ट्राइफेड आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए कई कार्यक्रमों को लागू कर चुका है। पिछले दो वर्षों में, “न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से लघु वनोपज (MFP-minor forest produce) का विपणन और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला के विकास” ने जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। इस योजना के माध्यम से, योजना निधि का उपयोग करके 317.13 करोड़ रुपये के एमएफपी की खरीद की गई है और राज्य निधि का उपयोग करके 1542.88 करोड़ मूल्य के एमएफपी की खरीदी की गई है। इसी योजना का एक घटक, वन धन आदिवासी स्टार्ट-अप, आदिवासी संग्रहकर्ताओं और वनवासियों और घर में रहने वाले आदिवासी कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के स्रोत के रूप में उभरा है।
ट्राईब्स इंडिया ई मार्केट प्लास का सुभारंभ 15 अगस्त 2020 को किये जाने की उम्मीद।
बैढ़न कार्यालय।। कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने बताया कि भारत सरकार के उपक्रम भारतीय जन जाति सहकारी वितरण विकास संघ लिमिटेड नई दिल्ली के द्वारा इस आशय की सूचना दी गई है कि ट्राईब्स इंडिया ई मार्केट प्लास का सुभारंभ 15 अगस्त 2020 को किये जाने की उम्मीद है।
ट्राईब्स इंडिया ई मार्केट प्लेस पर अपने उत्पादो को ईजीमार्केटस बेचने के इच्छुक जनजाति कारीगर स्वसहायता समूह, एस.एच.जी गैर सहकारी संगठन एन.जी.ओ के साथ वनवासी लोग स्वयं को https://market.tribesindia.com/seller- के माध्मय से पंजीकृत कर सकते है।उन्होने बताया कि जनजातीय विक्रेता सभी जानकारी टोल फ्री नंम्बर 18001021400 पर संम्पर्क कर प्राप्त कर सकते है या trifed.tribal.gov.in जाकर प्राप्त कर सकते है।जनजातीय कारीगर उद्यमी अन्य किसी प्रकार की सहायता के लिए ट्राईफेड के क्षेत्रिय कार्यालयो से संम्पर्क कर सकते है।
कैट सी.जी. चैप्टर ने भारत ई-मार्केट पोर्टल में रजिस्ट्रेशन की जानकारी व्यापारी संगठनों को दी…
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि आज कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश कार्यालय में मिटिंग का आयोजन किया गया था कैट सी.जी. चैप्टर के पदाधिकारियों ने भारत ई-मार्केट पोर्टल में रजिस्ट्रेशन की जानकारी व्यापारियों को दी गई । मिटिंग में विभिन्न व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी एवं व्यापारीगण उपस्थित थें।
Namami Bharat
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के ऑनलाइन विपणन खंड में प्रवेश ने बड़ी तेजी से अखिल भारतीय पहुंच स्थापित की है। इससे कारीगर केवीआईसी ई-पोर्टल www.kviconline.gov.in/khadimask के माध्यम से देश के दूर से दूर स्थित भागों में अपने उत्पाद बेचने में समर्थ हो रहे हैं। यह ऑनलाइन बिक्री इस वर्ष 7 जुलाई को केवल खादी के फेस मास्क बनाने के साथ शुरू हुई थी लेकिन इसने इतनी जल्दी ही पूरी तरह विकसित ई-मार्केट मंच का रूप धारण कर लिया है आज इस पर 180 उत्पाद मौजूद हैं तथा और बहुत से उत्पाद इसमें शामिल होने की प्रक्रिया में हैं।
अब ई-कॉमर्स मार्केट में उतरेगा फेसबुक, अमेजॉन-फ्लिपकार्ट की बढ़ेगी मुश्किलें
नई दिल्लीः भारत में व्हाट्सऐप के जरिए पेमेंट सेक्टर में एंट्री लेने के बाद फेसबुक की नजर अब देश के बढ़ते ई-कॉमर्स मार्केट पर है। जल्द ही कंपनी अपनी ई-कॉमर्स वैबसाइट को शुरू कर देगा, जिससे अमेजॉन, फ्लिपकार्ट (वॉलमार्ट) और स्नैपडील ईजीमार्केटस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ऐसा माना जा रहा है फेसबुक मार्केटप्लेस के जून में एक सॉफ्ट लांच कर सकता है। अभी वो इसकी लांचिंग से पहले कई बड़े ब्रांड्स और बिजनेस हाउस से बातचीत कर रहा है। इसके साथ ही उसने अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट की टेस्टिंग भी शुरू कर दी है।
बनाएगा नए टूल्स
फेसबुक इसके लिए नए टूल्स को डेवलप करेगा, जिससे कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स को अपलोड करने में और स्टॉक को मैनेज करने में आसानी ईजीमार्केटस होगी। फेसबुक पेमेंट सिस्टम को भी इस साल के अंत में शुरू कर ईजीमार्केटस देगा। शुरूआत में फेसबुक उपभोक्ताओं को कंपनियों की वैबसाइट या फिर उनके पेज पर भेजेगा।
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भारत के हैंडीक्राफ्ट बना रहे वैश्विक पहचान, ट्राइफेड हैंडीक्राफ्ट ने की 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई
भारत जहां अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निर्यात पर फोकस कर रहा है, वहीं देश में सबका साथ के साथ सबके विकास पर भी ध्यान दे रहा है। ऐसे में देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट ईजीमार्केटस का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हैंडीक्राफ्ट में ट्राइफेड प्रोडक्ट्स की भी बड़ी हिस्सेदारी है, जिन्हें अब ग्लोबल मार्केट भी मिलने लगा है। यही वजह है कि आज आदिवासी समाज भी देश के विकास में अपना योगदान दे रहा है और भारत के आदिवासी समाज की अविश्वसनीय हस्तशिल्प एक वैश्विक पहचान बन रही है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की है।
90 से अधिक देशों में भारतीय हस्तशिल्प की हो रही खरीद
दरअसल, इन आदिवासी उत्पादों को बेचने में ट्राइफेड इंडिया मंच प्रदान करता है और एक कनेक्टर की भूमिका निभाता है, जहां आदिवासी कारीगर और इकट्ठा करने वाले अपनी उत्कृष्ट कृतियों को रख सकते हैं और बिक्री के लिए उत्पादन कर सकते हैं। एक बहु-चैनल रणनीति को अपनाया गया है और प्रत्येक चैनल के माध्यम से बिक्री को अनुकूलित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य आदिवासी लोगों को उनके काम का एक आउटलेट देकर अधिक आय उत्पन्न करना है। बता दें कि दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।
इनमें ईजीमार्केटस से कुछ चैनल जिनके माध्यम से जनजातीय उत्पादों के लिए बाजार की सहायता प्रदान की जाती है, उसमें…
–ट्राइब्स इंडिया – द आर्ट एंड सोल ऑफ इंडिया – रिटेल आउटलेट्स
–अनादि महोत्सव और प्रदर्शनियों
ऑनलाइन भी मिल रहे ट्राइफेड उत्पाद
बता दें कि वर्तमान में ट्राइफेड के पूरे देश में 100 से ज्यादा रिटेल स्टोर हैं, करीब 28 राज्य इसमे पार्टनर हैं, जो जनजातीय समूह द्वारा बनाए उत्पादों बाजार की व्यवस्था करते थे। रिटेल स्टोर के अलावा ई-मार्केट प्लस के जरिए भी ट्राइफेड उत्पाद को प्लेटफॉर्म मिलता है। यह आदिवासियों को डिजिटल ई-कॉमर्स के तहत एक शॉप खुलवाने की योजना है। ई-मार्केट प्लस या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ये लोग अपने सभी उत्पादों को देश-विदेश में ई-मार्केट के जरिए बेच सकेंगे। उनकी हर एक सामग्री को पोर्टल के साथ लिंक कर दिया ईजीमार्केटस जाएगा। इसके अलावा देश में 85 स्थानों पर दुकान थी, उसे भी डिजिटल से लिंक किया जा रहा है। इससे जनजातीय लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा। आदिवासी समूह के उत्पाद आज ट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट के अलावा अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, और सरकारी ई बाजार-जेम पर भी उपलब्ध हैं।
वन धन सेल्फ हेल्प ग्रुप से मिल रही आजीविका
बता दें कि दो साल से भी काम समय में, ट्राइफेड ने 25 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के, 3110 वन धन विकास केन्द्रों से बने 52,967 वन धन सेल्फ हेल्प ग्रुप को स्वीकृति दी है और जिससे 9.27 लाख लाभार्थियों को आजीविका प्राप्त हुई है । इस योजना के माध्यम से विकसित किए गए उत्पादों को ट्राइब्स इंडिया आउटलेट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (www.tribesindia.com) के माध्यम से बेचा जाता है और उन्हें अन्य मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी विपणन किया जाता है।
वर्तमान में, एक आदर्श वन-स्टॉप गंतव्य, “ट्राइब्स इंडिया” के कैटलॉग जिसमें देश भर के प्राकृतिक उत्पाद, हस्तशिल्प और हथकरघा आदिवासी जीवन के तरीकों ईजीमार्केटस को दर्शाते हैं, को शामिल किया गया है। इसके अलावा, TRIFED जनजातीय उत्पादों को “ट्राइब्स इंडिया” नामक अपनी दुकानों के माध्यम से और फ्रेंचाइजी आउटलेट्स और राज्य एम्पोरिया के आउटलेट्स के माध्यम से विपणन कर रहा है। TRIFED ने 1999 में नई दिल्ली में एकल दुकान के साथ शुरुआत की और अब, TRIFED 119 ऐसे आउटलेट के माध्यम से इन आदिवासी उत्पादों का विपणन करता है।
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