स्मार्ट मनी: बैंक एफडी से ज्यादा रिटर्न पाने का तरीका
फिक्स्ड डिपोजिट में जोखिम नहीं होता लेकिन इसमें मिलने वाला रिटर्न कई बार महंगाई के मुकाबले कम होता है. ऐसी स्थिति में इसे पूंजी का ह्रास ही कहेंगे.
संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर
- 09 अगस्त 2018,
- (अपडेटेड 09 अगस्त 2018, 7:33 PM IST)
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी ने महंगे कर्ज की जमीन तैयार कर दी. लेकिन दूसरी ओर जमा पर ब्याज दरें बढ़ने का रास्ता भी खोल दिया. बीते एक हफ्ते में देश दो दिग्गज बैंकों (एसबीआइ और एचडीएफसी) चुनिंदा अवधि के फिक्सड डिपॉजिट (एफडी) पर मिलने वाले ब्याज की दरों में बढ़ोतरी की है. निवेशकों के बीच एफडी में निवेश, जोखिम रहित विकल्पों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि 5 साल से ज्यादा की एफडी कराने पर टैक्स बेनेफिट भी मिलता है. हालांकि इस निवेश से बचने की सलाह देते हैं.
एफडी करवाने से क्यों बचें?
-एफडी में निवेश जोखिम रहित होता है. लेकिन इसपर मिलने वाला रिटर्न कई बार महंगाई की तुलना में कम होता है. देश में नीतिगत दरें (रेपो रेट) निचले स्तर पर होती हैं तो बैंक जमा पर ब्याज दरों को घटा देते हैं. ऐसे में एफडी पर मिलने वाला रिटर्न महंगाई की तुलना में कम हो जाता है. ऐसा कोई भी निवेश जो महंगाई की तुलना में कम हो परोक्ष रूप से पूंजी का ह्रास करता है.
-एफडी में निवेश पर मिलने का रिटर्न आय की तरह जोड़ा जाता है, जो करयोग्य होता है. अगर कोई निवेशकर्ता कर योग्य आय के दायरे में आता है तो एफडी पर मिलने ब्याज उसकी आय और टैक्स की देनदारी को और बढ़ा देता है.
फाइनेंनशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी कहते हैं पहले महंगाई से लड़ने वाला रिटर्न न मिल पाना और फिर रिटर्न में मिलने वाली राशि का करयोग्य होना ये दो कारण एफडी में निवेश को बेहतर नहीं बनाते. आम निवेशक इसको नहीं जान पाते हैं. वे जोखिम रहित निवेश, कभी भी एफडी तोड़वाने की सुविधा जैसे फीचर्स के चलते एफडी का रुख करते हैं.
एफडी नहीं तो विकल्प क्या?
सोलंकी मानते हैं कि एफडी से ज्यादा बेहतर होगा कि निवेशक म्युचुअल फंड्स में निवेश करें. लंबी अवधि के लिए जहां एक ओर इक्विटी म्युचुअल फंड्स का विकल्प है, वहीं दूसरी ओर छोटी से मध्यम अवधि के लिए डेट, लिक्विड या अल्ट्रा शॉर्ट टर्म म्युचुअल फंड्स का रुख किया जा सकता है. इससे निवेशक को सीधे तौर पर दो फायदे होंगे.
पहला, निवेश पर मिलने वाला रिटर्न एफडी की तुलना में ज्यादा होगा. वहीं दूसरी ओर रिटर्न पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का फायदा मिलेगा. सोलंकी कहते हैं कि म्युचुअल फंड्स की अलग-अलग कैटेगरी में कई तरह के विकल्प मौजूद हैं. जहां कोई निवेशक एक हफ्ते, 6 महीने या फिर कुछ वर्षों के लिए भी निवेश कर सकता है. डेट म्युचुअल फंड में जोखिम भी सीमित होता है.
ऐसे में निवेशकों के लिए बेहतर होगा कि अपने निवेश के लिए एफडी का रुख न करके म्युचुअल फंड्स में उपलब्ध विकल्प को तलाशें.
काम की बात: FD कराने से पहले इन बातों का रखें विशेष ध्यान, वरना हो सकता है आपको बड़ा नुकसान
भारत की एक बड़ी मिडिल क्लास आबादी निवेश के क्षेत्र में फिक्स्ड डिपॉजिट में ही अपने पैसों को इन्वेस्ट करती है। वे अपनी सेविंग्स पर एक अच्छा रिटर्न पाने के लिए निवेश के रूप में फिक्स्ड डिपॉजिट को ही एक बेहतर विकल्प मानते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स देने वाले हैं, जिनका FD करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते, तो ज्यादा संभावना फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करने के स्मार्ट तरीके है कि आपको एक बड़ा नुकसान हो सकता है। इसी सिलसिले में आइए जानते हैं उन टिप्स के बारे में -
अगर आपने अपने पैसों को फिक्स्ड डिपॉजिट करने का प्लान बना लिया है, तो FD की अवधि के बारे में अच्छी तरह से जानकारी जुटाएं। अगर आप बीच में ही अपनी एफडी को तोड़ते हैं, तो बैंक आपसे कुछ प्रतिशत जुर्माना भी ले सकता है। ऐसे में फिक्स्ड डिपॉजिट करने से पहले उसकी अवधि के बारे में अच्छे से सोच लें। इससे आपको लॉन्ग टर्म में काफी फायदा होगा।
अगर आप एक बड़ी रकम की FD करने जा रहे हैं, तो उसे एक ही FD में जमा ना करें। आप उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में कई सारी FD में बांट लीजिए और विभिन्न बैंकों में उसकी एफडी करवाएं। इससे ये फायदा होगा कि जब आपको पैसों की जरूरत होगी, तब आप आसानी से एक या दो FD को ब्रेक करवा कर निकाल सकेंगे। वहीं आपकी बाकी FD सही सलामत ग्रो करती रहेगी। इससे आप एक बड़े नुकसान से बच सकते हैं।
फिक्स्ड डिपोजिट क्या है, FD में क्यों करें निवेश? ज्यादा लाभ लेने के कुछ स्मार्ट टिप्स
कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण सेविंग्स का महत्व बढ़ गया है। फिक्स्ड डिपोजिट (FD) पैसों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ सुनिश्चित रिटर्न पाने के सबसे आसान तरीकों में से एक है।
पैसों को अच्छी तरह इन्वेस्ट करने पर जिम्मेदारियों और जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जरूरी रकम तैयार करने में मदद मिल सकती है। मौजूदा कोविड-19 वैश्विक-महामारी के कारण सेविंग्स का महत्व बढ़ गया है। फिक्स्ड डिपोजिट (FD) अपने पैसों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ सुनिश्चित रिटर्न पाने के सबसे आसान तरीकों में से एक है। FD इंटरेस्ट रेट कम होने के बावजूद, फाइनेंसियल मार्केट्स में हालिया उथल-पुथल के कारण लोगों को अपने पैसों को सुरक्षित रखने और सुनिश्चित रिटर्न पाने का महत्व समझ में आ गया है। यह मुश्किल समय के लिए पैसे बचाकर रखने का बढ़िया तरीका है। बैंक डिपोजिट पर ज्यादा-से-ज्यादा लाभ कमाने के लिए निम्नलिखित टिप्स और ट्रिक्स का इस्तेमाल करें।
फिक्स्ड डिपोजिट क्या है?
यह एक लम्प सम इन्वेस्टमेंट है जिसके तहत एक बैंक/कंपनी में एक फिक्स्ड पीरियड के लिए पैसे रखने पड़ते हैं। बैंक के लिए यह एक डेब्ट के समान होता है जिस पर उसे समय-समय पर या डिपोजिट टेन्योर के अंत में इंटरेस्ट देना पड़ता है। टेन्योर के अंत में इंटरेस्ट के साथ इन्वेस्टमेंट अमाउंट भी वापस मिल जाता है। FD दो तरह के होते हैं - क्यूमुलेटिव और नॉन-क्यूमुलेटिव। क्यूमुलेटिव FD में, प्रिंसिपल अमाउंट के साथ-साथ इंटरेस्ट अमाउंट पर भी इंटरेस्ट जुड़ता रहता है जो FD टेन्योर के अंत में वापस मिलता है। नॉन-क्यूमुलेटिव FD में, हर महीने, हर तीन महीने, या हर साल, इंटरेस्ट दे दिया जाता है।
FD में क्यों इन्वेस्ट करें?
FD रिटर्न, इन्वेस्टमेंट टेन्योर पर डिपेंड करता है जो 7 दिन से 10 साल तक का होता है। मिनिमम इन्वेस्टमेंट अमाउंट, अलग-अलग बैंक में अलग-अलग होता है जो 1,000-5,000 रुपए तक होता है। इंटरेस्ट रेट, अलग-अलग बैंक और टेन्योर पर डिपेंड करता है जो 2.35-10% प्रतिवर्ष तक हो सकता है जो रेगुलर सेविंग्स बैंक अकाउंट्स से ज्यादा ही होता है। यह एक कम रिस्की इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है जो रिस्क-परहेजी इन्वेस्टर्स के लिए अच्छा होता है। इसका सबसे बड़ा रिस्क, आपके डिपोजिट वाले बैंक या कंपनी की बर्बादी या फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करने के स्मार्ट तरीके दिवालियापन से जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए, पिछले साल एक सहकारी बैंक के साथ भी ऐसा ही हुआ था जब RBI ने उसमें एक धोखाधड़ी का पता चलने पर उस पर कुछ पाबंदियां लगा दी थी। इससे बैंक डिपोजिटर्स अपनी सेविंग्स नहीं निकाल पा रहे थे। हर इन्वेस्टमेंट की तरह FD में भी कुछ रिस्क होता है जो मार्केट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट्स जैसे शेयर और म्यूच्यूअल फंड्स की तुलना में बहुत कम होता है।
ज्यादा-से-ज्यादा लाभ उठाने की रणनीति
अपने FD को डाइवर्सिफाई करें: एक से अधिक बैंकों में डिपोजिट करना, FD में इन्वेस्ट करने का बढ़िया तरीका है। सरकारी और प्राइवेट बैंकों के FD पर 3-7% रिटर्न मिलता है लेकिन कई सहकारी और छोटे बैंकों के इंटरेस्ट रेट उनसे 1-2% अधिक होते हैं। यदि आप ज्यादा इन्वेस्ट करना चाहते हैं और आपकी रिस्क उठाने की क्षमता अधिक है तो आप अपने रिस्क का मूल्यांकन करने के बाद कम और ज्यादा रिटर्न देने वाली डिपोजिट स्कीमों में FD कर सकते हैं। यदि आप ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो आप छोटे बैंकों में FD कर सकते हैं। लेकिन बैंक की स्टेबिलिटी के बारे में जान लें और अपने रिस्क को जाने लें।
FD लैडरिंग: यह FD का ज्यादा-से-ज्यादा लाभ उठाने का एक बढ़िया तरीका है। इससे आप अलग-अलग मैच्योरिटी वाले एक से अधिक इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में इन्वेस्ट करके एक इन्वेस्टमेंट लूप तैयार कर सकते हैं। आप अपने लम्प सम इन्वेस्टमेंट अमाउंट को अलग-अलग मैच्योरिटी वाले एक से अधिक FD में डिपोजिट कर सकते हैं। FD लैडरिंग, लम्बे समय में इंटरेस्ट रेट को एवरेज करने और भविष्य में ज्यादा इंटरेस्ट का लाभ उठाने में मदद करता है। फाइनेंसियल इमरजेंसी आने पर, आप अपनी जरूरत के अनुसार किसी एक FD को तोड़ सकते हैं। इससे लिक्विडिटी को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद मिलती है। FD को समय से पहले तोड़ा जा सकता है लेकिन उस पर बैंक/कंपनी के नियमों एवं शर्तों के आधार पर उसके इंटरेस्ट पर एक पेनाल्टी देनी पड़ती है। FD लैडरिंग, समय से पहले FD तोड़ने से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है।
आइदर या सर्वाइवर मोड वाला FD: कोई FD अकाउंट खोलते समय, आप यह मोड या ऑप्शन चुन सकते हैं ताकि इमरजेंसी में पैसे की समस्या न रहे। इसके लिए, आप एक भरोसेमंद फैमिली मेंबर के साथ जॉइंट FD कर सकते हैं जो इमरजेंसी में आपकी गैर-मौजूदगी में FD का इस्तेमाल कर सके।
स्मार्ट सेविंग के 6 टिप्स… बैंक में जमा पैसा बढ़ता नहीं, घटता है! फिर कहां करें निवेश
अच्छे रिटर्न के लिए कहां लगाएं पैसा. क्या बैंक में सेविंग अकाउंट में रखें या एफडी में जमा करें. क्या इससे बढ़ती महंगाई को मात दी जा सकेगी? संभावना कम है क्योंकि बैंक या एफडी महंगाई दर से भी कम ब्याज देते हैं. फिर कहां लगाएं पैसा और कमाएं, जानिए
क्या आपने सोचा है कि बैंक में जमा आपका पैसा कितना रिटर्न देता है? अगर रिटर्न देता है तो उसे महंगाई दर से जोड़ कर आपने कभी फायदे का हिसाब निकाला है? अगर नहीं तो यह काम एक बार कर लें. पता करें कि बैंक में जमा पैसे पर मिलने वाला 4 परसेंट का ब्याज 6 परसेंट की महंगाई दर के आगे कितना टिकता है. यह भी जानकारी ले लें कि जिस हिसाब से महंगाई बढ़ती है, क्या उस हिसाब से आपके पैसे पर ब्याज बढ़ता है. इसका जवाब ना में है. सेविंग बैंक अकाउंट में आपका पैसा जमा हो या फिक्स्ड डिपॉजिट में, महंगाई दर के आगे इस जमा पूंजी की अहमियत न के बराबर है. फिर क्या करें कि पैसा जमा भी हो और आज के जमाने के हिसाब से रिटर्न मिले?
इससे जानने से पहले कुछ आंकड़ों पर गौर करें. बैंक के सेविंग अकाउंट में जमा पैसे पर अंततः किसी ग्राहक को 3-4 परसेंट का ब्याज मिलता है. यही ब्याज मूलधन के साथ जुड़कर कमाई होती है. फिक्स्ड डिपॉजिट पर 5-6 परसेंट का ब्याज चल रहा है. इसे सुपर हाई रिटर्न नहीं मान सकते, लेकिन उनके लिए ठीक है जिनके पास जमा के नाम पर कुछ नहीं है. लेकिन सोचिए कि बैंक में जमा यह पैसा आपको कितना गरीब बना रहा है. इसका जवाब महंगाई दर है. भारत दुनिया में उन देशों में शामिल है जहां सबसे ज्यादा महंगाई है. यह महंगाई गरीब से लेकर अमीर सबको परेशान करती है.
इस पर गौर करें
एफडी को भारत में बहुत अच्छा साधन मानते हैं. लेकिन क्या कभी सोचा है कि टैक्स आदि देने के बाद आपके हाथ में महज 4-4.5 परसेंट का ही रिटर्न मिलता है. जबकि महंगाई उससे दो परसेंट ज्यादा 6 फीसद पर है. यह कम न होकर कुछ ज्यादा ही है. अगर आप मेट्रो सिटी में रहते हैं तो यह महंगाई और भी ज्यादा हो सकती है. इसका मतलब हुआ कि 6 परसेंट महंगाई के आगे बैंक में 4 परसेंट पर जमा आपका पैसा दिनोंदिन कमजोर हो रहा है. उसमें 2 परसेंट की गिरावट दर्ज हो रही है. अगर 10-15 साल तक बैंक में वह पैसा छोड़ दें तो आपकी परचेजिंग पावर 20-30 परसेंट तक घट सकती है. ऐसे में इसका उपाय क्या है. आइए जानते हैं.
1-फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें
आप अपने पैसे से ज्यादा से ज्यादा कमाई पा सकें, इसके लिए किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें. एडवाइजर बताएगा कि आप पैसा कहां लगाएं और जितनी राशि आपके हाथ में है, उसे किसी फंड या क्रिप्टो आदि में लगाकर कमाई कर सकते हैं. निवेशक आपको इक्विटी इनवेस्टिंग के बारे में बताएगा जिसमें आप कम पैसे लगाकर ज्यादा कमाई कर सकते हैं.
2-पहले निवेश, फिर खर्च, अंत में सेविंग
यह सेविंग का सबसे अच्छा फंडा माना जाता है. जैसे ही सैलरी अकाउंट में आती है या हाथ में चेक आता है, ज्यादातर लोग खर्च शुरू कर देते हैं और बाद में निवेश करते हैं. इससे बचें और निवेश का सही तरीका अपनाएं. जरूरी है सैलरी का 25 परसेंट हिस्सा कहीं निवेश करें और उसके बाद ही अपने खर्च का काम शुरू करें. इससे आपके निवेश का अनुशासन बनेगा और समय के साथ आप बचत करना सिखेंगे.
3-आहिस्ता निवेश करें
निवेश करने में जल्दी न करें. ऐसा नहीं कि पैसा आते ही कहीं लगा दें और जब खुद की जरूरत पड़े तो कहीं से मांगना पड़े. निवेश अगर आहिस्ते हो तो उसका रिटर्न तेजी से मिलता है. इसके लिए म्यूचुअल फंड का एसआईपी ले सकते हैं. लॉन्ग टर्म में एसआईपी रिटर्न का अच्छा स्रोत है और इसमें 500 रुपये से भी निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में पैसे लगा रहे हैं तो पोर्टफोलियो के बारे में किसी जानकार से राय लेकर निवेश शुरू करें.
4-इंडेक्स फंड से शुरुआत करें
म्यूचुअल फंड या एसआईपी में पैसा लगाना चाहते हैं, लेकिन पता नहीं है कि कहां पैसा लगाना है. ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा रहेगा कि इंडेक्स फंड में पैसे लगाएं. इंडेक्स फंड बहुत ही सरल, सस्ता और लंबी अवधि के लिए टिकाऊ होता है. इसका फायदा समय के साथ उठा सकते हैं.
5-गोल्ड और रियल एस्टेट भी सही है
निवेश में फायदे के हिसाब से गोल्ड और रियल एस्टेट भी लाभ का सौदा हो सकता है. ये दोनों ऐसे स्रोत हैं जिन पर महंगाई का असर कम पड़ता है. महंगाई अपनी राह चलती है, लेकिन गोल्ड और रियल एस्टेट की कमाई अपनी राह. ये दोनों सेक्टर ऐसे हैं जिसमें निवेशकों के साथ थोखा कम होता है. जितना लगाया, उस हिसाब से रिटर्न मिल ही जाता है.
6- ऊंचे लाभ के झांस में न आएं
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट बताती है, निवेश करने चलें तो यह मान लें कि बाजार में कई ऐसे उस्ताद बैठे हैं जिनकी निगाह आपकी पूंजी पर है. कई निवेशक ऊंचे लाभ के लिए डेट प्रोडक्ट के झांसे में आ जाते हैं. शुरू में हो सकता है कि कुछ लाभ ऊंचे दर पर मिल जाए, लेकिन बाद में समूची पूंजी डूबने की नौबत आ सकती है. निवेशक को जानना चाहिए कि जहां ऊंचा ब्याज देने की बात हो रही है, वहां रिस्क भी काफी ऊंचा होगा. ऐसे में हाई रिस्क डेट इंस्ट्रूमेंट से बचें और सावधानी से निवेश करें.
5.75% ब्याज, लोन की सुविधा.. बड़े काम की PNB की ये डिपॉजिट स्कीम
PNB flexi recurring deposit scheme: बता दें कि फिक्स्ड की तरह रेकरिंग डिपॉजिट पर भी बैंक ब्याज देते हैं। आज हम आपको पंजाब नेशनल बैंक के flexi रेकरिंग डिपॉजिट के बारे में जानकारी देंगे।
PNB flexi recurring deposit scheme: स्मार्ट वही है जो कमाई के साथ ही सेविंग्स पर भी ध्यान दे। अगर आप बचत करते हैं तो यह आपके भविष्य को सिक्योर करता है। कई ऐसे तरीके हैं जिसके जरिए निवेश कर आप बचत के साथ ही मुनाफा भी कमा सकते हैं। इनमें से एक सिक्योर तरीका बैंकों में डिपॉजिट होता है। फिक्स्ड की तरह रेकरिंग डिपॉजिट पर भी बैंक ब्याज देते हैं। आज हम आपको पंजाब नेशनल बैंक के flexi रेकरिंग डिपॉजिट के बारे में जानकारी देंगे।
क्या है स्कीम: बैंक के मुताबिक इस स्कीम में आप कम से कम 100 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा हर माह मैक्सिसम आपका निवेश 50 हजार रुपये का हो सकता है। इस योजना के लिए अकाउंट को आप कम से कम 6 माह और अधिकतम 120 माह यानी के लिए खोल सकते हैं। इस योजना की सबसे खास बात है कि इंस्टॉलमेंट चूक जाने की स्थिति में आपको पेनल्टी नहीं देनी होगी। वहीं, ब्याज दर 5.75% दी जा रही है।
खास बात है कि इस स्कीम के तहत बैंक ओवरड्राफ्ट और लोन की भी सुविधा देता है। इसके अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करने के स्मार्ट तरीके नॉमिनेशन की फैसिलिटी भी है। अगर आप भी योजना के तहत डिपॉजिट कर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो बैंक के नजदीकी ब्रांच में जाकर आवेदन दे सकते हैं।
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