The UPPRPB (Uttar Pradesh Board Recruitment and Promotion Board) has released the notice inviting tenders to shortlist partners for conducting the UP Police Assistant Operator Exam. The bidding is scheduled to take place on 6th October 2022. It is thus expected that the exam will be conducted in November/ December 2022. Candidates who will be qualified for all rounds of the examination and get the final selection will receive UP Police Assistant Operator प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज Salary range between Rs. 25,500 to Rs. 81,100.

विश्व व्यापार संगठन (विश्व व्यापार संगठन) की स्थापना कब हुई थी?

सही उत्तर 1995 है। Key Points

  • विश्व व्यापार संगठन (विश्व व्यापार संगठन) की स्थापना 1995 में हुई थी।
  • विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) एकमात्र वैश्विक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के बीच व्यापार के नियमों से निपटता है।
  • यह व्यापार समझौतों पर बातचीत करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, यह अपने सदस्यों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाता है और यह विकासशील देशों की जरूरतों का समर्थन करता है।
  • विश्व व्यापार संगठन में 160 से अधिक सदस्य हैं जो विश्व व्यापार के 98 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। 20 से अधिक देश विश्व व्यापार संगठन में शामिल होने की मांग कर रहे हैं।
  • न्गोज़ी ओकोंजो-इवेला विश्व व्यापार संगठन के सातवें महानिदेशक हैं। उन्होंने 1 मार्च 2021 को पदभार ग्रहण किया, वह प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज महानिदेशक के रूप में सेवा करने वाली पहली महिला और पहली अफ्रीकी बनीं।

लंदन स्टॉक एक्सचेंज में विश्व के पहले 'मसाला' बॉण्ड की शुरुआत

विश्व के प्रमुख वित्तीय केंद्र के रूप में लंदन का दर्जा तब और प्रभावी हुआ, जब भारत के बाहर किसी भारतीय कम्पनी द्वारा दुनिया का पहला ‘मसाला’ या रुपया-नामित बॉन्ड लंदन के शेयर बाजार में आज यानी 1 अगस्त 2016 को जारी किया गया।

एक्सचेकर के चांसलर फिलिप हैमंड ने हाउसिंग डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एचडीएफसी) द्वारा इस ऐतिहासिक सूचीकरण का स्वागत किया। एचडीएफसी भारत के सबसे बड़े बैंकों में से एक है और भारत में आवास के लिए वित्तीय सहायता देने वाला प्रमुख बैंक है।

एचडीएफसी पहली ऐसी कम्पनी है, जिसने इस तरह का बॉन्ड जारी किया है और लंदन में उसके बॉन्ड जारी करने का निर्णय इस ओर स्पष्ट संकेत देता है कि लंदन दुनिया का सर्वश्रेष्ठ वित्तीय केंद्र है।

डब्ल्यूटीओ प्रमुख को जिनेवा बैठक में अच्छे नतीजे की उम्मीद

बारहवां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी12) 30 नवंबर से 3 दिसंबर, 2021 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में होगा।

यह मूल रूप से कजाकिस्तान की राजधानी नूर-सुल्तान में जून 2020 में होने वाला था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। मंत्रीस्तरीय सम्मेलन विश्व व्यापार संगठन का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है। पिछली बैठक दिसंबर 2017 में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुई थी।

जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन वैश्विक निर्यात और आयात के लिए नियम बनाता है। इसमें 164 सदस्य हैं। भारत 1995 से इसका सदस्य है।

डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक ने हालांकि कहा कि वह उस बैठक के सटीक परिणामों को नहीं जानती हैं, लेकिन उस सम्मेलन में कुछ परिणाम प्राप्त करने के लिए सहयोग की उम्मीद करती हैं।

भारत अगले महीने डब्ल्यूटीओ की बैठक में खाद्य भंडार के स्थायी समाधान की वकालत करेगा

अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा, कृषि सब्सिडी और विश्व खाद्य कार्यक्रम सहित विभिन्न मुद्दे 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के एजेंडे में शामिल होंगे। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 164 सदस्यीय विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है।

बैठक के लिए भारतीय टीम का नेतृत्व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल करेंगे।

अधिकारी ने कहा, ‘‘सार्वजनिक भंडारण (स्टॉकहोल्डिंग) का स्थायी समाधान खोजना हमारी प्रमुख मांग होगी।’’

वैश्विक व्यापार मानदंडों के तहत, विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश के खाद्य सब्सिडी का खर्च, वर्ष 1986-88 के संदर्भ मूल्य के आधार पर उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए।

आयात बिल में 20 फीसदी का इजाफा

नेपाल का कुल जितना अंतरराष्ट्रीय कारोबार होता है, उसमें 90 फीसदी हिस्सा आयात का है। इसलिए आयात बिल बढ़ने का उसकी आर्थिक हालत पर सीधा असर पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सांख्यिकी प्रभाग के पूर्व प्रमुख माणिक लाल श्रेष्ठ ने कहा है- ‘इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ही दाम बढ़ने के कारण आयात बिल में 20 फीसदी का इजाफा हो गया।’ पत्रकारों के एक सेमीनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल जुलाई से मार्च तक के आयात की मात्रा और मूल्य पर गौर करने पर दुनिया में बढ़ी महंगाई और नेपाल के बढ़े आयात बिल में सीधा संबंध नजर आता है। उन्होंने कहा कि इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ रहा है।

जानकारों के मुताबिक नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार इस वित्त वर्ष के आरंभ से ही दबाव में है। वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में नेपाल विदेशी मुद्रा भंडार में 16.3 फीसदी की गिरावट आई। अब जितनी विदेशी मुद्रा बची है, उससे छह से सात महीनों तक के आयात का बिल चुकाया जा सकता है। इसलिए तुरंत संकट नहीं है। लेकिन अगर लंबे समय तक कच्चे तेल की महंगाई बनी रही, तो नेपाल संकट में फंस सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर

विश्व बैंक ने पिछले 26 अप्रैल को कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट जारी की थी। उसमें कहा गया कि यूक्रेन युद्ध से विश्व कमोडिटी मार्केट को तगड़ा झटका लगा है। इससे विश्व व्यापार, उत्पादन और उपभोग के पैटर्न में बदलाव आ गया है। इस वजह से 2024 तक कीमतों का स्तर ऊंचा बना रहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ, तो नेपाल के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। कमोडिटी के प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज दाम बढ़ने का मतलब यह हुआ है कि नेपाल को अपने पहले जितने आयात के लिए ही अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। माणिक लाल श्रेष्ठ ने कहा- ‘आयातित वस्तुओं प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज के दाम बढ़ने के कारण नेपाल का चालू खाते का घाटा बढ़ जाएगा। उसका दबाव अगले वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार पर महसूस किया जाएगा।’

नेपाल को विदेशी मुद्रा की आमद मुख्य रूप से विदेशों में काम करने वाले नेपालियों की भेजी गई कमाई से प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज होती है। पिछले पांच वर्षों में इस स्रोत का हिस्सा औसतन 54.6 फीसदी रहा है। काठमांडू स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट स्टडीज के कार्यकारी निदेशक बिस्वास गौचान ने हाल में एक प्रेजेंटेशन में बताया- 2015-16 तक बाहर से कमा कर भेजी गई रकम व्यापार घाटे को पाट देती थी। लेकिन पिछले पांच वर्षों में इस स्रोत से आमदनी सिर्फ 7.8 फीसदी बढ़ी है। नतीजतन चालू खाते के घाटे में औसतन प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

विस्तार

नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खाली हो रहा है। आयात बिल बढ़ने के कारण देश का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है और उसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहा है। इसको लेकर अब अंदेशा जताया जा रहा है कि नेपाल लंबे समय तक अपने आयात के मौजूदा स्तर को कायम नहीं रख पाएगा। विश्लेषकों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में नेपाल के आयात की मात्रा बढ़ी है। उधर कई आयातित वस्तुओं के महंगी हो जाने के कारण उनके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और दूसरी कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ने का खराब असर नेपाल के राजकोष पर पड़ रहा है।

नेपाल का कुल जितना अंतरराष्ट्रीय कारोबार होता है, उसमें 90 फीसदी हिस्सा आयात का है। इसलिए आयात बिल बढ़ने का उसकी आर्थिक हालत पर सीधा असर पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सांख्यिकी प्रभाग के पूर्व प्रमुख माणिक लाल श्रेष्ठ ने कहा है- ‘इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ही दाम बढ़ने के कारण आयात बिल में 20 फीसदी का इजाफा हो गया।’ पत्रकारों के एक सेमीनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल जुलाई से मार्च तक के आयात की मात्रा और मूल्य पर गौर करने पर दुनिया में बढ़ी महंगाई प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज और नेपाल के बढ़े आयात बिल में सीधा संबंध नजर आता है। उन्होंने कहा कि इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर

विश्व बैंक ने पिछले 26 अप्रैल को कमोडिटी मार्केट आउटलुक रिपोर्ट जारी की थी। उसमें कहा गया कि यूक्रेन युद्ध से विश्व कमोडिटी मार्केट को तगड़ा झटका लगा है। इससे विश्व व्यापार, उत्पादन और उपभोग के पैटर्न में बदलाव आ गया है। इस वजह से 2024 तक कीमतों का स्तर ऊंचा बना रहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ, तो नेपाल के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। कमोडिटी के दाम बढ़ने का मतलब यह हुआ है कि नेपाल को अपने पहले जितने आयात के लिए ही अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। माणिक लाल श्रेष्ठ ने कहा- ‘आयातित वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण नेपाल का चालू खाते का घाटा बढ़ जाएगा। उसका दबाव अगले वित्त वर्ष में विदेशी मुद्रा भंडार पर महसूस किया जाएगा।’


नेपाल को विदेशी मुद्रा की आमद मुख्य रूप से प्रमुख विश्व व्यापार एक्सचेंज विदेशों में काम करने वाले नेपालियों की भेजी गई कमाई से होती है। पिछले पांच वर्षों में इस स्रोत का हिस्सा औसतन 54.6 फीसदी रहा है। काठमांडू स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट स्टडीज के कार्यकारी निदेशक बिस्वास गौचान ने हाल में एक प्रेजेंटेशन में बताया- 2015-16 तक बाहर से कमा कर भेजी गई रकम व्यापार घाटे को पाट देती थी। लेकिन पिछले पांच वर्षों में इस स्रोत से आमदनी सिर्फ 7.8 फीसदी बढ़ी है। नतीजतन चालू खाते के घाटे में औसतन 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

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