Aanchal Singh
Undekhi 2 Review: सिमटे तो दिल-ए-आशिक, फैले तो जमाना है
छोटे छोटे सब-प्लॉट्स की वजह से मूल कहानी की कमजोरियां दर्शक को उबा देती है. मर्जी पगड़ीवाला की एमएसीडी की मूल कहानी सिनेमेटोग्राफी ज़रूर …
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पिता थे बस ड्राइवर … खुद बेचा दूध , सुक्खू के लिए आसान नहीं रहा हिमाचल के सीएम बनने तक का सफर , जाने संघर्ष की कहानी
हिमाचल प्रदेश के 15 वे मुख्यमंत्री के तौर पर आज एक ऐसा राजनेता शपथ लेगा जिसके कभी पिता हिमाचल परिवहन निगम की बस के ड्राइवर थे और उनके बेटे के हांथो में आज पूरे हिमाचल प्रदेश की स्टेयरिंग होगी। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की जिन्होंने संघर्ष के तमाम पड़ाव को पार करते हुए आज प्रदेश के सबसे बड़े पद की कमान संभालने तक का सफर तय कर लिया है। सुखविंदर सिंह सुक्खू आज शिमला में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालाँकि सुक्खू के लिए सीएम पद तक पहुँचने का सफर आसान नहीं रहा है। उनका जीवन संघर्षो से भरा रहा है। लेकिन कहते है न जिन्होंने संघर्षो का अपने साथी बना लिया हो सफलता उनकी दासी बन जाती है। ऐसी ही कुछ कहानी है हिमाचल के नए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की।
सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म 27 मार्च 1964 को हमीरपुर जिले की नादौन तहसील के सेरा गांव में हुआ था। एक साधारण और बेहद ही आम परिवार। उनके पिता राशिल सिंह हिमाचल पथ परिवहन निगम, शिमला में ड्राइवर थे। जबकि उनकी मां संसार देई एक गृहिणी हैं।शिमला की सड़को पर बस चलाते – चलाते ही सुक्खू के पिता ने अपने परिवार का पालन पोषण किया।हालाँकि सुखविंदर सिंह के सपने बचपन से ही उड़ान भरने लगे थे। जहाँ परिवार के दूसरे भाई – बहन जीवन यापन के लिए सरकारी नौकरियों की तलाश करते थे तो सुक्खू राजनीति के मैदान में अपने सफर की खोज में लग गए थे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्कूल के दिनों से ही राजनीति की शुरुआत कर दी थी। यह सिलसिला कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी जारी रहा। हमीरपुर जिले के मूल निवासी एमएसीडी की मूल कहानी सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस के छात्र विंग नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। सुक्खू बताते हैं कि उन्होंने 10 वी कक्षा से ही पैसे कमाने भी शुरू कर दिए थे। वे अपनी पढाई के खर्चे की व्यवस्था खुद किया करते थे। सुक्खू ने दूध की एजेंसी ली और दूध बेचना शुरू कर दिया। इसके अलावा उन्होंने एलआईसी की भी एजेंसी ली। लेकिन शायद सुक्खू का मन राजनीति एमएसीडी की मूल कहानी एमएसीडी की मूल कहानी में बस गया था।
एनएसयूआई में सुक्खू ने एमएसीडी की मूल कहानी संघर्ष किया और उनका कद बढ़ता गया। 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक के मध्य (1989-95) में उन्होंने एनएसयूआई राज्य इकाई का नेतृत्व किया।वहीं वह 2000 के दशक (1998-08) में राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे। इससे पहले वे नगर निगम में पार्षद भी रहे। उन्होंने शिमला में दो बार नगरपालिका चुनाव जीता।सुक्खू साल 2003 में पहली बार विधायक चुनकर भी आये। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत मिली।
हालाँकि 2012 के विधानसभा चुनाव में सुक्खू को हार झेलनी पड़ी। तब ऐसा लगा कि सुक्खू के राजनीतिक करियर में विराम आ जायेगा। लेकिन संघर्षो से दोस्ती निभाने वाले सुक्खू ने विधायक का चुनाव हारने के बाद संगठन की मजबूती में काम करना शुरू कर दिया। वह 2007 से 2012 तक कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के मुख्य सचेतक भी थे। सुक्खू ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभाई। साल 2017 में सुक्खू ने फिर वापसी की और तीसरी बार विधायक चुने गए। 2022 के विधानसभा चुनाव में सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रचार समिति का प्रमुख बनाया गया। इसके साथ ही सुक्खू का नाम सीएम पद की रेस एमएसीडी की मूल कहानी में शामिल हो गया था।
साल 2022 के विधानसभा में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की। सीएम पद की दौड़ में सुखविंदर सिंह सुक्खू के अलावा मुकेश अग्निहोत्री और राजेंद्र राणा का भी नाम शामिल था। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने संघर्षो से जीवन की शुरुआत करने वाले हिमाचल के आम बेटे के हांथो में सीएम पद की कमान सौंपने के फैसले पर मुहर लगा दी।
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