एमएसीडी-एडीएक्स इंडिकेटर के साथ डे ट्रेडिंग करना सीखे|
परिचय
एमएसीडी (मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस / डाइवर्जेंस इंडिकेटर) और एडीएक्स(एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स) दो सबसे बड़े तकनीकी संकेतक हैं। मुझे यकीन है कि आप में से अधिकांश ने कभी ना कभी उनका उपयोग किया होगा। उन्हें ठीक से एक साथ मिलाएं और आप एक बढ़िया ट्रेडिंग सिस्टम बना सकते हैं।पढ़ते रहें और नीचे दिए गए परिणामों से सीखें।
एमएसीडी
एमएसीडी दो एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेजेस के अंतर का उपयोग ट्रेंड की दिशा और इसका मोमेंटम बताने के लिए करता है। एमएसीडी के ईएमए (सिग्नल लाइन)के साथ उपयोग करना हमें एक भरोसेमंद संकेतक देता है। आप इसके उपयोग और निर्माण के बारे में एमएसीडी का डे-ट्रेडिंग में उपयोग कैसे करें? से जान सकते हैं।
एडीएक्स
एडीएक्स इंडिकेटर का मुख्य उपयोग बिना दिशा के संदर्भ के ट्रेंड की शक्ति को मापना है। यदि इंडिकेटर 25 लाइन से ऊपर पहुंचता है तो ट्रेंड को मजबूत माना जाता है। इसके विपरीत, यदि इंडिकेटर 25 लाइन से नीचे है, तो ट्रेंड कमजोर है या मार्केट में ट्रेंड नहीं है। 30 से अधिक संकेतक कैसे काम करता है एडीएक्स इंडिकेटर मजबूत प्रवृत्ति को प्रदर्शित करता है - यह निश्चित रूप से ट्रेड में आने का सबसे अच्छा समय है।
कभी-कभी ट्रेडर्स इस इंडिकेटर की तीनों लाइनों का उपयोग करते हैं- एडीएक्स,+डीआई, -डीआई। वे इन लाइनों के क्रॉस को एक संभावित रिवर्सल के अतिरिक्त संकेत के रूप में देखते हैं। और हम एडीएक्स की इसी विशेषता का उपयोग हमारी स्ट्रैटेजी में करेंगे।
एमएसीडी एडीएक्स का क़ॉंबिनेशन
एमएसीडी ट्रेंड रिवर्सल का पता लगाता है जबकि, एडीएक्स यह बताता है कि ट्रेंड मजबूत है या फीका। बढ़िया कॉम्बो लगता है। तो इन दोनों इंडिकेटर्स से सबसे बढ़िया परिणाम पाने के लिए इन दोनों इंडिकेटर्स की आदर्श सेटिंग्स क्या होंगी?
हमने कई क़ॉंम्बिनेशंस में एमएसीडी और एडीएक्स को आज़माया और उन्हें अलग-अलग मार्केट्स और पैरामीटर्स पर बाइकटेस्ट करके सीखा। चलिए देखते हैं ये दोनों इंडिकेटर्स एक साथ कैसे काम करते हैं
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ट्रेड सेट अप
टाइम फ्रेम: 15 मिनट या उससे ज़्यादा
इंडिकेटर सेटिंग्स: एमएसीडी (डिफ़ॉल्ट सेटिंग्स: 12, 26, 9), एडीएक्स (डिफ़ॉल्ट:14)।
स्टॉप लॉस / टेक प्रॉफिट: स्टॉप लॉस/टार्गेट प्राइस को निकटतम संकेतक कैसे काम करता है स्विंग के उच्च/निम्न पर सेट करें।
बाई प्रवेश नियम
· एमएसीडी ज़ीरो से ऊपर बढ़ता है।
· कंफर्म करें कि एडीएक्स इंडिकेटर की डी+ सिग्नल लाइन डी- लाइन से अधिक है।
· एडीएक्स लाइन 20 से ऊपर है और ऊपर की ओर उठ रही है।
· कैन्डलस्टिक पर जहां ये 3 स्थितियाँ मिलें, खरीद ले।
सैल प्रवेश नियम
· एमएसीडी ज़ीरो लाइन के नीचे है।
· सिग्नल को कंफार्म करने के लिए कि एडीएक्स इंडिकेटर की डी- लाइन डी+लाइन से ऊंची है।
· एडीएक्स लाइन 20 से ऊपर है और ऊपर की ओर उठ रही है।
· कैन्डलस्टिक पर जहां ये 3 स्थितियाँ मिलें, शॉर्ट ट्रेड खोलें।
आप स्ट्रैटेजी को कैसे समायोजित कर सकते हैं?
· एडीएक्स इंडिकेटर को पढ़ने के कई तरीके हैं जैसे कि यदि एडीएक्स 20 के स्तर को पार करता है तो ट्रेंड मजबूत हो रहा है, यदि एडीएक्स 30 के ऊपर है- तो ट्रेंड और मजबूत हो गया है।
· आक्रामक व्यापारी एडीएक्स के 20 की लाइन के नीचे होने पर ट्रेड में उतार सकते हैं ताकि उन्हें बढ़ते ट्रेंड को पकड़ने की संभावना रहे और वे इसकी शुरुआत से ना चूकें। मूल विचार यह है कि जितना विकसित ट्रेंड है उतना ही रिवर्सल की संभावना।
· व्यापारियों को देखना चाहिए कि 20 कि लाइन क्रॉस करना उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना उसका स्लोप और दिशा है। इसलिए,यह एक विशुद्ध रूप से सिस्टम ट्रेड नहीं है,लेकिन कुछ अवलोकन और विवेक ज़रूर प्रदान करता है।
· आपको इंडिकेटर्स को पढ़ने और अपनी व्यापारिक आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें एडजस्ट करने के लिए अपना खुद का तरीका प्रयोग करके खोजना होगा। इसका सबसे अच्छा तरीका है-इनमें से किसी भी सेटिंग को बैक टेस्ट करना और वह चुनना जो आपके लिए सबसे अच्छा हो।
· टेक प्रॉफ़िट और स्टॉप लॉस। हम हर ट्रेड में कम से कम 1:2 के जोखिम से रिवर्ड रेशो का उल्लेख करते हैं। यहाँ भी वही सही है। पैसों का प्रबंधन ट्रेडिंग के केंद्र में होता है और हम इसपर भविष्य में और अधिक डिटेल्स में चर्चा करेंगे।
Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.
Arshad Fahoum
Arshad is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.
क्या होता है Air Quality Index और कैसे करता है काम, जानें सब कुछ
वायु गुणवत्ता सूचकांक, यह दरअसल एक नंबर होता है जिसके जरिए हवा का गुणवत्ता पता लगाया जाता है. साथ इसके जरिए भविष्य में होने वाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 09 Nov 2020 11:30 AM (IST)
नई दिल्ली: दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर लगातार खराब दर्ज हो रहा है. ज़्यादातर इलाक़ो में AQI 400 के पार. दिल्ली में सुबह सवेरे स्मॉग ज़्यादातर इलाक़ो में है और शाम के वक़्त भी स्मोग देखने को मिल रहा है. लेकिन आज सुबह के वक़्त दिल्ली और एनसीआर का AQI तो काफी ज़्यादा है.
स्मॉग ना होने से विजिबिलिटी में भी कमी नहीं आई है. पिछले कुछ दिनों में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ता हुआ दिख रहा है. दिल्ली के प्रमुख इलाकों की बात करें तो आनंद विहार में एक्यूआई 484, मुंडका में 470, ओखला फेज 2 में 465, वरीजपुर में 468 दर्ज किया गया.
क्या होता है AQI- Air Quality Index, कैसे करता काम? Air Quality Index या फिर हिंदी में कहें तो वायु गुणवत्ता सूचकांक, यह दरअसल एक नंबर होता है जिसके जरिए हवा का गुणवत्ता पता लगाया जाता है. साथ इसके जरिए भविष्य में होने वाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है.
हर देश का Air Quality Index वहां मिलने वाले प्रदूषण कारकों के आधार पर अलग अलग होता है. भारत में एक्यूआई को मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरोमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज ने लॉन्च किया. इसे 'एक संख्या, एक रंग, एक विवरण' के आधार पर लॉन्च किया गया था. दरअसल देश में अभी बहुत बड़ी आबादी है जो शिक्षित नहीं है, इस लिए उन्हें प्रदूषण की गंभीरता को समझाने के लिए इसमें रंगों को भी शामिल किया गया.
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एक्यूआई को इसकी रीडिंग के आधार पर छह कैटेगरी में बांटा गया है. 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है.
भारत में एक्यूआई आठ प्रदूषण कारकों (PM10, PM 2.5, NO2, SO2, CO2, O3, NH3 और Pb) के आधार पर तय होती है. पिछले 24 घंटे में इन कारकों मात्रा के आधार पर हवा की गुणवत्ता को बताता है. इसके लिए किसी भी शहर के अलग अलग जगहों पर इसे लगाया जाता है. इसकी रीडिंग के आधार पर लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिशा निर्देश भी जारी किए जाते हैं.
IQA | स्वास्थ्य प्रभाव | वायु गुणवत्ता और चेतावनी | |
0 - 50 | अच्छा | वायु गुणवत्ता को संतोषजनक माना जाता है, और वायु प्रदूषण कम या कोई जोखिम नहीं बनता है | कोई नहीं |
50 - 100 | मध्यम | वायु गुणवत्ता स्वीकार्य है; हालांकि, कुछ प्रदूषकों के लिए बहुत कम संख्या में लोगों के लिए एक मामूली स्वास्थ्य चिंता हो सकती है जो वायु प्रदूषण के लिए असामान्य रूप से संवेदनशील हैं। | सक्रिय बच्चों और वयस्कों, और अस्थमा जैसी श्वसन रोग वाले लोगों को लंबे समय तक आउटडोर परिश्रम सीमित करना चाहिए। |
100 - 150 | अस्वास्थ्यकर संवेदनशील समूहों के लिए | संवेदनशील समूहों के सदस्यों को स्वास्थ्य प्रभाव का अनुभव हो सकता है। आम जनता को प्रभावित होने की संभावना नहीं है। | सक्रिय बच्चों और वयस्कों, संकेतक कैसे काम करता है और अस्थमा जैसी श्वसन रोग वाले लोगों को लंबे समय तक आउटडोर परिश्रम सीमित करना चाहिए। |
150 - 200 | अस्वस्थ | हर किसी को स्वास्थ्य प्रभाव का अनुभव करना शुरू हो सकता है; संवेदनशील समूहों के सदस्यों को अधिक गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव का अनुभव हो सकता है | सक्रिय बच्चों और वयस्कों, और अस्थमा जैसी श्वसन रोग वाले लोगों को लंबे समय तक आउटडोर परिश्रम से बचना चाहिए; हर कोई, विशेष रूप से बच्चों को, लंबे समय तक आउटडोर परिश्रम सीमित करना चाहिए |
200 - 300 | बहुत अस्वस्थ | आपातकालीन स्थितियों की स्वास्थ्य चेतावनियां। पूरी आबादी प्रभावित होने की अधिक संभावना है। | सक्रिय बच्चों और वयस्कों, और अस्थमा जैसी श्वसन रोग वाले लोगों को सभी बाहरी परिश्रम से बचना चाहिए; हर कोई, खासकर बच्चों को, बाहरी परिश्रम को सीमित करना चाहिए। |
300 - 500 | खतरनाक | स्वास्थ्य चेतावनी: हर किसी को अधिक गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव का अनुभव हो सकता है | हर किसी को सभी बाहरी परिश्रम से बचना चाहिए |
Published at : 09 Nov 2020 11:30 AM (IST) Tags: Delhi air quality index Delhi pollution Smog Air Quality Index हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
Alligator Indicator in Hindi
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए कई तरह के टेक्निकल इंडिकेटर प्रदान किए जाते है तो आपको मार्केट के ट्रेंड और अलग-अलग मार्केट मूवमेंट का संकेत देते है । आज इस लेख में ऐसे ही एक इंडिकेटर alligator indicator in hindi में विस्तार में बात करेंगे।
एलीगेटर का नाम सुनकर आपके दिमाग में जानवर की पिक्चर बन रही होगी लेकिन उसे जानवर के मुँह, जबड़े की तरह का आकर जब शेयर मार्केट चार्ट में बनता है तो वह आपको आने वाले ट्रेंड और प्राइस की जानकारी प्रदान करता है ।
एलीगेटर इंडिकेटर को पहली बार “बिल एम. विलियम्स” द्वारा 1995 में अपनी पुस्तक “ट्रेडिंग चाओस” में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया था। इस बुक में विलियम्स ने ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग की दुनिया को विस्तृत रूप से समझाया है।
बिल विलियम्स ने एलीगेटर इंडिकेटर के अलावा, Accelerator/Decelerator Oscillator, Awesome Oscillator, Fractals Indicator, Gator oscillator जैसे इंडियकटर्स को दुनिया के सामने पेश किया था।
एलीगेटर इंडिकेटर का परिचय
अपनी सर्च से विलियम्स ने पाया की मार्केट में ट्रेंड सिर्फ 20% से 30% समय के लिए ही होता है और 70% से 80% के लिए मार्केट sideways यानी चोप्पी रहती है। इसीलिए उन्होंने एलीगेटर इंडिकेटर को प्रस्तुत किया जो आपको यह समझने में मदद करता है की बाज़ार ट्रेंड की स्थिति है या sideways, जिससे आप टेक्निकल एनालिसिस (technical analysis in hindi) कर ट्रेड करने की सही पोजीशन ले सकते है। इसका नाम एलीगेटर भी इसलिए रखा गया क्योंकि एक घड़ियाल काफी समय तक शांत रहता है और भूख लगने पर मुँह खोलता है।
ये तो पता चल गया की ये इंडिकेटर आपको आने वाले ट्रेंड की जानकारी देता है लेकिन ये किस तरह से बनता और इसको कैलकुलेट कैसे किया जाता है । एलीगेटर इंडिकेटर में तीन मूविंग रेखाएं होती है, जिन्हें जबड़ा, दांत और होंठ कहा जाता है।
- जबड़ा: ये 13-पीरियड मूविंग एवरेज के डेटा से बनाया गया है और चार्ट पर ब्लू लाइन का प्रयोग करके दर्शाया जाता है।
- दांत: रेड लाइन से ये आपको 8-पीरियड के मूविंग एवरेज की जानकारी प्रदान करता है।
- होंठ: 5-पीरियड का मूविंग एवरेज जो ग्रीन लाइन से दिखाया जाता है।
ये तीनो लाइन आपको मार्केट के बारे में काफी जानकारी देता है और अक्सर ट्रेडर को एक सही प्राइस में ट्रेड करने में लाभदायक होता है ।
एलिगेटर इंडिकेटर का उपयोग कैसे करते है
एक जानवर के भाँती इस इंडिकेटर में तीन तरह के संकेत होते है जिससे स्लीपिंग, जागृत और भूखा इंडिकेटर का नाम दिया गया है । अब इसका तातपर्य क्या है उसके बारे में नीचे दिया गया है:
स्लीपिंग एलीगेटर
स्लीपिंग एलीगेटर का मतलब होता है की एलिगेटर अभी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं कर रहा है। जब एलीगेटर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता तब लाल , हरी और नीली रेखाएं एक दूसरे के बिल्कुल पास होती है या आपस में जुडी होती है तो उस समय मार्केट में अपट्रेंड और डाउनट्रेंड का अभाव होता है। इस तरह की स्थिति को चोप्पी मार्केट भी कहा जाता है।
जागृत एलीगेटर
जागृत एलिगेटर का मतलब है की एलीगेटर अब उठ गया है और अब कोई प्रतिक्रिया करेगा इसीलिए जब लाल और नीली मूविंग रेखाएं एक ही दिशा में बढ़ती है और हरी मूविंग रेखा उनके बीच से होकर गुजरती है तो इससे यह पता चलता है की मार्केट में अब ट्रेंड बनने वाला है। यह ट्रेंड ऊपर की ओर भी जा सकता है और नीचे की तरफ भी जा सकता है।
भूखा एलीगेटर
भूखे एलिगेटर का मतलब है की एलिगेटर को भूख लगी है और अब शिकार करने के लिए अपना मुँह खोलेगा। ऐसी स्थिति में हरी रेखा , लाल रेखा के ऊपर मूव होती है और लाल रेखा नीली रेखा के ऊपर होती है तो मार्केट में अपट्रेंड शुरू हो जाता है।
लेकिन जब इन रेखाओं का क्रम उल्टा हो जाता है तो मार्केट में डाउनट्रेंड शुरू हो जाता है।
एलिगेटर इंडिकेटर से शेयरों को खरीदना और बेचना
एलीगेटर इंडिकेटर से निवेशक मार्केट में शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए संकेत की सहायता लेते है।
शेयर कब ख़रीदे : जब एलीगेटर जागता है तो शिकार के लिए अपना मुँह खोलता है। जब एलीगेटर अपना मुँह खोलता है तो चार्ट में सभी रेखाएं अलग-अलग हो जाती है।
जब हरी लाइन, लाल रेखा के ऊपर और लाल रेखा नीली मूविंग एवरेज से ऊपर आती है तो मार्केट में अपट्रेंड शुरू होने लगता है। जिसका मतलब है की आप अभी शेयर को खरीद सकते है।
शेयर कब बेचे : जब एलीगेटर इंडिकेटर में हरी रेखा ,लाल रेखा और नीली रेखा के नीचे होती है तो उस समय आपको अपने शेयरों को बेच देना चाहिए। क्योंकि उस समय मार्केट sideways की स्थिति में चली जाती है।
शेयर कब होल्ड करे: जब तीनो रेखाएं एक दूसरे के काफी नज़दीक होती है तो उस समय किसी भी तरह का निर्णय नहीं लेना चाहिए और अगर आपने स्टॉक ख़रीदा हुआ है तो इस समय उसे बेचने का निर्णय नहीं संकेतक कैसे काम करता है लेना चाहिए ।
निष्कर्ष
आशा करते है की यह लेख आपको (alligator indicator in hindi) एलिगेटर इंडिकेटर को में समझने में आपकी मदद करेगा। एलीगेटर इंडिक्टर क्योंकि कम समय वाले चार्ट में एक सही संकेत नहीं देता है इसलिए इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए लाभदायक नहीं होता है । तो अगर आप स्विंग या पोसिशनल ट्रेड करना चाह रहे है तो इस इंडिकेटर का इस्तेमाल कर मार्केट में एक सही निर्णय ले सकते है।
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IC15: भारत का पहला Cryptocurrency Index लॉन्च, जानें क्या है ये और कैसे करता है काम
ग्लोबल क्रिप्टो सुपर एप्लीकेशन CryptoWire ने भारत का पहला cryptocurrencies इंडेक्स IC15 लॉन्च किया है. ये इंडेक्स दुनिया से सबसे अधिक ट्रेड होने वाली cryptocurrencies की परफॉर्मेंस को ट्रैक करेगा.
आपको बता दें कि TickerPlan का स्पेशल बिजनेस यूनिट CryptoWire है. पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी एसेट्स बन कर उभरा है. इसे ज्यादा लोग स्वीकार कर रहे हैं और इसकी लोकप्रियता भी काफी बढ़ रही है.
ये इंडेक्स 80 परसेंट मार्केट मूवमेंट को कैप्चर करता है. ये फंडामेंटल मार्केट ट्रैकिंग और एसेसिंग टूल है जो डिसीजन पर बेस्ड है और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ाता है. CryptoWire की इंडेक्स गवर्नेंस कमिटी जिसमें डोमेन एक्सपर्ट्स, इंडस्ट्री प्रैक्टिसनर शामिल होंगे, वो इंडेक्स को मेटेंन, मॉनिटर और एडमिनिस्ट्रेट करेंगे. इसे प्रत्येक तिमाही में रिबैलैंस किया जाएगा.
IC15 में Bitcoin, Ethereum, XRP, Bitcoin Cash, Cardano, Litecoin, Binance Coin, Chainlink, Polkadot, Uniswap, Dogecoin, Solana, Terra, Avalanche और Shiba Inu शामिल होंगे.
मुंबई-बेस्ड कंपनी IC15 को क्रिप्टो माइनिंग के इनसाइट को प्रोवाइड करने के लिए डिजाइन किया गया है. ये क्रिप्टो मार्केट का सही बेंचमार्क भी यूजर्स को देगा. इस इंडेक्स से इनवेस्टर्स और इनवेस्टमेंट मैनेजर्स क्रिप्टोकरेंसी की ग्लोबल मार्केट परफॉर्मेंस पर नजर रख पाएंगे.
आपको बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी का चलन भारत में भी खूब बढ़ा है. कई प्लेटफॉर्म के जरिए इसमें लोग इनवेस्ट कर रहे हैं. हालांकि, सरकार इस पर बिल लाने वाली थी लेकिन इस संसद सत्र में क्रिप्टो बिल को पेश नहीं किया गया.
तय हो गया इस साल का Cost Inflation Index, आखिर कैसे काम करता है ये और टैक्स बचाने में कितना मददगार
टैक्स प्लानिंग में सीआईआई (Cost Inflation Index) का बहुत महत्व है. कैपिटल गैन्स के निर्धारण में इसकी मुख्य भूमिका . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 17, 2022, 14:40 IST
नई दिल्ली. वार्षिक आधार पर गुड्स और एसेट्स की औसतन कीमतों में इनफ्लेशन या डिफ्लेशन की वजह से हुए बदलाव की जानकारी देने वाले कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) का डेटा अब आ चुका है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा 14 जून को जारी डेटा से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 में सीआईआई अब बढ़कर 331 हो चुका है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 317 था. इस तरह वार्षिक आधार पर कंज्यूमर गुड्स और एसेट्स की कीमतों में 4.42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
एसेट की इनफ्लेशन-एडजस्टेड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन जानने के लिए सीआईआई वैल्यू का इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है टैक्स प्लानिंग में सीआईआई का बहुत महत्व है. कैपिटल गैन्स के निर्धारण में इसकी मुख्य भूमिका होती है. सीआईआई से ही निर्धारित किया जाता है कि किसी प्रॉपर्टी या एसेट को बेचने पर हुए मुनाफे पर आपको कितना कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा.
ऐसे होता है सीआईआई का उपयोग
मनीकंट्रोल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार सीआईआई का इस्तेमाल रियल एस्टेट, गोल्ड सहित इनवेस्टमेंट्स और एसेट के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) के कैलकुलेशन के लिए किया जाता है. CII की वैल्यू से आप किसी एसेट की सेल पर हुए रियल गेन को जान सकते हैं. जब आप कैपिटल एसेट या प्रॉपर्टी बेचते हैं तो आपको कैपिटल गैन्स टैक्स देना होता है. यह टैक्स बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के अंतर पर लगता है.समय के साथ किसी प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ जाती है. इस वजह से उसकी बिक्री भी ज्यादा कीमत पर होती है. इससे सेल प्राइस और कॉस्ट प्राइस में अंतर बढ़ जाता है. लेकिन, ज्यों-ज्यों समय के साथ प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ती है, वैसे ही इनफ्लेशन के कारण पैसे की वैल्यू भी गिर जाती है.
इसलिए अब अगर आप उसी प्रॉपर्टी को खरीदते हैं तो आपको ज्यादा दाम देने होंगे. इस इनफ्लेशन के चलते आपका असल गेन उतना नहीं होता है जितना दिखता है. आपका गेन मार्केट प्राइस में हुई बढ़ोतरी है, जिस पर आपको टैक्स चुकाना होता है. करदाताओं को राहत देने के लिए सरकार इनफ्लेशन के इस बेनेफिट का लाभ टैक्सपेयर को CII के जरिए देती है. सीआईआई कृत्रिम रूप से आपकी प्रॉपर्टी या एसेट का कॉस्ट प्राइस बढ़ा देता है. इससे सेल प्राइस और कॉस्ट प्राइस में अंतर कम हो जाता है. इससे कैपिटल गेन्स टैक्स घट जाता है. यही कारण है कि टैक्स प्लानिंग के लिए सीआईआई बहुत जरूरी है
इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स की गणना कके लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट एसेसी को इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन को ध्यान में रखने की इजाजत देता है. उदाहरण के लिए किसी प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर होने वाले गेंस पर आपको कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होता है. अगर कोई व्यक्ति खरीदने के दो साल के पहले बेच देता है तो उससे हुए गेन्स को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) माना जाता है.
एसटीसीजी को व्यक्ति की आय में जोड़ दिया जाता है. फिर इस पर व्यक्ति के टैक्स-स्लैब के हिसाब से कर लगता है. अगर व्यक्ति प्रॉपर्टी दो साल से ज्यादा समय तक रखने के बाद बेचता है तो उसे हुए लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स माना जाता है. इस पर इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी टैक्स लगता है. प्रॉपर्टी के LTCG को कैलकुलेट करने के लिए व्यक्ति को प्रॉपर्टी के इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन की गणना करनी होती है.
ऐसे होती है गणना
इसके लिए प्रॉपर्टी या एसेट की सेल जिस साल होती है उस साल की सीआईआई वैल्यू को कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन से गुणा किया जाता है. फिर इसमें जिस साल प्रॉपर्टी खरीदी गई थी, उस साल की सीआईआई वैल्यू से विभाजित (Divide) किया जाता है. मान लीजिए आपने 2010-11 में एक घर 50 लाख रुपये में खरीदा था. आपने इसे 2020-21 में एक करोड़ रुपये में बेच दिया. इसका इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन कैलकुलेट करने के लिए आपको 2010-11 और 2020-21 की सीआईआई वैल्यू जाननी होगी.
यह आपको आयकर विभाग की वेबसाइट पर मिलती है. प्रॉपर्टी खरीदने के साल में सीआईआई 167 था. प्रॉपर्टी बेचने के साल में यह 301 हो गया. इस तरह इस प्रॉपर्टी का इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन 90,11,976 [50,00,000 x (301/167)] होगा. इस तरह आपका LTCG ₹9,88,023 (1,00,00,000 – 90,11,976) होगा. इस अमाउंट पर आपको LTCG चुकाना होगा.
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