Explainer: 'रुपया गिर नहीं रहा- डॉलर मज़बूत हो रहा' वित्तमंत्री के इस बयान पर क्या कहते हैं आंकड़े और एक्सपर्ट?
भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर है.
अमेरिकी डॉलर इस समय करीब 22 साल के उच्चतम स्तर पर ट्रेडिंग कर रहा और इसके मुकाबले दुनियाभर की करेंसी बौनी नजर आ रही ह . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : October 17, 2022, 17:35 IST
हाइलाइट्स
अमेरिकी डॉलर इस समय 22 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है.
दुनियाभर में होने व्यापारिक लेनदेन में 40 फीसदी हिस्सेदारी डॉलर की रहती है.
अगर डॉलर में 10 फीसदी की मजबूती आई है तो महंगाई 1 फीसदी बढ़ जाएगी.
नई दिल्ली. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले कमजोर होती भारतीय मुद्रा का बचाव करते हुए कहा था- ‘रुपया गिर नहीं रहा- डॉलर मज़बूत हो रहा’. उनके इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले गए और विपक्ष ने रुपये की अनदेखी और बढ़ते आर्थिक दबाव को लेकर निशाना भी साधा था. हालांकि, वित्तमंत्री के बयान को बड़े कैनवास पर देखा जाए तो यह काफी हद तक सही भी नजर आता है.
दरअसल, अमेरिकी डॉलर में आई मजबूती को अगर सिर्फ भारतीय रुपये के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो अधूरी तस्वीर ही सामने आती बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है है. जरूरी है कि इसे अन्य देशों की मुद्राओं से भी तुलना करनी चाहिए और फिर यह देखा जाए कि क्या वाकई रुपया कमजोर हो रहा. एक तरह से देखा जाए तो रुपया कमजोर हो या डॉलर मजबूत, इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर बखूबी पड़ेगा ही. लेकिन, हम वित्तमंत्री के बयानों का निहितार्थ हालिया आंकड़ों से निकालने की कोशिश करते हैं तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है. जनवरी से अब तक करीब 9 फीसदी गिरा है भारतीय रुपया.
क्या है डॉलर की असल मजबूती
अमेरिकी डॉलर इस समय 22 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है, जो साल 2000 के बाद उसका उच्चतम स्तर है. डॉलर इसलिए भी ज्यादा मजबूत हो रहा, क्योंकि दुनियाभर में होने व्यापारिक लेनदेन में 40 फीसदी हिस्सेदारी डॉलर की रहती है. डॉलर की मजबूती की वजह से ही भारत सहित तमाम देश महंगाई से जूझ रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर डॉलर में 10 फीसदी की मजबूती आई है तो महंगाई 1 फीसदी बढ़ जाएगी. हालांकि, इस दौरान ग्लोबल ट्रेड में अमेरिका की हिस्सेदारी 12 फीसदी से घटकर 8 फीसदी रह गई है.
डॉलर के मुकाबले भारत की स्थिति
अगर डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की स्थिति को देखा जाए तो साल 2022 में इसमें करीब 8.9 फीसदी की गिरावट दिखी है. 17 अक्तूबर, 2022 की सुबह डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की कीमत 82.36 रुपये थी. कोरोनाकाल में यह 70 रुपये के आसपास टिकी रही. पिछले एक दशकी की बात करें तो भारतीय मुद्रा में करीब 29 रुपये की गिरावट आई है. साल 2012 में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 53.43 पर थी. इसे थामने के लिए आरबीआई को अपने रिजर्व का इस्तेमाल करना पड़ा और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इस साल करीब 100 अरब डॉलर की गिरावट आई.
अन्य बड़े देशों के हालात
अगर हम अमेरिकी डॉलर के मुकाबले दुनिया की अन्य बड़ी करेंसी को देखें तो भारत की स्थिति कहीं ज्यादा मजबूत दिखाई देती है. साल 2022 में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 26.17 फीसदी टूटा है, जबकि ब्रिटिश पाउंड 20.9 फीसदी नीचे आया है. जापानी मुद्रा येन भी 20.05 फीसदी टूट गई है जबकि यूरो 14.9 फीसदी और चाइनीज मुद्रा 11.16 फीसदी नीचे आई है. ऑस्ट्रेलियन डॉलर भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10.4 फीसदी कमजोर हुआ है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कमोडिटी एक्सपर्ट और बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है केडिया एडवाइजरी के डाइरेक्टर अजय केडिया ने वित्तमंत्री के बयान को बिलकुल सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि अन्य देशों का ग्राफ देखें तो भारतीय मुद्रा काफी बेहतर स्थिति में है. हालांकि, एक साल में किसी मुद्रा के 9 फीसदी नीचे आने को हल्के में नहीं लिया जा सकता, लेकिन रुपये में आ रही गिरावट थामने के लिए की जा रही सरकार की कोशिशें सही रास्ते पर हैं और इसका बेहतर नतीजा भी दिखने लगा है.
50 साल में पहली बार बनी ऐसी गंभीर स्थिति
अजय केडिया का कहना है कि आज बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है हम रुपये में कमजोरी की बात तो कर रहे हैं, लेकिन उसके पीछे के कारणों को बड़े कैनवास पर नहीं देख रहे. जहां तक मेरा मानना है कि पिछले 50 साल में ऐसा पहली बार हुआ है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है जब मुद्रा पर दबाव बनाने वाले चारों बड़े कारण एकसाथ सामने आए हैं. पहले कोविड-19 की वजह से पूरी दुनिया पर दबाव बना और सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई. दूसरी, इकोनॉमिक क्राइसिस आई और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था गिर गई. तीसरी, रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से छोटे-बड़े सभी देश प्रभावित हुए और चौथा, महंगाई थामने के लिए हर केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहा है. इन चारों फैक्टर के एकसाथ आने से रुपया ही नहीं दुनियाभर की सभी मुद्राओं पर दबाव बना है.
क्या कदम उठा रही सरकार
भारतीय मुद्रा में सुधार लाने के लिए सरकार ने अपने स्तर से बड़े फैसले लिए हैं. इसके लिए सबसे जरूरी है कि निर्यात को बढ़ावा दिया जाए और आयात पर निर्भरता घटाई जाए. इस गणित को सॉल्व करने के लिए ही मोदी सरकार लगातार मेक इन इंडिया पर जोर दे रही, ताकि भारत दुनिया का निर्यात हब बन जाए. इसके लिए पहले कच्चे तेल पर खर्च करने को अमेरिका के खिलाफ जाकर रूस से आयात किया. जहां न सिर्फ सस्ता तेल मिला, बल्कि रुपये में भुगतान कर बड़ी बचत भी की. भारत सबसे ज्यादा सोने का आयात करता है और इस पर लगाम कसने के लिए ही सोने पर आयात शुल्क बढ़ा दिया. इसके अलावा खाद्य तेल पर आयात निर्भरता कम करने के लिए तिलहन फसलों पर एमएसपी बढ़ाई, जिसका असर बुआई रकबे में आए उछाल के रूप में देखा जा रहा.
डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपये का कुछ फायदा भी मिला है. इससे भारत को निर्यात के नए अवसर मिले और नए बाजार भी खुले. यही कारण है कि चालू वित्तवर्ष में 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य पार करने की संभावना भी दिख रही है. एक्सपर्ट का भी कहना है कि भारत जिस तरह से उत्पादन को बढ़ावा दे रहा जल्द ही सेमीकंडक्टर जैसे बड़े आयात वाले उत्पादों का भी निर्यात यहां से होने लगेगा. तब भारतीय मुद्रा पर डॉलर का ज्यादा असर होना भी बंद हो सकता है.
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डॉलर मजबूत या रुपया कमजोर? मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने बताया क्या है असल माजरा- खुद समझिए और निर्णय लीजिए.
अनिल सिंघवी ने कहा कि हमें सबसे पहले एक साल में क्या हुआ ये समझना जरूरी है. अक्टूबर 2021 में एक डॉलर की वैल्यू लगभग बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है 75 रुपए थी और आज डॉलर के लिए 82.35 रुपए खर्च करना पड़ रहा है.
कमजोर होते रुपए पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का एक बयान काफी चर्चा में है. उन्होंने कहा था कि दरअसल रुपया बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है नहीं कमजोर रहा बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है. FM का यह बयान देशभर में हॉट टॉपिक (Hot Topic) बना हुआ है. सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ सी आ गई. हालांकि, हमें वित्त मंत्री के इस बयान को फैक्ट्स के जरिए समझना चाहिए. इस पर ज़ी बिजनेसे मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपना एनालिसिस दिया.
डॉलर के मुकाबले डॉलर की स्थिति
अनिल सिंघवी ने कहा कि हमें सबसे पहले एक साल में क्या हुआ ये समझना जरूरी है. अक्टूबर 2021 में एक डॉलर की वैल्यू लगभग 75 रुपए थी और आज डॉलर के लिए 82.35 रुपए खर्च करना पड़ रहा है. यानी सालभर में भारतीय रुपया करीब 10 फीसदी कमजोर बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है हुआ है. ऐसे सवाल उठता है कि क्या डॉलर मजबूत हो रहा है या रुपया कमजोर हो रहा है?
वित्त मंत्री #NirmalaSitharaman के बयान के बाद सबसे चर्चित विषय.
उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें समझना चाहिए कि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले भी ट्रेड करता है और दुनिया की अन्य करेंसी के सामने भी ट्रेड करता है, जिसमें यूरोप का यूरो, ब्रिटेन का पाउंड, जापान का येन समेत अन्य शामिल हैं. ऐसे में बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है हमें कुछ फैक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए.
- दुनिया की दूसरी बड़ी करेंसी के मुकाबले रुपए का प्रदर्शन कैसा है
- दुनिया की अन्य करेंसी डॉलर के मुकाबले कैसी हैं
- अगर रुपया दूसरी करेंसी के सामने भी कमजोर हुआ है, तो रुपया कमजोर हुआ है
- अगर दूसरी करेंसी भी डॉलर के सामने गिरी हैं तो डॉलर मजबूत हो रहा है
दुनिया की अन्य बड़ी करेंसी के सामने रुपए का प्रदर्शन
ग्रेट ब्रिटेन पाउंड (GBP) के लिए अक्टूबर 2021 में 103 भारतीय रुपए खर्च करने पड़ते थे, जो अक्टूबर 2022 में घटकर 93 रुपए हो गई. यानी बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है पॉउंड से सामने भारतीय रुपया करीब 10 फीसदी मजबूत हुआ है. वहीं यूरो की कीमत सालभर पहले 87 रुपए थी, जो अब 81 रुपए हो गई. यहां भी भारतीय रुपया यूरो के मुकाबले करीब 9 फीसदी मजबूत हुआ है. इसके अलावा जापान की करेंसी येन का भाव अक्टूबर 2021 में 0.65 रुपए थी, जो इस साल अक्टूबर में 0.55 रुपए हो गई. यानी येन के सामने भारतीय रुपया मजबूत हुआ है.
रुपए के सामने कम मजबूत हुआ डॉलर
अनिल सिंघवी ने बताया कि भारतीय रुपया केवल डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है. जबकि दुनिया की अन्य बड़ी करेंसी के सामने 8 से 10 फीसदी तक मजबूत हुआ है. उन्होंने यह भी बताया कि डॉलर क्यों मजबूत हुआ. उन्होंने बताया कि एक साल में डॉलर दुनिया के लगभग सभी करेंसी के मुकाबले मजबूत हुआ है. यह बढ़त करीब 20 फीसदी तक की है. दूसरी ओर भारतीय रुपया केवल 10 फीसदी ही कमजोर हुआ है. इसका मतलब है कि भारतीय रुपया अन्य करेंसी के मुकाबले कम कमजोर हुआ है. इसीलिए यह माना जाता है कि रुपए के सामने डॉलर कम मजबूत हुआ है.
डॉलर इंडेक्स बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है क्या होता है?
डॉलर इंडेक्स में दुनिया की 6 बड़ी करेंसी शामिल हैं, जिनको डॉलर के सामने नापा जाता है. इंडेक्स यूरो, पाउंड, येन, स्विस फ्रैंक और स्वीडिश क्रोना शामिल हैं. एक साल में डॉलर इंडेक्स 93 बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है से बढ़कर 112 पर पहुंच गया है. यानी डॉलर इंडेक्स सालभर में करीब 20 फीसदी चढ़ा है.
रुपए के सामने डॉलर क्यों मजबूत हो रहा?
अनिल सिंघवी के मुताबिक रुपए की कमजोरी में बड़ी भूमिका कच्चे तेल की है. क्योंकि देश के इंपोर्ट बिल में 30 से 40 फीसदी हिस्सेदारी क्रूड का है. ऐसे में जब हम क्रूड के बिल पेमेंट करते हैं तो इसके लिए डॉलर का इस्तेमाल होता है. इसीलिए डॉलर की डिमांड बढ़ती है. दूसरी वजह है अमेरिका में ब्याज दरों में इजाफा होना. इसी साल फरवरी में US में ब्याज दर जीरो था, जो अब बढ़कर 3.5 फीसदी हो गया है. इससे डॉलर में मजबूती आई. चुंकि निवेशक ज्यादा से ज्यादा रकम डॉलर में रखना चाहते हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉलर की डिमांड बढ़ती है. क्योंकि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से सुरक्षित निवेश के तौर पर डॉलर की डिमांड बढ़ती है.
अनिल सिंघवी का एनालिसिस
सबसे पहले आपको अपने देश की स्थिति के बारे में पता होना चाहिए. बिना किसी पूर्व मानसिकता के फैक्ट्स को देखना चाहिए, जिसमें साफ है कि डॉलर मजबूत हो रहा है न कि रुपया कमजोर हो रहा है. कुल मिलाकर डॉलर ज्यादा मजबूत हो रहा है और रुपया कम कमजोर हो रहा है.
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