Call Option क्या है?

कॉल ऑप्शन क्या है? [What is Call Option?] [In Hindi]

यदि आपने हमेशा सोचा है कि कॉल विकल्प क्या है, तो आपको अब देखने की आवश्यकता नहीं है। कॉल ऑप्शन एक अनुबंध (Contract) है जिसमें आप अनुबंध पक्षों के बीच पारस्परिक रूप से तय की गई तारीख पर एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित स्टॉक खरीदने का अधिकार जीतते हैं, लेकिन दायित्व नहीं।

चूंकि कॉल विकल्प द्वारा तय की गई खरीदारी करने की आवश्यकता पर कोई दायित्व नहीं है, इसलिए आपको इसे तब तक निष्पादित करने की आवश्यकता नहीं है जब तक कि यह आपके लिए लाभदायक न हो। खरीद केवल तभी लाभदायक हो सकती है जब पहले से तय की गई राशि उस तारीख को स्टॉक की कीमत से कम हो, जिस तारीख को कॉल विकल्प निष्पादित किया जाना है। स्टॉक के इस पूर्व निर्धारित मूल्य को स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है। जब तक आपका स्ट्राइक मूल्य निष्पादन की तारीख पर स्टॉक की कीमत से कम नहीं होता, तब तक आपको कॉल ऑप्शन के माध्यम से नुकसान उठाना पड़ेगा।

यदि आप अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कॉल ऑप्शन क्या है, तो आइए एक उदाहरण से समझते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप टीसीएस के लिए 2700 रुपये की कीमत पर एक महीने के लिए कॉल विकल्प में प्रवेश करते हैं। 45; आपके पास टीसीएस स्टॉक को रुपये की कीमत पर खरीदने का विकल्प है। 2700 तारीख को कॉल विकल्प निष्पादित किया जाना है। हालांकि, निपटान के दिन, यदि टीसीएस स्टॉक की कीमत रु. 2500, तो आपके कॉल विकल्प का प्रयोग करना आपके लिए एक नुकसान होगा क्योंकि आप कम कीमत के लिए खुले बाजार में स्टॉक खरीद सकते थे। दूसरी ओर, यदि निपटान दिवस पर टीसीएस स्टॉक की कीमत रु. 2900, आप अपने कॉल विकल्प का प्रयोग करके लाभ कमाने के लिए खड़े हैं। बिना किसी दायित्व के स्टॉक खरीदने के इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए, आपने रु. का प्रीमियम अदा किया है। 45, जो आपकी धँसी हुई लागत होगी। Butterfly Spread क्या है?

कॉल विकल्प कैसे काम करते हैं? [How do call options work?] [In Hindi]

कॉल विकल्प एक प्रकार का Derivative contract है जो धारक को पूर्व निर्धारित मूल्य पर निर्दिष्ट संख्या में शेयर खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं, जिसे विकल्प के "स्ट्राइक प्राइस" के रूप में जाना जाता है। यदि स्टॉक का बाजार मूल्य विकल्प के स्ट्राइक मूल्य से ऊपर उठता है, तो विकल्प धारक अपने विकल्प का प्रयोग कर सकता है, स्ट्राइक मूल्य पर खरीद सकता है और लाभ को लॉक करने के लिए उच्च बाजार मूल्य पर बेच सकता है।

हालाँकि, विकल्प केवल सीमित अवधि के लिए ही चलते हैं। यदि उस अवधि के दौरान बाजार मूल्य स्ट्राइक मूल्य से ऊपर नहीं बढ़ता है, तो विकल्प (Option) बेकार हो जाते हैं।

कॉल ऑप्शन क्यों खरीदें? [Why Buy a Call Option?] [In Hindi]

कॉल ऑप्शन खरीदने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह स्टॉक की कीमत में लाभ को बढ़ाता है। अपेक्षाकृत छोटी अग्रिम लागत के लिए, आप विकल्प समाप्त होने तक स्ट्राइक मूल्य से ऊपर स्टॉक के लाभ का आनंद ले सकते हैं। इसलिए यदि आप कॉल खरीद रहे हैं, तो आप आमतौर पर स्टॉक की समाप्ति से पहले बढ़ने की उम्मीद करते हैं।

कल्पना कीजिए कि XYZ नाम का एक शेयर 20 डॉलर प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। आप $20 स्ट्राइक मूल्य वाले स्टॉक पर $2 के लिए एक कॉल खरीद सकते हैं जिसकी समाप्ति आठ महीने में हो सकती है। एक अनुबंध की लागत $200, या $2*1 Contract *100 शेयर है।

कॉल ऑप्शन क्यों बेचें? [Why Sell a Call Option? In Hindi]

खरीदी गई प्रत्येक कॉल के लिए, एक कॉल बेची जाती है। तो कॉल बेचने के क्या फायदे हैं? संक्षेप में, कॉल खरीदने के लिए भुगतान संरचना बिल्कुल विपरीत है। कॉल सेलर्स को उम्मीद है कि स्टॉक सपाट रहेगा या गिरावट आएगी, और बिना किसी परिणाम के प्रीमियम को पॉकेट में डालने की उम्मीद है।

आइए पहले की तरह ही उदाहरण का उपयोग करें। कल्पना कीजिए कि क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? स्टॉक XYZ $20 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। आप स्टॉक पर एक कॉल को $20 स्ट्राइक मूल्य के साथ $2 में बेच सकते हैं जिसकी समाप्ति आठ महीने में हो सकती है। एक अनुबंध आपको $200, या ($2*100 शेयर) देता है।

CE Means in Share Market, CE और PE का क्या मतलब होता है?

CE और PE के बारे में जानने का मतलब है कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रवेश कर चुके हैं। आपने चाहें किसी भी ब्रोकर से भी डीमैट अकाउंट खुलवाया हो, आपको ऑप्शन क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? खरीदते समय हर एक स्ट्राइक प्राइस के आगे CE और PE लिखा दिखाई देगा। तो चलिए जानते है ये क्यों लिखा जाता है और इसका मतलब क्या होता है?

ध्यान रहे, यह आम आदमी के लिए पैसे गंवाने का एक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ठीक सुना, ऑप्शन ट्रेडिंग एक पैसे गंवाने का विकल्प है जिसमे पैसे बनने से ज़्यादा चले जाते हैं इसलिए आम आदमी को ऑप्शन ट्रेडिंग करने की सलाह नहीं दी जाती।

CE Means in Share Market

CE का फुल फॉर्म कॉल यूरोपियन(Call European) होता है जिसे कॉल ऑप्शन भी कहा जाता है। यह ऑप्शन ट्रेडिंग का एक ऑप्शन होता है जिसे निवेशक ये सोचकर खरीदता है कि आगे जाकर इस शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होगी। चलिए हम आपको एक कहानी सुनाते हैं |

CE से जुड़ी मेरी कहानी

एक बार मेरे एक चाचा को दिल्ली में जमीन खरीदनी थी। अब क्योंकि उन्हें स्टॉक मार्किट के बारे में नहीं पता था तो वे ऐसे ही रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहे थे।

खुशकिस्मती से उन्हें एक गाँव के अंदर बहुत सी जमीन क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? मिल गयी। जब उन्होंने किसान से जमीन का दाम पूछा तो उसने 5 करोड़ बताया |

दिक्कत ये थी कि उस समय उनके पास केवल 50 लाख रूपये थे और वे पूरी जमीन खरीदना चाहते थे क्योंकि जल्द ही पास में एयरपोर्ट बनने वाला था जिससे उस जमीन की कीमत आसमान छूने लगती।

आगे जानते हैं क्या हुआ?

चाचा ने उन किसान को 50 लाख रूपये दे दिए और वादा किया कि 6 साल बाद वे किसी और को जमीन बेचकर 5 करोड़ रूपये चुका देंगे। अब किसान भी खुश हो गए क्योंक जमीन की कीमत कितनी भी हो 50 लाख तो मिल ही रहे हैं।

CE means in share market

इसके बाद तो आपको क्या ही बताऊँ।

उस जमीन की कीमत 12 करोड़ रूपये हो गयी थी तो चाचा ने जमीन 12 करोड़ में बेच दी और किसान को 5 करोड़ रूपये चुकाकर 7 करोड़ रूपये का प्रॉफिट किया।

ठीक ऐसे ही CE ऑप्शन खरीदने पर होता है। आप ये सोचकर खरीदते हैं कि आगे जाकर इस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ जाएगी।

What is CE and PE in Stock Market?

CE का फूल फोर्म Call European और PE का फुल फॉर्म Put European होता है। यह दोनों ऑप्शन ट्रेडिंग से सम्बंधित है।

What is CE and PE in stock market

CE बढ़ते बाजार का सूचक है और इसलिए जब किसी शेयर के आगे तरक्की करने की सम्भावना होती है तो Call Option खरीदना फायदेमंद होता है। आप ये सोचकर खरीदते हैं कि आगे जाकर इस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ जाएगी।

जबकि दूसरी और PE गिरते बाजार की निशानी है। आने वाले समय में जब किसी शेयर के गिरने की सम्भावना ज्यादा होती है तो निवेशकों के लिए Put Option खरीदना फायदे का सौदा होता है।

आप चाहे कॉल खरीदें या पुट, प्रीमियम आपको हर हल में चुकाना होगा और एक्सपायरी के दिन पूरी कीमत भी देनी होगी।

CE और PE से जुड़ी कुछ शर्तें

Option Premium क्या होता है?

अपनी ऑप्शन की खरीद पक्की करने के लिए हमें पहले से ब्रोकर को कुछ पैसे चुकाने होते हैं | इस मूल्य को हम ‘ऑप्शन प्रीमियम’ कहते हैं। जैसे कहानी में चाचा ने किसान को 50 लाख रूपये चुकाए थे।

स्पॉट प्राइस का मतलब

स्पॉट प्राइस उस समय की कीमत बताती है जिस समय सौदा हुआ। जिस समय सौदा हुआ था उस टाइम पूरी जमीन की कीमत 5 करोड़ रूपये थी तो हम इसे ही स्पॉट प्राइस कहेंगे। स्टॉक मार्किट में किसी शेयर या equity को खरीदने से पहले उसकी CMP देखी जाती है।

CE means in share market

Underlying एसेट क्या है?

हम जिस चीज़ को खरीद रहे हैं या सौदा कर रहे हैं, उसे Underlying Asset कहते हैं जैसे मेरे चाचा ने जमीन खरीदी थी लेकिन स्टॉक मार्किट में शेयर्स होते हैं।

ऑप्शन बायर और ऑप्शन सेलर

हर ऑप्शन ट्रेडिंग में एक ऑप्शन खरीदने वाला और ऑप्शन बेचने वाला भी होता है। कहानी में किसान ऑप्शन बेचने(Option Seller) वाले हैं और चाचा ऑप्शन खरीदार(Option Buyer) हैं।

Expiry का समय

वह समय सीमा जिसमे ऑप्शन खरीदने वाले को बचे हुए पैसे चुकाने है। कहानी में वह 6 महीने है। यह किसी शेयर के लिए उसकी Intrinsic Value से ऊपर जाने के लिए ठीक ठाक समय लगता है पर ऑप्शन में दाँव उल्टा ज्यादा पड़ता है क्योंकि मार्किट अप्रत्याशित है।

Verdict

ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय खरीदने वाले ये सोचकर खरीदते हैं की कीमत बढ़ेगी पर हमेशा ऐसा नहीं होता। आप जैसे ही सोचने लगेंगे की अब मार्किट को समझ गए, उसके अगले दिन ही मार्किट आपको चौंका देगा।

इसलिए हमेशा सीखते रहिये और ट्रेडिंग में केवल उन्ही पैसो का इस्तेमाल करिये जो अगर चले भी जाये तो आपको दिक्कत न हो और लोन लेकर ट्रेड करने का पाप बिलकुल न करें।

F&O की कवर्ड कॉल स्ट्रैटेजी क्या है, कैसे मिलता है घर बैठे हर महीने कमाई का मौका

आपके डीमैट अकाउंट में किसी कंपनी के शेयर हैं और आप आप उसे बेचना नहीं चाहते तो कवर्ड कॉल रणनीति से इस होल्डिंग पर भी पैसा कमा सकते हैं.

  • Vijay Parmar
  • Updated On - July 30, 2021 / 08:09 PM IST

F&O की कवर्ड कॉल स्ट्रैटेजी क्या है, कैसे मिलता है घर बैठे हर महीने कमाई का मौका

इस कंपनी पर तमिलनाडु सरकार का पूर्ण स्वामित्व है और ये कंपनी एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) के तौर पर RBI के साथ रजिस्टर्ड है

Covered Call Strategy: आप एक स्टॉक में लॉन्ग पोजिशन रखने के साथ ही, प्रीमियम के माध्यम से आय उत्पन्न करने के लिए उसी स्टॉक पर कॉल आप्शन को बेचते हैं, जिसे दलाल स्ट्रीट में कवर्ड कॉल रणनीति कहते है. इसे क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? कॉल ऑप्शन की राइटिंग करना भी कहते हैं. इसमें आप किसी पोजिशन को दूसरी पोजिशन से कवर करते है और जोखिम के सामने सुरक्षा का कवच बनाते है. डेरिवेटिव्स एक्सपर्ट के मुताबिक, स्थिर आय प्राप्त करने के लिए इस रणनीति का लाभ ले सकते है, लेकिन आप जिस स्टॉक की पोजिशन लेना चाहते हैं उसके लॉट साइज जितना पैसा आपके डीमैट खाते मे होना जरूरी है.

“ऑप्शंस ट्रेडिंग में कई स्ट्रैटेजी हैं, जिनका उपयोग करके निवेशक अच्छा पैसा कमा सकते है. कवर्ड कॉल रणनीति आपको ऐसा मौका देती है, लेकिन उसके लिए आपके पास मार्केट का नॉलेज होना जरूरी है. आपको इस रणनीति में आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित कर लेना चाहिए की आप जिस पोजिशन के लिए पैसा लगा रहे है वह कितनी सफल हो सकती है. आपको रिस्क-केपसिटी के आधार पर ही आगे बढना चाहिए,” ऐसा SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर धर्मेश कुमार भट्ट ने money9.com को बताया.

कवर्ड कोल रणनीति में क्या करना होता हैः
निवेशक उसके पास जो स्टोक है उसके कॉल ऑप्शन को बेचता है. कॉल ऑप्शन को बेचकर, निवेशक अनिवार्य रूप से उस एसेट की कीमत को लॉक कर देता है, जिससे वह शॉर्ट-टर्म प्रॉफिट का लाभ ले सकता है. इसके अलावा, निवेशक को स्टॉक की कीमतों में भविष्य में किसी भी गिरावट से थोड़ी सुरक्षा भी मिलती है. कवर्ड कॉल रणनीति उस समय अच्छी तरह से काम करती है, जब निवेशक बुलिश होता है. वह जानता है कि सिर्फ स्टॉक या अंडरलेइंग एसेट की होल्डिंग करने पर ही वह अच्छा मुनाफा नहीं कमाया जा सकता. इसलिए, वह ऊंचे स्ट्राइक प्राइज पर, स्टॉक पर कॉल आप्शन बेचता है, और उस स्ट्राइक प्राइस तक प्रीमियम प्राप्त करता है.

ये रणनीति काम कैसे करती हैः
“कवर्ड कॉल राइटिंग से रिटेल निवेशक पैसा बना सकते है. इसमें आपको F&O लॉट साइज जितनी डिलीवरी खरीदनी होती है. मान लीजिए, आपके पास XYZ कंपनी का 3,200 का लॉट 210 रूपये के भाव में पड़ा है. इसमें 2 रुपये के प्रीमियम में 215 की स्ट्राइक का कॉल ऑप्शन सेल कर सकते हैं. शेयर का भाव चाहे किसी दिशा में जाए, आपको एक महीने के बाद 6,400 रुपये (2.00 x 3200) मिलना सुनिश्चित है,“ ऐसा डेरिवेटिव्स एक्सपर्ट और Equitymath के फाउंडर शशांक महेता बताते हैं.

इंडेक्स में एक्सपायरी दिन की अस्थिरता की उम्मीद के साथ ट्रेडर्स हर गुरुवार को कोल और पुट ओप्शन खरीदते है. पिछले 12 महीनों में भारतीय बाजारों ने जितनी वोलेटिलिटी देखी है, उतनी शायद ही कभी देखी होगी, इसलिए गुरुवार को, खासकर बैंक निफ्टी में, एक्स्पायरी आधारित ट्रेड करने का यह आइडिया काफी लोकप्रिय हो गया है, ऐसा महेता बताते है.

फायदा और नुकसानः
यह रणनीति निवेशक को सीमित मुनाफा प्रदान करती है, हालांकि, नुकसान असीमित हो सकता है. आपने जिस भाव की उम्मीद के साथ स्ट्राइक को चुना होगा, यदि भाव उससे उपर जाता है तब केवल प्रीमियम और फिक्स्ड किए गए भाव तक का मुनाफा होगा. इस रणनीति में आपको अपने स्टॉक की खरीद और कॉल ऑप्शन कोन्ट्राक्ट की बिक्री के लिए समय नहीं देना पड़ता है. स्टॉक खरीदने के बाद आप कभी भी उसके कॉल ऑप्शन को बेच सकते हैं.

सावधानी रखेः
इसमें शामिल जोखिम की मात्रा के कारण ओप्शन रणनीतियों के दौरान हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए. SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर और NISM-रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट हिमांशु शाह के मुताबिक, रिटेल इंवेस्टर को ओप्शन बाय करके ही ट्रेडिंग करना चाहिए. महीने की शुरुआती दो हफ्तो में सक्रिय रहे और पोजिशन बनाएं, लेकिन एक्स्पायरी के नजदीकी दिनों में दूर रहना चाहिए.

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