोतरी भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार तथा रिजर्व बैंक को बेहतर स्थिति प्रदान करती है। यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन संकट की स्थिति से निपटने में मदद करता है। बढ़ते भंडार ने डॉलर के मुकाबले रुपए को मजबूत करने में मदद की है। विदेशी मुद्रा भंडार बाजार में भंडार बाजारों और निवेशकों को विश्वास का एक स्तर प्रदान करता है, जिससे एक देश अपने बाहरी दायित्वों को पूरा कर सकता है।

विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB)

एक विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) एक प्रकार का परिवर्तनीय बांड है जो जारीकर्ता की घरेलू मुद्रा से अलग मुद्रा में जारी किया जाता है। दूसरे शब्दों में, जारीकर्ता कंपनी द्वारा उठाया जा रहा धन विदेशी मुद्रा के रूप में है। एक परिवर्तनीय बांड एक ऋण और इक्विटी साधन के बीच एक मिश्रण है। यह नियमित रूप से कूपन और प्रमुख भुगतान करके एक बांड की तरह काम करता है, लेकिन ये बॉन्ड धारक को स्टॉक में बॉन्ड को बदलने का विकल्प भी देते हैं।

चाबी छीन लेना

  • एक विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) एक प्रकार का बांड है जो जारीकर्ता के घर की मुद्रा के अलावा अन्य मुद्रा में जारी किया जाता है।
  • परिवर्तनीय बॉन्ड ऋण और इक्विटी वित्तीय साधनों के बीच में आते हैं, दोनों एक बॉन्ड के रूप में कार्य करते हैं लेकिन निवेशकों को बॉन्ड को स्टॉक में बदलने की अनुमति देते हैं।
  • इस प्रकार के बांडों को अक्सर दुनिया भर के कार्यालयों के साथ बड़ी, बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा सूचीबद्ध किया जाता है, जो विदेशी मुद्राओं में धन जुटाने की मांग करते हैं।

विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (FCCB) को समझना

एक बांड एक ऋण साधन है जो निवेशकों को नियमित रूप से निर्धारित ब्याज भुगतान के रूप में आय प्रदान करता है जिसे कूपन कहा जाता है । बांड की परिपक्वता तिथि पर, निवेशकों को बांड के पूर्ण मूल्य को चुकाया जाता है । कुछ कॉरपोरेट इकाइयाँ एक प्रकार के बॉन्ड जारी करती हैं जिन्हें परिवर्तनीय बॉन्ड के रूप में जाना जाता है।

परिवर्तनीय बॉन्ड वाले बॉन्डहोल्डर के पास बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी के शेयरों की एक निर्दिष्ट संख्या में परिवर्तित करने का विकल्प होता है। परिवर्तनीय बॉन्ड की रूपांतरण दर होती है, जिस पर बॉन्ड को इक्विटी में बदल दिया जाएगा। हालांकि, यदि स्टॉक मूल्य रूपांतरण मूल्य से नीचे रहता है, तो बॉन्ड को परिवर्तित नहीं किया जाएगा। इस प्रकार, परिवर्तनीय बांड बांडधारक को जारीकर्ता के अंतर्निहित शेयरों की सराहना में भाग लेने की अनुमति देते हैं। विभिन्न प्रकार के परिवर्तनीय बांड हैं, जिनमें से एक विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड है।

एक कंपनी कम ब्याज दरों या जारीकर्ता के देश की तुलना में अधिक स्थिर अर्थव्यवस्था वाले देश की मुद्रा में एफसीसीबी जारी करने का विकल्प चुन सकती है।

विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड कैसे काम करते हैं

एक विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB) एक परिवर्तनीय बॉन्ड है जो एक विदेशी मुद्रा में जारी किया जाता है, जिसका अर्थ है कि मूल चुकौती और आवधिक कूपन भुगतान एक विदेशी मुद्रा में किया जाएगा। उदाहरण के लिए, एक अमेरिकी सूचीबद्ध कंपनी जो रुपये में भारत में बांड जारी करती है, वास्तव में, एफसीसीबी जारी करती है।

विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड आमतौर पर एक वैश्विक अंतरिक्ष में काम कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं और विदेशी मुद्राओं में पूंजी जुटाते हैं। एफसीसीबी निवेशक आमतौर पर फंड आर्बिट्रेटर और विदेशी नागरिक हैं। ये बॉन्ड एक कॉल ऑप्शन (जिसमें बॉन्ड जारीकर्ता के साथ रिडेम्पशन का अधिकार निहित है) या पुट ऑप्शन (जिसमें रिडम्पशन का अधिकार बॉन्डहोल्डर के पास है) के साथ जारी किया जा सकता है।

विशेष ध्यान

एक कंपनी नए या विस्तारवादी परियोजनाओं के लिए नए बाजारों तक पहुंच प्राप्त करने के लिए अपने देश के बाहर धन जुटाने का निर्णय ले सकती है। एफसीसीबी आमतौर पर उन देशों की मुद्रा में कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं जहां ब्याज दरें आमतौर पर घरेलू देश की तुलना में कम होती हैं या विदेशी देश की अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक स्थिर होती हैं। बांड के इक्विटी पक्ष के कारण, जो मूल्य जोड़ता है, बांड पर कूपन भुगतान सीधे कूपन-असर वाले सादे वेनिला बांड की तुलना में जारीकर्ता के लिए कम होते हैं, जिससे इसकी ऋण-वित्तपोषण लागत कम हो जाती है। इसके अलावा, विनिमय दरों में एक अनुकूल कदम जारीकर्ता की ऋण की लागत को कम कर सकता है, जो कि बांडों पर किया गया ब्याज भुगतान है।

चूंकि प्रिंसिपल को परिपक्वता पर चुकाना पड़ता है, विनिमय दरों में एक प्रतिकूल आंदोलन जिसमें स्थानीय मुद्रा कमजोर होती है, जिससे पुनर्भुगतान पर नकद बहिर्वाह ब्याज दरों में किसी भी बचत से अधिक हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप जारीकर्ता के लिए नुकसान होता है। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा में बांड जारी करना देश में प्रचलित किसी भी राजनीतिक, आर्थिक और कानूनी जोखिमों को जारी करने वाले को उजागर करता है। इसके अलावा, यदि जारीकर्ता के शेयर की कीमत रूपांतरण मूल्य से कम हो जाती है, तो एफसीसीबी निवेशक अपने बांड को इक्विटी में नहीं बदलेंगे, जिसका अर्थ है कि जारीकर्ता को परिपक्वता पर मूल पुनर्भुगतान करना होगा।

एक एफसीसीबी निवेशक इन बॉन्डों को स्टॉक एक्सचेंज में खरीद सकता है, और निश्चित अवधि के बाद बॉन्ड को इक्विटी या डिपॉजिटरी रसीद में बदलने का विकल्प है । निवेशक बांड को इक्विटी में परिवर्तित करके जारीकर्ता के स्टॉक की किसी भी मूल्य प्रशंसा में भाग ले सकते हैं। बॉन्डधारक बॉन्ड से जुड़े वारंट के माध्यम से इस सराहना का लाभ उठाते हैं, जो तब सक्रिय होते हैं जब स्टॉक की कीमत एक निश्चित बिंदु पर पहुंच जाती है।

फॉरेन करेंसी सॉवरेन बांड होता क्या है जिस पर मचा है इतना बवाल

विदेशी मुद्रा में बांड जारी करने के कई खतरे भी होते हैं. जैसे अगर किसी कारण से देश की करेंसी रुपए का रेट डॉलर के मुकाबले घट जाए तो सरकार की देनदारी बढ़ जाएगी

फॉरेन करेंसी सॉवरेन बांड होता क्या है जिस पर मचा है इतना बवाल

वित्त मंत्रालय से सुभाष चंद्र गर्ग (Subhash Chandra Garg) की विदाई के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. वित्त सचिव का पद हाई प्रोफाइल माना जाता है. देश से जुड़े तमाम आर्थिक नीतियों के निर्धारण में इसकी भूमिका होती है. यहां से हटाकर गर्ग को ऊर्जा मंत्रालय का सचिव बनाया गया. उन्होंने अगले ही दिन रिटायरमेंट के लिए आवेदन कर दिया. चर्चा है कि बजट में घोषित फॉरेन करेंसी सोवरेन बांड (Foreign currency sovereign bond ) के प्रस्ताव के पीछे उनका दिमाग था. उस प्रस्ताव की अब आलोचना हो रही है. संघ के संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी इसका विरोध किया है.

दरअसल भारत ने पिछले 70 वर्षों में कभी भी इस तरह के बांड जारी नहीं किए. बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) ने कहा कि सरकार पैसा जुटाने के लिए ये कदम उठा रही है. तर्क ये है कि देसी बांड बाजार से सारा पैसा सरकार ही ले लेती है. निजी क्षेत्र को फायदा नहीं मिलता है. सीतारमण ने तर्क दिया कि बाहरी कर्ज और जीडीपी का अनुपात पांच फीसदी से कम है, इसलिए विदेशी बाजार में विदेशी मुद्रा में सार्वभौम बांड जारी करने में कोई दिक्कत नहीं है.

आखिर फॉरेन करेंसी सोवरेन बांड होता क्या हैं ?

ये किसी और बांड की तरह ही होता है. बांड एक निश्चित अवधि के लिए जारी होते हैं. खरीदार को निवेशित पैसे पर एक निश्चित दर पर ब्याज मिलता है. सॉवरेन बांड की विश्वसनीयता, मूल धन और ब्याज की गारंटी सरकार की होती है. बांड विदेशी मुद्रा यानी डॉलर में भी जारी होते हैं. इसे रुपए यानी होम करेंसी में भी जारी किया जा सकता है.

सरकार क्यों जारी करती है बांड ?

विकास की योजनाओं को पूरा करने और अन्य खर्चे चलाने के लिए सरकार बांड जारी करती है. पैसा जुटाने का एक तरीका टैक्स रेट बढ़ाना भी है लेकिन इससे सरकार की लोकप्रियता पर असर पड़ता है. खबरों के मुताबिक बजट में की गई घोषणा के बाद अक्टूबर में ही सरकार 10 अरब डॉलर जुटाने की योजना बना रही थी.

बांड का यील्ड यानी ब्याज दर कैसे तय होता है ?

ये देश की माली हालत पर निर्भर करता है. जिस देश में घाटा कम है, विश्वसनीयता अच्छी है, रेटिंग एजेंसियों से अच्छी रेटिंग मिली हो वहां का बांड काफी सेक्योर माना जाता है. हालांकि ब्याज दर कम होती है. दूसरी ओर जिस देश में अस्थिरता है. आंतरिक संकट है. किसी कीमत पर पैसे की जरूरत है. वो ज्यादा ब्याज दर का वादा कर बाजार से पैसा उठाते हैं. हालांकि मैच्योरिटी के बाद मूलधन या पूरा ब्याज मिलने में जोखिम भी हो सकता है. कई देश तो डिफॉल्ट भी कर चुके हैं. इसलिए निवेशक सोच समझ कर पैसा लगाता है. ब्याज दर भले कम हो लेकिन रेटिंग ठीक हो , वही अच्छा माना जाता है.

विदेशी मुद्रा में बांड जारी करने के कई खतरे भी होते हैं. जैसे अगर किसी कारण से देश की करेंसी रुपए का रेट डॉलर के मुकाबले घट जाए तो सरकार की देनदारी बढ़ जाएगी. स्वदेशी जागरण मंच ने इसी को आधार बनाकर विदेशी मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय बाजार में बांड जारी नहीं करने को कहा है.

क्या होता है विदेशी मुद्रा बॉन्ड

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विदेशी मुद्रा भंडार का उच्चतम स्तर: कारण और महत्त्व

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 4 सितंबर को जारी आँकड़ों के अनुसार, सप्ताह के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) का भंडार $ 3.883 बिलियन बढ़ कर $ 541.431 बिलियन के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया। 5 जून, 2020 को समाप्त सप्ताह में पहली बार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $ 500 बिलियन को पार कर गया।

प्रमुख बिंदु:

विदेशी मुद्रा (फोरेक्स) भंडार-

अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कारण-

  • विदेशीमुद्राभंडारमेंवृद्धिकाप्रमुखकारण भारतीय स्टॉक बाज़ार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि क्या होता है विदेशी मुद्रा बॉन्ड है। विदेशी निवेशकों ने पिछले कई महीनों में कई भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी हासिल की है।
  • मार्च महीने में ऋण और इक्विटी के प्रत्येक खण्डों में से 60000 करोड़ रूपए निकालने के पश्चात् इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्थामेंकायापलटकीउम्मीदसेविदेशीपोर्टफोलियोनिवेशकोंनेभारतीयबाज़ारोंमेंवापसीकी है।
  • कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने के कारण तेल के आयात बिल में कमी आने से विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। इसी तरह विदेशी प्रेषण और विदेश यात्राएँ बहुत कम हो गई हैं।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 20 सितंबर, 2019 को कॉर्पोरेट कर की दरों में कटौती की घोषणा के क्या होता है विदेशी मुद्रा बॉन्ड साथ ही फोरेक्स रिज़र्व में वृद्धि होना शुरू हो गया था।
  • सोनेकीबढ़तीकीमतोंनेकेंद्रीयबैंककोसमग्रविदेशीमुद्राभंडारबढ़ानेमेंमददकी है।

महत्त्व-

  • विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक को देश के बाह्य और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में बहुत आसानी होती है।
  • यह आर्थिक मोर्चे पर किसी भी संकट की स्थिति में एक वर्ष के लिये देश के आयात बिल को कवर करने के लिये पर्याप्त है।
  • बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार ने डॉलर के मुकाबले रूपए को मज़बूत करने में मदद की है। सकलघरेलूउत्पाद(GDP)केअनुपातमेंविदेशीमुद्राभंडारलगभग15प्रतिशतहै।
  • यह सरकार को अपनी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं और बाहरी ऋण दायित्त्वों को पूरा करने में मदद कर सकने के साथ ही राष्ट्रीय आपदाओं या आपात स्थितियों के लिये एक रिज़र्व बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

आगे की राह-

  • निवेश प्रतिबंधों को कम करके FDI को और अधिक उदार बनाया जाना चाहिये। चालू खाते में और अधिक उदारीकरण किया जा सकता है।
  • बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए धन का उपयोग किया जा सकता है, जिससे अधिक रिटर्न प्राप्त किया जा सके।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण, विदेशी वित्तीय बाज़ारों में निवेश या महंगे बाह्य ऋण के पुनर्भुगतान के लिये भी इसका उपयोग किया जा सकता है

वित्त आयोग द्वारा राजकोषीय घाटे का दायरा निर्धारण के लिये सिफारिश

G.S. Paper-III (Economy)

चर्चा में क्यों?

वित्त आयोग के सलाहकार पैनल के कई सदस्यों ने COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक अनिश्चितताओं में वृद्धि को देखते हुए केंद्र और राज्यों के राजकोषीय घाटे का एक सीधा लक्ष्य रखने के बजाय एक सीमा (Range) निर्धारण पर विचार करने का सुझाव दिया है।

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