Image Source : INSTAGRAM/GEORGIAMTC Cervical - सर्वाइकल

कंधे में दर्द - Shoulder Pain in Hindi

कंधे के हिलने-ढुलने व घूमने की सीमा रोटेटर कफ (कंधों को घुमानेवाली पेशी) द्वारा निर्धारित की जाती है। रोटेटर कफ चार टेंडन्स से मिलकर बना होता है। टेंडन वे रेशेदार ऊतक होते हैं, जो हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ते हैं। अगर रोटेटर कफ के आस-पास के टेंडन्स क्षतिग्रस्त या उनमें सूजन आई हुई है, तो बाजुओं को सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? सिर को ऊपर की तरफ उठाने में दर्द या कठिनाई अनुभव हो सकती है।

कंधे किसी भी प्रकार के शारीरिक श्रम से क्षति ग्रस्त हो सकते हैं, जैसे खेल-कूद, काफी देर तक या बार-बार एक ही मूवमेंट करना। कुछ ऐसे रोग भी हैं, जिनसे कंधों में दर्द होने लगता है। इनमें गर्दन की सरवाइकल हड्डियां, साथ ही लिवर, हृदय या पित्ताश्य संबंधी रोग शामिल हैं।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ कंधों में दर्द होने की संभावना भी बढ़ जाती है। विशेष रूप से 60 साल से ज़्यादा उम्र में यह समस्या आम हो जाती है, क्योंकि उम्र के साथ-साथ कंधे के आस-पास के ऊतक नष्ट या खराब होने लगते हैं।

कंधों में दर्द के ज्यादातर मामलों का इलाज घरेलू नुस्खों से किया जा सकता है, हालांकि, "फिजिकल थेरेपी" (physical therapy), दवाएं या सर्जरी भी आवश्यक हो सकती है।

Shoulder and Neck Pain: गर्दन और कंधे के दर्द को ना लें हल्के में, हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत

गर्दन और कंधे के दर्द को भले ही आप मामूली समझें, लेकिन असल में इसे अनेदखा करना ठीक नहीं है। डॉक्टर्स कहते हैं कि इस समस्या पर अगर ध्यान न दिया जाए, तो आगे चलकर दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

can neck and shoulder pain be a sign of something serious

Shoulder and Neck Pain: गर्दन और कंधे के दर्द को ना लें हल्के में, हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत

​गर्दन और कंधे में दर्द के सामान्य कारण-

सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक डॉ.सतनाम सिंह छाबड़ा कहते हैं कि 'खेल से मोच, तनाव और खराब मुद्रा गर्दन और कंधे में दर्द के सामान्य कारण हैं। गद्दे , तकिए और सोने की पोजीशन इन सभी का प्रभाव इस बात पर पड़ता है कि सोते समय किसी व्यक्ति की गर्दन, कंधे और रीढ़ पर कितना दबाव पड़ रहा है' । ओवर एक्र्जशन , रीढ़ की हड्डी में चोट और गठिया के कारण हड्डियों के साथ कार्टिलेज को होने वाले नुकसान से भी कभी-कभी कंधे और गर्दन में दर्द होने लगता है। ऐसे में डॉ. छाबड़ा कंधे पर भारी बैग या पर्स को न लटकाने की सलाह देते हैं।

​फ्रोजन शोल्डर भी हो सकता है एक कारण-

डॉक्टर कहते हैं कि फ्रोजन शोल्डर भी इस समस्या की एक वजह हो सकती हैं। इसमें कई लोगों को कंधे में भयानक दर्द होता है। कई बार घरेलू उपचार करने के बाद भी कोई राहत नहीं मिलती । इस स्थिति में डॉक्टर से संर्पक करना चाहिए।

​क्या है फ्रोजन शोल्डर

फ्रोजन शोल्डर को एडहेसिव कैप्सुलिटिस कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रूक-रूक कर कंधे के जोड़ों में दर्द महसूस होता है। बैंगलोर के नारायण मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पीटल के डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड ट्रॉमा के ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट और हेड डॉ. राजेन्द्र रेडी के अनुसार 'आमतौर पर फ्रोजन शोल्डर की समस्या मधुमेह और चेाट के बाद के रोगियों में देखी जाती है'। वे कहते हैं कि 'इस मामले में जॉइंट को कवर करने वाली कैप्सूल मोटी और सख्त होने के साथ सूज जाती है, जिससे फाइब्रोसिस हो जाता है। इस वजह से जोड़ में ह्यूमरल हेड मूवमेंट के लिए जगह कम हो जाती है'।

​तीन सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? स्टेज में उभरती है ये स्थिति-

यह दर्दनाक स्थिति धीरे-धीरे उभरती है और तीन चरणों में आगे बढ़ती है । डॉ. कहते हैं कि हर चरण कई महीने तक चल सकता है। पहली स्टेज में कंधों को हिलाने-डुलाने में तेज दर्द होता है। दूसरी स्टेज में दर्द हल्का होने लगता है , लेकिन कंधे को हिलाना पहले से भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। अक्सर चीजों को उठाने और उस कंधे का उपयोग करने में परेशानी महसूस होती है। दर्द रात में बढ़ सकता है , जिससे नींद भी डिस्टर्ब हो सकती है। तीसरी स्टेज थॉइंग स्टेज होती है। इसमें बोनी स्पर्स और टेंडिनोपैथियों वाले लोगों में कंधे में दर्द बहुत तेज होता है, जिससे व्यक्ति कभी ठीक नहीं हो पाता।

​कंधे के दर्द से पड़ सकता है दिल का दौरा-

डॉ. छाबड़ा का कहना है कि ज्यादातर मामलों में गर्दन और कंधे का दर्द एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। दर्द अगर काफी दिनें तक बना रहा , तो इसकी जांच कराना चाहिए। अगर आपको दर्द सुन्नता या बिना किसी राहत के हफ्तों तक बना रहता है, कंधे में सूजन है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। कंधे के दर्द के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। डॉ.छाबड़ा कहते हैं कि 'अगर दर्द छाती तक जाता है और सांस लेने में मुश्किल होने लगे, तो कंधे के दर्द को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह दिल का दौरा और स्ट्रोक का संकेत है'।

​कंधे में दर्द से राहत के लिए जीवनशैली में कौन से बदलाव करने चाहिए

  1. फल, सब्जियां, नट्स, बीज और वसायुक्त मछली जैसे एंटीइंफ्लमेट्री खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार लें। इनमें प्रोटियो लाइटिक एंजाइम होते हैं, जो दर्द से राहत दिला सकते हैं।
  2. नियमित रूप से एक्टिव रहने और फिजिकल एक्टिविटी करने से भी दर्द की संभावना कम होती है।
  3. विशेषज्ञ के अनुसार कंधे और गर्दन में दर्द से बचने के लिए आसन करने के साथ सोने की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए।
  4. दर्द के लिए आप खुद से दवाएं लेते हैं, लेकिन सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? हफ्तों में इससे आराम नहीं मिलता , तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

कंधे और गर्दन का दर्द अहसहनीय होता है। हिलने-डुलने में भी परेशानी होती है। अगर आपके साथ आए दिन ऐसा होता है, तो अपनी लाइफस्टाइल, डाइट , स्लीपिंग और सिटिंग पॉश्चर पर ध्यान देना चाहिए।

जानें क्या है फ्रोजन शोल्डर, इसके कारण, लक्षण, उपचार एवं सावधानियां

कंधे में दर्द से बेहद परेशान युवक

फ्रोजन शोल्डर में कंधे की हड्डियों को मूव करना मुश्किल होने लगता है। मेडिकल भाषा में इस दर्द को एडहेसिव कैप्सूलाइटिस कहा जाता है। हर जॉइंट के बाहर एक कैप्सूल होता है। फ्रोजन शोल्डर में यही कैप्सूल स्टिफ या सख्त हो जाता है। यह दर्द धीरे-धीरे और अचानक शुरू होता है और फिर पूरे कंधे को जाम कर देता है। जैसे ड्राइविंग के दौरान या कोई घरेलू काम करते-करते अचानक यह दर्द हो सकता है।

लक्षण और चरण

वैसे तो शॉक या चोट से यह समस्या नहीं होती, लेकिन कभी-कभी ऐसा हो सकता है। फ्रोजन शोल्डर में दर्द अचानक उठता है। धीरे-धीरे कंधे को हिलाना-डुलाना मुश्किल हो जाता है। इसके तीन चरण हैं-

- फ्रीज पीरियड: इसमें कंधा फ्रीज या जाम होने लगता है। तेज दर्द होता है, जो अकसर रात में बढ जाता है। कंधे को घुमाना या मूव करना मुश्किल हो जाता है।

- फ्रोजन पीरियड: इस पीरियड में कंधे की स्टिफनेस बढती जाती है। धीरे-धीरे इसकी गतिविधियां कम हो जाती हैं। दर्द बहुत होता है, लेकिन असहनीय नहीं होता।

Electric Shock First Aid: बिजली का झटका लगने पर क्या करना चाहिए?

- सुधार : ऐसा लगता है कि दर्द में सुधार आ रहा है। मूवमेंट भी थोडा सुधर जाता है, लेकिन कभी-कभी तेज दर्द हो सकता है।

जांच और इलाज

लक्षणों और शारीरिक जांच के जरिए डॉक्टर इसकी पहचान करते हैं। प्राथमिक जांच में डॉक्टर कंधे और बांह के कुछ खास हिस्सों पर दबाव देकर दर्द की तीव्रता को देखते हैं। इसके अलावा एक्स-रे या एमआरआइ जांच कराने की सलाह भी दी जाती है। इलाज की प्रक्रिया समस्या की गंभीरता को देखते हुए शुरू की जाती है। पेनकिलर्स के जरिए पहले दर्द को कम करने की कोशिश की जाती है, जिससे मरीज कंधे को हिला-डुला सके। दर्द कम होने के बाद फिजियोथेरेपी शुरू कराई जाती है, जिसमें हॉट और कोल्ड कंप्रेशन पैक्स भी दिया जाता है। इससे कंधे की सूजन व दर्द में राहत मिलती है। कई बार मरीज को स्टेरॉयड्स भी देने पडते हैं, हालांकि ऐसा अपरिहार्य स्थिति में ही किया जाता है, क्योंकि इनसे नुकसान हो सकता है। कुछ स्थितियों में लोकल एनेस्थीसिया देकर भी कंधे को मूव कराया जाता है। इसके अलावा सर्जिकल विकल्प भी आजमाए जा सकते हैं।

Stiff Person Syndrome: क्या है स्टिफ पर्सन सिंड्रोम, जानें इसके कारण और लक्षण

सावधानियां

1. दर्द को नजरअंदाज न करें। यह लगातार हो तो डॉक्टर को दिखाएं।

2. दर्द ज्यादा हो तो हाथों को सिर के बराबर ऊंचाई पर रख कर सोएं। बांहों के नीचे एक-दो कुशंस रख कर सोने से आराम आता है।

3. तीन से नौ महीने तक के समय को फ्रीजिंग पीरियड माना जाता है। इस दौरान फिजियोथेरेपी नहीं कराई जानी चाहिए। दर्द बढने पर डॉक्टर की सलाह से पेनकिलर्स या इंजेक्शंस लिए जा सकते हैं।

Moong Dal Benefits: मूंग दाल खाने के हैं कई फायदे

4. छह महीने के बाद शोल्डर फ्रोजन पीरियड में जाता है। तब फिजियोथेरेपी कराई जानी चाहिए। 10 प्रतिशत मामलों में मरीज की हालत गंभीर हो सकती है, जिसका असर उसकी दिनचर्या और काम पर पडने लगता है। ऐसे में सर्जिकल प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

5. कई बार फ्रोजन शोल्डर और अन्य दर्द के लक्षण समान दिखते हैं। इसलिए एक्सपर्ट जांच आवश्यक है, जिससे सही कारण पता चल सके।

कंधे और गर्दन में लगातार दर्द बने रहना सर्वाइकल के हैं संकेत, जानें इसके उपाय और लक्षण

सर्वाइकल आजकल के जमाने में एक आम समस्या बन गई है। लगातार बैठकर काम करने और बैठने की पोजीशन ठीक होने की वजह से ये परेशानी और बढ़ जाती है। जानिए इससे बचने के उपायों सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? के बारे में।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: June 25, 2020 17:09 IST

Cervical - India TV Hindi

Image Source : INSTAGRAM/GEORGIAMTC Cervical - सर्वाइकल

लगातार एक जगह बैठे रहना, झुककर काम करना, बैठने की पोजीशन ठीक न होना. इन सभी वजहों से अक्सर कंधे और गर्दन में दर्द लगातार बना सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? रहता है। कई बार तो दर्द इतना बढ़ जाता है कि गर्दन और हाथ का मुड़ना भी मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी इस तरह की किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो ये सर्वाइकल की बीमारी के संकेत हैं। ऑफिस में लगातार बैठकर काम करने और लगातार झुक कर काम करने या फिर घर में रोजाना ढेरों कपड़े एक साथ धोने की आदत भी सर्वाइकल की वजह बन सकती है। जानिए सर्वाइकल होने पर क्या-क्या दिक्कते होती हैं। इसके साथ ही ये भी जानिए कि इससे बचने के लिए क्या करें।

सोने से पहले करें इन चीजों का सेवन, तेजी से होगा आपका वजन कम

जानें सर्वाइकल होने का कारण

आजकल भी भागती दौड़ती जिंदगी में सर्वाइकल एक आम सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? समस्या बन गई है। हर दूसरा व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित है। सर्वाइकल की समस्या क्षमता से ज्यादा काम करने की वजह से उत्पन्न होती है। जिसके शुरुआती लक्षण गर्दन और कंधे में दर्द होना है। इसके बाद ये समस्या बढ़ती जाती है और फिर रीढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करना शुरू कर देती है। इसलिए अगर आप इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? संपर्क करें।

खाना खाने के बाद की ये एक आदत बढ़ा सकती है वजन, चाहकर भी मोटापे से नहीं छुड़ा पाएंगे पीछा

सर्वाइकल के लक्षण

कंधे और गर्दन में लगातार दर्द बना रहना
सिर भारी होना
कंधे और गर्दन का दर्द बढ़ने के साथ हाथ और गर्दन का न मुड़ना
गर्दन को मोड़ते वक्त अधिक दर्द होना
चक्कर आना
हाथों का सुन्न पड़ना
गर्दन के पीछे वाले हिस्से पर सूजन आना

Back Pain

Image Source : INSTAGRAM/ANWERSFORPAIN

सर्वाइकल से बचने के उपाय
बैठते वक्त गर्दन की पोजीशन एकदम सीधे रखें
ऑफिस का काम करते वक्त पीठ को सीधा रखें
ज्यादा ऊंचे और कठोर तकिए को न लगाएं
लगातार काम करने के बाद हल्का सा भी दर्द हो सिकाई करें
गर्दन और कंधे की एक्सरसाइज करें
ढेरों कपड़े एक साथ हाथ से न धोएं

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें हेल्थ सेक्‍शन

गर्दन और कंधे में होता है रोजाना दर्द तो हो सकती है ये खतरनाक बीमारी

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भाग दौड़ भरी जिंदगी में जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा है उसी प्रकार लोग अपने शरीर पर काम का भार ज्यादा डालने लगे हैं। इन सब चीजों में लोग अपने आप को काम में इस तरह व्यस्त कर लेते हैं कि उन्हें अपने स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं रहती। लेकिन कई बार ज्यादा काम करना और सेहत पर ध्यान ना देने से स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

वैसे तो इंसान के गर्दन और कंधे में दर्द होना बहुत आम बात है, लेकिन यही साधारण दर्द अगर बार-बार दिक्कत देने लगे तो फिर ये किसी समस्या का कारण हो सकता है। रिढ़ की हड्डी कई बार आपके शरीर का भार ज्यादा झेल नहीं पाती है जिसकी वजह से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी परेशानी उत्पन्न हो जाती है। इस समस्या में शरीर के कुछ अंग जैसे, कंधा, गर्दन, पीठ, बांह, छाती और सिर के पिछले हिस्से में दिक्कत बनी रहती है।

कैसे उत्पन्न होती है ये समस्या

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या में जब इंसान अपनी क्षमता से ज्यादा काम करने लगता है तो उसके गर्दन और कंधे में दर्द होना शुरू हो जाता है। समस्या की शुरूआत में पहले तो इससे गर्दन और कंधे के ऊपर प्रभाव पड़ता है। लेकिन जैसे-जैसे इसकी समस्या बढ़ती जाती है ये रिढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करने लगता है और फिर चक्कर आना, सिर में दर्द, कंधे, पीठ और सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? गर्दन में दर्द बना रहता है। इसलिए इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है की सही समय पर डॉक्टरों से इसका इलाज कराया जाए और इस बीमारी के लक्ष्ण को तुरंत भांप लिया जाए।

क्या है इसके लक्ष्ण

  • चक्कर आना।
  • गर्दन और कंधे में अधिकतर समय दर्द रहना।
  • सिर में दर्द होना।
  • हाथ, बांह और उंगलियों में कमजोरी और सुन्न पड़ जाना।
  • गर्दन हिलाते वक्त हड्डियों में से चटकने की ध्वनि आना।
  • चलते वक्त हाथ और पैरो में कमजोरी होने से ज्यादा थकावट महसूस होना।

कैसे इस समस्या से बचें

  • इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि ज्यादा काम ना करें और अगर करें तो बीच में कम से कम एक 1 घंटे का आराम जरूर लें। इससे शरारिरीक और मानसिक दोनों को आराम मिलता है।
  • सोने के लिए मख्मल के गद्दे और तकीये के प्रयोग से बचें। इसके लिए सख्त और मजबूत गद्दे पर सोएं और गद्दा एक दम सीधा हो जिससे रिढ़ की हड्डी को स्थिर होने में मदद मिले।
  • काम के सिर और कंधों के बनने का क्या कारण है? दौरान जरूरी है की बीच-बीच में व्यायाम जरूर करें। साथ ही गर्दन से जुड़े व्यायाम भी करना चाहिए इससे सर्वाइकल में आराम मिलता है। इससे शरीर की बनावट बनी रहती है और हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ने से बचा रहता है।

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।

रेटिंग: 4.50
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 450