2. चाहे गए स्तरों पर ट्रेड ऑर्डर प्लेसमेंट तत्काल और सटीक होता है।
3. कीमतों में होने वाले बदलाव से बचने के लिए ट्रेड्स समय पर और तुरंत हो जाते हैं।
4. लेनदेन की लागत में कमी आती है।
5. कई बाजार स्थितियों पर एक साथ ऑटोमेटिक रूप से नजर बनाई जा सकती है।
6. ट्रेड्स प्लेस करते समय गलती एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है की गुंजाइश का जोखिम काफी कम हो जाता है।
7. उपलब्ध ऐतिहासिक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके एल्गो ट्रेडिंग का बैकटेस्ट किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह एक व्यवहार्य ट्रेडिंग रणनीति है या नहीं।
8. ह्यूमन ट्रेडिंग में होने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आधारित गलतियों की गुंजाइश नहीं रहती।
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सेबी ने जारी किये दिशानिर्देश
पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले ब्रोकर्स के लिये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य ‘उच्च रिटर्न’ का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है। सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे ब्रोकर्स के लिए कुछ जिम्मेदारी तय की है। एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों को पिछले या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है। साथ ही ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़े होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है। सेबी के सर्कुलर में कहा गया, ‘‘जो शेयर ब्रोकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले मंच से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे। साथ ही इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे।
एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती है, यह धारणा गलत
ट्विटर पर जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती हैं। ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है। लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं।”
Algorithmic trading क्या है?
एल्गोरिथम ट्रेडिंग समय, मूल्य और मात्रा जैसे चर के लिए लेखांकन स्वचालित पूर्व-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग निर्देशों का उपयोग करके ऑर्डर निष्पादित करने की एक विधि है। इस प्रकार का व्यापार मानव व्यापारियों के सापेक्ष कंप्यूटर की गति और कम्प्यूटेशनल संसाधनों का लाभ उठाने का प्रयास करता है।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? [What is algorithmic trading?] [In Hindi]
एल्गो ट्रेडिंग को एल्गोरिथम ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है, समय, मूल्य और मात्रा जैसे चर के लिए स्वचालित पूर्व-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग निर्देशों का उपयोग करके ऑर्डर निष्पादित करने की एक विधि है।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग (स्वचालित ट्रेडिंग, ब्लैक-बॉक्स ट्रेडिंग, या केवल एल्गो ट्रेडिंग) कंप्यूटर का उपयोग करने की प्रक्रिया है जो एक व्यापार को रखने के लिए निर्देशों के एक परिभाषित सेट का पालन करने के लिए एक गति और आवृत्ति पर लाभ उत्पन्न करने के लिए है जो मानव के लिए असंभव है। व्यापारी।
जब आप अपना खुद का एल्गोरिदम बना सकते हैं और इसे खरीदने या बेचने के सिग्नल उत्पन्न करने के लिए तैनात कर सकते हैं, तो ऑर्डर देने के लिए मैन्युअल हस्तक्षेप (Manual intervention ) की आवश्यकता होती है क्योंकि खुदरा व्यापारियों के लिए पूर्ण स्वचालन की अनुमति नहीं है। 52 Week High/Low क्या है?
एल्गोरिथम ट्रेडिंग का उपयोग क्यों करें? [Why Use Algorithmic Trading?] [In Hindi]
- मानवीय भूल दूर करें (Remove human error)
- दुर्लभ या विशेष आयोजनों का लाभ उठाएं (Capitalise on rare or special events)
कम से कम घटनाओं पर कार्रवाई करने के लिए एल्गोरिदम बनाएं जैसे कि डॉव अपने 20-दिवसीय चलती औसत से 500 नीचे बंद हो रहा है
- अपनी मौजूदा रणनीति को पूरक करें (Supplement your existing strategy)
अपनी ट्रेडिंग एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है रणनीति में जोखिम प्रबंधन को बारीकी से ट्यून करने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करें, अपनी ओर से स्टॉप और सीमाएं लागू करें
- कम रखरखाव (Low maintenance)
- बैकटेस्ट (Backtest)
खरीदने या बेचने के लिए मापदंडों का सबसे अच्छा संयोजन स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक डेटा के खिलाफ अपने एल्गोरिदम का बैकटेस्ट और परिष्कृत करें।
- बढ़ा हुआ अवसर (Increased opportunity)
अपनी रणनीति के अनुसार एल्गोरिदम चुनें या बनाएं, और अंतर्निहित बाजार में अवसरों के लिए अपने जोखिम को अधिकतम करें।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग के लिए तकनीकी आवश्यकताएं [Technical requirements for algorithmic trading] [In Hindi]
एक कंप्यूटर प्रोग्राम का उपयोग करके एल्गोरिथम को लागू करना एल्गोरिथम ट्रेडिंग का अंतिम घटक है, बैकटेस्टिंग के साथ (पिछले स्टॉक-मार्केट प्रदर्शन की ऐतिहासिक अवधियों पर एल्गोरिथम की कोशिश करके यह देखने के लिए कि क्या इसका उपयोग करना लाभदायक होता)। चुनी गई रणनीति को एक एकीकृत कम्प्यूटरीकृत प्रक्रिया में बदलने की चुनौती है, जिसके पास ऑर्डर देने के लिए एक ट्रेडिंग खाते तक पहुंच है। एल्गोरिथम ट्रेडिंग के लिए निम्नलिखित आवश्यकताएं हैं:
Algorithmic Trading Kya Hai? | जानिए Algo Trading क्या होता है और एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है इसके फायदें क्या है?
Algo Trading in Hindi: मानवीय त्रुटियों से बचने और व्यापार करते समय लाभ की क्षमता बढ़ाने के लिए एल्गोरिथम ट्रेडिंग (Algorithmic Trading) या एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) का इस्तेमाल होता है। यहां जाने कि Algo Trading Kya Hai? (What is Algo Trading in Hindi) और Algo Trading के फायदें (Benefits of Algo Trading in Hindi) क्या है?
Algo Trading in Hindi: जब आप अपना फोन अनलॉक करते हैं और कोई एप्लिकेशन खोलते हैं, तो यह एल्गोरिदम (Algorithms) के आधार पर कार्य करता है। आप क्या करते हैं, आप क्या देखते हैं और आपकी प्राथमिकताओं से मेल खाने के लिए एप्लिकेशन को कैसे कस्टमाइज एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है किया जाता है, इसका कारण एल्गोरिदम ही है। आज के दौर में लगभग हर सेक्टर लॉजिकल कोड को अपना आधार बना रहा है।
भारतीय वित्तीय बाजार के लिए भी एल्गोरिदम (Algorithm) नए नहीं हैं क्योंकि इनका उपयोग वर्चुअल ट्रांजेक्शन सिस्टम में ट्रेडिंग ट्रांसपेरेंसी या गड़बड़ियों को कम करने के लिए किया जाता है। एल्गोरिदम का उपयोग डिपॉजिटरी या स्टॉकब्रोकर तक सीमित नहीं है। निवेशक सक्रिय रूप से मानवीय त्रुटियों से बचने और व्यापार करते समय लाभ की क्षमता बढ़ाने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया को एल्गोरिथम ट्रेडिंग (Algorithmic Trading) या एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) कहा जाता है। आइये और विस्तार से जाने कि Algo Trading Kya Hai? (What is Algo Trading in Hindi) और Algo Trading के फायदें (Benefits of Algo Trading in Hindi) क्या है?
Algo Trading Kya Hai? | What is Algo Trading in Hindi | एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है?
Algorithmic Trading in Hindi: एल्गोरिथम ट्रेडिंग या एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) वित्तीय बाजार में उच्च गति से ट्रेडिंग ऑर्डर करने के लिए पूर्व-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग इंस्ट्रक्शन का उपयोग करने की प्रक्रिया है। इन्वेस्टर और ट्रेडर ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं और इसे टाइम, वॉल्यूम और प्राइस के आधार पर ट्रेडिंग निर्देश देते हैं। एक बार जब सेट निर्देश बाजार में चालू हो जाते हैं, तो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर निवेशक द्वारा निर्धारित आर्डर को प्रोसेस करता है। आम तौर पर एल्गोरिथम ट्रेडिंग (Algorithmic Trading) का उपयोग म्यूचुअल फंड, हेज फंड, बीमा कंपनियों, बैंकों आदि द्वारा बड़ी संख्या में उच्च मात्रा में ट्रेडों को करने के लिए किया जाता है, जो मनुष्यों के लिए असंभव हैं।
Algo Trading मानवीय भावनाओं और ट्रेडिंग एरर के प्रभाव के बिना सीमित समय में अधिक ट्रेडों की अनुमति देता है।
एल्गो ट्रेडिंग की रणनीतियां | Strategies of Algo Trading
एल्गोरिथम ट्रेडिंग करने के लिए निवेशक कई रणनीतियों का उपयोग करते हैं।
Index Fund Rebalancing
इंडेक्स फंड अंडरलाइंग एसेट के मौजूदा बाजार मूल्य से मेल खाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को लगातार रीबैलेंस करते हैं। इस तरह, वे एल्गो ट्रेडर्स के लिए अपेक्षित ट्रेडों को भुनाने और 20-80 आधार अंकों के अंतर से लाभ कमाने के अवसर पैदा करते हैं। इंडेक्स फंड रीबैलेंसिंग द्वारा ट्रिगर किए गए ये ट्रेड प्रमुख रूप से एल्गोरिथम ट्रेडिंग के उपयोग के माध्यम से किए जाते हैं।
Trend Following
एल्गो ट्रेडर्स के बीच इस प्रकार का Algorithmic Trading सबसे आम है। इस प्रक्रिया में वे एल्गोरिथम ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के लिए निर्देशों का एक सेट तैयार करने के लिए मूविंग एवरेज, प्राइस मूवमेंट, चैनल ब्रेकआउट आदि का उपयोग करते हैं। एक बार सेट ट्रेंड हासिल हो जाने के बाद, सॉफ्टवेयर निवेशक के एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है लिए ऑर्डर प्रॉसेस करता है।
आर्बिट्रेज तब होता है जब आप एक बाजार से कम कीमत वाला स्टॉक खरीदते हैं और उसे एक साथ दूसरे बाजार में बेचते हैं जहां स्टॉक की कीमत अधिक होती है, जिससे कीमत के अंतर से लाभ होता है। निवेशक ऐसे शेयरों की पहचान करने के लिए डेटा का लाभ उठाते हैं जो अलग-अलग कीमतों के साथ व्यापार कर रहे हैं और फिर दोनों बाजारों में ऑर्डर खरीदने और बेचने के लिए Algo Trading का उपयोग करते हैं।
Mathematical Model
निवेशक एक ही अंडरलाइंग एसेट के स्टॉक और डेरिवेटिव पर एक साथ व्यापार करने के लिए Mathematical Model का उपयोग करते हैं। चूंकि यह ट्रांजेक्शन का एक जटिल सेट हो सकता है, इसलिए वे ऐसे एसेट की पहचान करने के लिए एल्गोरिथम ट्रेडिंग का उपयोग करते हैं और मूल्य में उतार-चढ़ाव के आधार पर विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के बीच ऑर्डर प्रोसेस करते हैं।
Mean Reversion
यह रणनीति एक एसेट के टेम्पररी हाई और लो को बढ़ावा देती है, और यदि आवश्यक समय दिया जाता है, तो एसेट की कीमत हमेशा औसत मूल्य (औसत मूल्य) पर वापस आ जाएगी। निवेशक एसेट की वैल्यू लिमिट को परिभाषित करने के लिए Algo Trading का उपयोग करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि यदि वे लिमिट के अंदर या बाहर एसेट को आटोमेटिक रूप से खरीदते/बेचते हैं।
Volume Weighted Average Price
निवेशकों का लक्ष्य अपने ऑर्डर को Volume Weighted Average Price के जितना संभव हो सके प्रोसेस करना है। एल्गोरिथम ट्रेडिंग निवेशकों को बड़े ऑर्डर वॉल्यूम को हाई स्पीड से छोटे टुकड़ों में तोड़ने और क्लोजिंग प्राइस गोल को प्राप्त करने की अनुमति देता है।
Time Weighted Average Price
इस प्रकार की रणनीति बड़े ऑर्डर वॉल्यूम को गतिशील रूप से छोटे भागों में विभाजित करती है। हालांकि, निवेशक एल्गोरिथम ट्रेडिंग के माध्यम से रणनीति को प्रोसेस करने के लिए स्टार्ट और एंड टाइम के बीच विभाजित टाइम स्लॉट का उपयोग करते हैं। इसका उद्देश्य स्टार्ट और एंड टाइम के बीच एवरेज प्राइस के जितना संभव हो सके एक ऑर्डर प्रोसेस करके बाजार के प्रभाव को कम करना है।
एल्गो ट्रेडिंग के फायदें | Benefits of Algo Trading in Hindi
- वे हाई स्पीड पर एक व्यापार या हाई वॉल्यूम के आर्डर प्रोसेस कर सकते हैं।
- रखे गए आर्डर बिना किसी मानवीय त्रुटि के आटोमेटिक रूप और अत्यधिक सटीक होते है।
- वे महत्वपूर्ण मूल्य परिवर्तन से बच सकते हैं क्योंकि ऑर्डर सेकंड के भीतर होते हैं।
- यह लेनदेन की लागत को कम करने की अनुमति देता है।
- निवेशक विभिन्न बाजारों में अलग-अलग कीमत वाले शेयरों की पहचान कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।
- एसेट के मार्केट वैल्यू को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किए बिना बड़ी संख्या में ऑर्डर करने के लिए बड़े वित्तीय घराने Algo Trading का उपयोग कर सकते हैं।
Algo Trading एक निवेशक के लिए यह सुनिश्चित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है कि वे ट्रेडिंग करते समय शारीरिक या भावनात्मक त्रुटियां नहीं करते हैं और संभावित मुनाफे से चूक जाते हैं। हालांकि, Algorithmic Trading प्रकृति में अत्यधिक तकनीकी है और इसके एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है लिए वित्तीय बाजार, डेटा एनालिसिस और कंप्यूटर प्रोग्राम से संबंधित अत्यधिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, Algorithmic Trading पिछले एसेट परफॉरमेंस, लाइव मार्केट फीड और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच की मांग करती है।
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What is Algo Trading : एल्गो ट्रेडिंग को ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं। एल्गो नाम एल्गोरिदम (Algorithm) से निकला है। यह एक कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए होती है, जो ट्रेड करने के लिए तय निर्देशों (एक एल्गोरिदम) को फॉलो करता है। माना जाता है कि इसमें काफी तेजी से और अधिक बार प्रोफिट जनरेट होता है।
एल्गो ट्रेडिंग क्या है, जिसमें किया जा रहा हाई रिटर्न का दावा
हाइलाइट्स
- इसे ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं
- भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है एल्गो ट्रेडिंग
- ट्रेडिंग एक्टिविटीज को भावनाओं से रखती है दूर
- बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर पूरे होते हैं ट्रेड
1. बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर ट्रेड पूरे होते हैं।
2. चाहे गए स्तरों पर ट्रेड ऑर्डर प्लेसमेंट तत्काल और सटीक होता है।
3. कीमतों में होने वाले बदलाव से बचने के लिए ट्रेड्स समय पर और तुरंत हो जाते हैं।
4. लेनदेन की लागत में कमी आती है।
5. कई बाजार स्थितियों पर एक साथ ऑटोमेटिक रूप से नजर बनाई जा सकती है।
6. ट्रेड्स प्लेस करते समय गलती की गुंजाइश का जोखिम काफी कम हो जाता है।
7. उपलब्ध ऐतिहासिक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके एल्गो ट्रेडिंग का बैकटेस्ट किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह एक व्यवहार्य ट्रेडिंग रणनीति है या नहीं।
8. ह्यूमन ट्रेडिंग में होने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आधारित गलतियों की गुंजाइश नहीं रहती।
Forex Trading Fraud: फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटे मुनाफे का झांसा, फर्जी ऐप के जरिए लोगों से ऐसे की 15 करोड़ की ठगी
सेबी ने जारी किये दिशानिर्देश
पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले ब्रोकर्स के लिये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य ‘उच्च रिटर्न’ का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है। सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे ब्रोकर्स के लिए कुछ जिम्मेदारी तय की है। एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों को पिछले या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है। साथ ही ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़े होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है। सेबी के सर्कुलर एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है में कहा गया, ‘‘जो शेयर ब्रोकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले मंच से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे। साथ ही इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे।
एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती है, यह धारणा गलत
ट्विटर एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है पर जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती हैं। ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है। लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं।”
Explainer : क्या है अल्गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?
सेबी ने अल्गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.
सेबी ने हाल में ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST
हाइलाइट्स
पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.
नई दिल्ली. अग्लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्सेप्ट है लेकिन इसका इस्तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.
अल्गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.
कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग
अल्गो ट्रेडिंग में स्टॉक की खरीद-फरोख्त पूरी तरह कंप्यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी कंप्यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.
इस सिस्टम का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्टम किसी स्टॉक की भविष्य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.
क्यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्द ही अल्गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
क्या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में स्टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.
सेबी ने अपने सर्कुलर में एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्य किसी माध्यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों को देखते हुए ब्रोकर भविष्य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.
क्या सच में फायदेमंद है अल्गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्यादा ब्रोकर इसी का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्टॉक की हिस्ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.
क्यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है कंप्यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्मक प्रभाव में कमी : अल्गो ट्रेडिंग में किसी स्टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्यादा रणनीति का सृजन : कंप्यूटर एल्गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्यादा रिटर्न कमाने के कई रास्ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.
इसके नुकसान भी हैं
-अल्गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्योंकि बाजार की वास्तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.
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