एसबीआई ने क्रिप्टो करेंसी पर चेताया
देश के सबसे बड़ी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की सहायक इकाई एसबीआई कार्ड ने बिटक्वाइन जैसी आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिमों के प्रति उपभोक्ताओं को मंगलवार को सतर्क किया। दरअसल क्रिप्टो करेंसी की खरीदारी नेट बैंकिंग के जरिये या डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिये की जाती है। इसे देखते हुए एसबीआई कार्ड ने यह चेतावनी जारी की है।

आ गई दुनिया की पहली सरकारी क्रिप्टो करेंसी पेट्रो, जानिए कहां से हुई शुरुआत

आ गई दुनिया की पहली सरकारी क्रिप्टो करेंसी पेट्रो, जानिए कहां से हुई शुरुआत

वेनेजुएला ने गहराते आर्थिक संकट से बाहर आने की कोशिशों के बीच गैरपारंपरिक कदम उठाते हुए तेल आधारित क्रिप्टोकरेंसी 'पेट्रो की शुरुआत की है। यह सरकारी मान्यता प्राप्त विश्व की पहली क्रिप्टोकरंसी है।

20 घंटे में पेट्रो को 73.5 करोड़ डॉलर के मिले खरीदार
वेनेजुएला की वामपंथी सरकार ने शुरुआती बिक्री के लिए पेट्रो की 3.84 करोड़ इकाइयां पेश की हैं। इसकी बिक्री 19 मार्च तक चलेगी। प्रधानमंत्री निकोलस मदुरो के अनुसार बिक्री के शुरुआती 20 घंटे में पेट्रो को 73.5 करोड़ डॉलर की पेशकश मिली हैं। उन्होंने कहा कि पेट्रो हमारी स्वतंत्रता एवं आर्थिक स्वायत्तता को मजबूत करता है। यह हमें उन विदेशी ताकतों के लालच से बचने में मदद करेगा जो हमारा तेल बाजार जब्त कर हमें घुटन में रखने की कोशिश कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि वेनेजुएला के पास विश्व का सबसे विशाल तेल भंडार है। हालांकि, देश भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है।

क्रिप्टोकरेंसी बैंकिंग के क्या हैं फायदे और नुकसान, सब कुछ जानें

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gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2021,
  • (Updated 14 नवंबर 2021, 11:59 AM IST)

क्या है क्रिप्टोकरेंसी

देश में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का क्रेज बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. आकर्षक मुनाफा पाने की चाहत में बड़ी संख्या में लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहे हैं. इसे देखते हुए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्रिप्टो ट्रेड’ विषय पर एक व्यापक बैठक की. आखिर क्या है क्रिप्टो करेंसी और लोग इसकी तरफ क्यों आकर्षित हो रहे हैं, आइये जानते हैं.

क्या है क्रिप्टोकरेंसी

मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को वर्चुअल वॉलेट में रखा जाता है,जिनकी यूनीक कीज होती है. बिटकॉइन और अन्य डिजिटल सिक्के नकदी के बराबर हैं, लेकिन ये क्रिप्टोकरेंसी की शुरुवात इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होते हैं. ये एक तरीके की वर्चुअल मुद्रा होती है, जिसका फिजिकल एक्सिस्टेंस नहीं होता है. डिजिटल मुद्रा को ब्लॉकचेन नामक एक बही प्रणाली द्वारा विकेंद्रीकृत किया जाता है और यह किसी बैंक या केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित नहीं होता.

100 रुपये से Sun Crypto के साथ क्रिप्टोकरेंसी की शुरुवात करें अपनी क्रिप्टो यात्रा की शुरुआत

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जी हाँ! अब आप 100 रुपए के निवेश से भी अपनी क्रिप्टो यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं। सुनने में भले ही ये कुछ अटपटा सा लगे पर ये है बिलकुल सच। आम तौर पर ये माना जाता रहा है कि क्रिप्टो करेंसी एक बहुत ही महँगी करेंसी है और इसमें भारी भरकम निवेश की आवश्यकता होती है। पर सच तो ये है, कि आप इसमें बहुत ही कम राशि का निवेश करके भी एक अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।आजकल बाज़ार में कई कम्पनियाँ हैं जिनके ऐप की मदद से क्रिप्टो में निवेश किया जा सकता है। ये कम्पनियाँ समय समय पर विभिन्न पोलिसियाँ भी जारी करती हैं जिससे इनके निवेशकों को फ़ायदा पहुँचता है।जैसे “सन क्रिप्टो ” की मौजूदा पॉलिसी के तहत रेजिसट्रेशन मात्र से ही आपको 50-100 भारतीय रुपए मूल्य के बिटकॉइन या इथीरियम मिल सकते हैं। क्रिप्टो जगत में निवेश करना उतना कठिन भी नहीं जितना बाहर से प्रतीत होता है।बात करें क्रिप्टोकरेंसी की तो ये कई प्रकार की होती हैं। हालाँकि सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाला नाम -बिटकॉइन और ईथीरियम का है पर क्रिप्टोकरेंसी का संसार यहीं तक सीमित नहीं है। इस समय क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज्स में 1000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी लिस्टेड हैं और इनमें बढ़ोतरी ही होती जा रही है। बिटकॉइन और ईथीरियम के अलावा डोज़ कॉइन, मीम कॉइन, क़ारडानो इनमें से कुछ नाम हैं। क्रिप्टो बाज़ार के दिग्गजों का मानना है कि यूक्रेन और रशिया के युद्ध में क्रिप्टोकरेंसी ने अपना वर्चस्व सिद्द कर दिया है और आने वाले दिनों में क्रिप्टो करेंसी के प्रसार की सम्भावनाएँ प्रबल हैं।

Cryptocurrency History: सोने से ज्यादा 'सोणी' क्यों क्रिप्टोकरेंसी, कहां से आई और कैसे छाई, जानें सब कुछ

कैसे अस्तित्व में आई क्रिप्टोकरेंसी?

बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन सबसे पहले एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से उसके क्वाइन बनने तक की कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।

विस्तार

बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन सबसे पहले क्रिप्टोकरेंसी की शुरुवात एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से उसके क्वाइन बनने तक की कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।

क्रिप्टोकरेंसी आजकल काफी चर्चा में है, लेकिन यह सुर्खियों में उस वक्त ज्यादा आई थी, जब जुलाई 2010 के दौरान बिटक्वाइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में आई और उससे लेन-देन भी होने लगा। उस वक्त बिटकॉइन की कीमत 0.0008 डॉलर थी, जो वर्तमान में 58 हजार डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है। बिटक्वाइन भले ही आज के जमाने की काफी प्रचलित है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 1980 से भी पहले हो गई थी।

सबसे पहले बनी थी ब्लाइंडिंग एल्गोरिदम

जानकारी के मुताबिक, 1980 के दौर में अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविट चौम ने 'ब्लाइंडिंग' नाम की एल्गोरिदम का अविष्कार किया था, जो सेंट्रल से मॉडर्न वेब-बेस्ड इनक्रिप्शन पर आधारित थी। यह एल्गोरिदम सिक्योर, पार्टियों के बीच अपरिवर्तनीय सूचना के आदान-प्रदान और भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक करेंसी ट्रांसफर के लिए आधार तैयार करने के मकसद से बनाई गई थी। हालांकि, इस पर कुछ काम नहीं हुआ।

ब्लाइंडिंग के चर्चा में आने के 15 साल बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर वेई दई ने बी-मनी नाम की वर्चुअल करेंसी को लेकर व्हाइट पेपर तैयार किया। बी-मनी में मॉडर्न क्रिप्टोकरेंसी के कई बेसिक कंपोनेंट्स थे। व्हाइट पेपर में बी-मनी के जटिल प्रोटेक्शन और डिसेंट्रलाइजेशन का जिक्र किया गया था। हालांकि, बी-मनी कभी एक्सचेंज के रूप में बाजार में नहीं आ पाई।

सबसे पहले एलन मस्क ने क्रिप्टोकरेंसी की शुरुवात की थी वर्चुअल करेंसी की वकालत

वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की। हालांकि, यह भी सच है कि साल 2000 के बाद जब बिटक्वाइन अस्तित्व में आया, उसके बाद ही सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में तेजी दर्ज की गई।

नोट: 'कहानी क्रिप्टो की' सीरीज में आज क्रिप्टोकरेंसी के जन्म की दास्तां बताई गई। कल हम आपको बिटक्वाइन की शुरुआत होने और इसके शिखर पर चढ़ने के किस्से से रूबरू कराएंगे।

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