US Dollar Index (DXY)
पीटर नर्स द्वारा Investing.com - फेडरल रिजर्व द्वारा रातोंरात ब्याज दरों में वृद्धि करने और आने के संकेत के बाद अमेरिकी डॉलर शुरुआती यूरोपीय व्यापार में उच्च स्तर पर पहुंच गया.
पीटर नर्स द्वारा Investing.com - उम्मीद से कम मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मद्देनजर रातोंरात तेज गिरावट के बाद फेडरल रिजर्व के दर निर्णय से पहले अमेरिकी डॉलर बुधवार के शुरुआती.
एलेसेंड्रो अल्बानो द्वारा Investing.com - सितंबर के मध्य के अपने शिखर के बाद से, यू.एस. डॉलर ने मुद्रास्फीति में कमी के कारण मूल्यह्रास के एक चरण का अनुभव किया है जो फेडरल रिजर्व.
US Dollar Index विश्लेषण
2023 में कोई मंदी नहीं हो सकती है, बस धीमी वृद्धि की अवधि है यह फेड को वित्तीय स्थितियों को चुस्त रखने की क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है? अनुमति देगा। तंग वित्तीय स्थितियों का मतलब है मजबूत डॉलर, ऊंची दरें और.
जैसा कि हम नए साल की प्रतीक्षा कर रहे हैं, मुद्रास्फीति के चरम पर पहुंचने के क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है? बारे में आशावाद स्टॉक के लिए नकारात्मक जोखिमों को सीमित करने के बारे में सोच सकता है। फिर भी, कम से कम.
प्रमुख संस्थानों ने 2023 के लिए अपने तेल मूल्य पूर्वानुमान में कटौती की है चीन की शून्य-सीओवीआईडी नीति का अंत मुख्य कारकों में से एक है जो उच्च कीमतों का कारण बन सकता है यहां उन.
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तकनीकी सारांश
US Dollar Index परिचर्चा
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Bankers Poll : इस साल रुपये में गिरावट थमने के आसार नहीं, दिसंबर तक 84.50 का हो सकता है एक डॉलर
गुरुवार 20 अक्टूबर को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 83.29 तक चला गया था, लेकिन शाम को कुछ रिकवरी के साथ 82.75 पर बंद हुआ. बुधवार को यह 83.01 पर बंद हुआ था.
बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के एक पोल के मुताबिक इस साल रुपये में गिरावट जारी रहेगी.
Indian rupee to drop further to 84.50 per USD by year end: भारतीय करेंसी में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा और इस साल के अंत तक एक अमेरिकी डॉलर का भाव 84.50 रुपये तक जा सकता है. ये अनुमान बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के एक पोल में सामने आए हैं. गुरुवार को कराए गए इस पोल में शामिल एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत का व्यापार घाटा बढ़ना और अमेरिका में ब्याज दरों में लगातार इजाफा रुपये में गिरावट की बड़ी वजह है.
इस साल 12% गिर चुका है रुपया
अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के पोल में शामिल 14 बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के अनुमानों पर यकीन करें तो इस साल रुपये में कम से कम 9 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. भारतीय करेंसी इस साल अब तक करीब 12 फीसदी गिर चुकी है. इससे पहले 2013 में पूरे साल के दौरान रुपये में इतनी गिरावट देखने को मिली थी. गुरुवार 20 अक्टूबर को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 83.29 तक चला गया था, लेकिन रिजर्व बैंक के दखल देने के बाद शाम को 82.75 पर बंद हुआ. बुधवार को यह 83.01 पर बंद हुआ था.
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83.25 से 86 रुपये के बीच रह सकता है डॉलर
पोल में शामिल अलग-अलग एक्सपर्ट्स ने इस साल के अंत तक एक डॉलर का भाव 83.25 से 86 रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान जाहिर किया है. सबके अनुमानों में अंतर जरूर है, लेकिन इस बात पर सभी सहमत हैं कि मौजूदा साल के दौरान रुपये में रिकवरी की उम्मीद नहीं है. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकॉनमिस्ट मदन सबनवीस का अनुमान है कि दिसंबर तक डॉलर के मुकाबले रुपया 85 के स्तर तक गिर सकता है, क्योंकि बाहरी कारणों में कोई सुधार आने की संभावना नहीं दिख रही है. न सिर्फ डॉलर में तेजी है, बल्कि स्थानीय फंडामेंटल्स भी कमजोर बने हुए हैं. भारत का करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) 3 से 3.5 फीसदी के बीच रहने के आसार हैं. व्यापार घाटा ऊंचे स्तर पर बने रहने के अलावा पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट भी अच्छा नहीं है. इन सभी कारणों से रुपये पर दबाव बना हुआ है.
व्यापार घाटा बढ़ा, इक्विटी से पूंजी का पलायन जारी
मौजूदा साल के पहले 9 महीनों के दौरान एवरेज मंथली ट्रेड डेफिसिट 23.2 अरब डॉलर रहा है, जबकि 2021 में यह एवरेज 15.3 अरब डॉलर था. दूसरी तरफ यूएस फेड के ब्याज दरें तेजी से बढ़ाने का कैपिटल फ्लो पर भी बुरा असर पड़ा है. फेड हाइक के कारण इस साल डॉलर इंडेक्स अब तक 18 फीसदी बढ़ चुका है, जिसके चलते निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से पैसे बाहर निकाल रहे हैं. NSDL के आंकड़ों के मुताबिक इस साल विदेशी निवेशक अब तक भारतीय इक्विटी से 23.4 अरब डॉलर और डेट से 1.4 अरब डॉलर की रकम निकालकर बाहर ले जा चुके हैं.
'हथियार, हथियार और ज्यादा हथियार. ', अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की की डिमांड ने बता दिया जंग के अंत की गुंजाइश नहीं
रूस-यूक्रेन जंग के 300 दिनों बाद पहली बार अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की अपने देश के लिए अमेरिका से हथियार. हथियार और अधिक हथियार चाहते हैं. खबर है कि बाइडेन जेलेंस्की को 2 बिलियन डॉलर देने जा रहे हैं. इस परिस्थिति में अगले साल जंग खत्म होने की संभावना बेहद कम है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 21 दिसंबर 2022,
- (अपडेटेड 21 दिसंबर 2022, 11:04 PM IST)
रूस यूक्रेन वार पर नया साल क्या कोई सकारात्मक उम्मीद लेकर आएगा? 24 फरवरी 2022 को शुरू हुए इस युद्ध के 300 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन जंग का कोई नतीजा दूर दूर तक नहीं दिख रहा है. यूक्रेन जंग से तबाह सा हो गया है लेकिन अमेरिकी और NATO से मिल रहे डॉलर और विध्वंसक हथियारों के दम पर राष्ट्रपति जेलेंस्की पुतिन के सामने तन कर खड़े हैं.
इस बीच जेलेंस्की जंग के शुरु होने के 300 दिनों में पहली बार विदेश यात्रा पर अमेरिका पहुंचे हैं. जेलेंस्की ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य यूक्रेन की ताकत और रक्षा क्षमता को मजबूत करना है, वो भी ऐसे समय में जब रूस जमा देने वाली सर्दियों के बीच यूक्रेन के एनर्जी और वाटर सप्लाई प्रतिष्ठानों पर हमला कर रहा है.
राष्ट्रपति जेलेंस्की के राजनीतिक सलाहकार माईखाइलो पोडोलियाक ने कहा कि जेलेंस्की की अमेरिकी यात्रा ने दोनों देशों के बीच पनपे विश्वास के उच्च स्तर को दिखाया है और उन्हें यह समझाने का अवसर दिया कि यूक्रेन को किन-किन हथियारों की आवश्यकता है.
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जेलेंस्की को चाहिए हथियार, हथियार और अधिक हथियार.
जेलेंस्की के राजनीतिक सलाहकार माईखाइलो पोडोलियाक ने कहा कि, "हथियार, हथियार और अधिक हथियार. राष्ट्रपति जेलेंस्की के लिए व्यक्तिगत रूप से यह बताना महत्वपूर्ण है कि हमें कुछ खास किस्म के हथियारों की आवश्यकता क्यों है? विशेष रूप से, बख्तरबंद वाहन, नवीनतम मिसाइल रक्षा प्रणाली और लंबी दूरी की मिसाइलें."
बता दें कि बाइडेन यूक्रेन के लिए 2 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सैन्य सहायता का ऐलान करने वाले हैं. इसमें पैट्रियॉट मिसाइल भी शामिल है ताकि यूक्रेन रूसी मिसाइलों की बौछार से खुद को बचा सके.
बाइडेन से मुलाकात, संयुक्त सत्र को करेंगे संबोधित
जेलेंस्की की इस यात्रा का क्या महत्व है इसका इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे बाइडेन से मुलाकात करेंगे, और व्हाइट हाउस के शीर्ष सुरक्षा सलाहकारों से मिलेंगे. इसके बाद वे अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेंगे. फिर वे कैपिटल हिल में यूएस सीनेट और प्रतिनिधि सभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे.
बता दें कि इस जंग में अबतक हजारों सैनिक और नागरिक मारे गए हैं. लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है. कई शहर मलबे में तब्दील हो गए हैं.
10 क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है? महीने में पहली बार आमने-सामने बाइडेन-जेलेंस्की
ये जंग पुतिन के लिए तो नाक का सवाल बन ही गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और उनकी विदेश नीति के लिए भी ये जंग टेस्टिंग प्वाइंट बन गया है. इस मुलाकात के दौरान बाइडेन पहली बार उस शख्स के आमने-सामने होंगे जिनसे वे अबतक फोन पर बात करते थे. एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार बाइडेन जेलेंस्की को पुतिन के साथ बातचीत की टेबल पर बैठने के लिए नहीं ही कहेंगे.
शांति की कोई संभावना नहीं
इस बीच रूस भी मौजूदा हाल में शांति बहाली का कोई संकेत नहीं दे रहा है. क्रेमलिन ने बुधवार को कहा कि उसे कीव के साथ शांति वार्ता की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. संवाददाताओं से बातचीत में, प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा कि यूक्रेन को पश्चिमी देशों से हथियारों की सप्लाई जारी रहने से संघर्ष 'गहरा' होगा.
बता दें कि बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को लगभग 20 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान की है, जिसमें तोपखाने, गोला-बारूद, NASAMS एयर डिफेंस सिस्टम के लिए युद्ध सामग्री और HIMARS के लिए रॉकेट सिस्टम शामिल हैं.
बावजूद इसके जेलेंस्की ने बार-बार पश्चिमी देशों से अधिक हथियार आपूर्ति करने का आह्वान किया है. इसी बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन बुधवार को सीनियर डिफेंस ऑफिसर्स के साथ मीटिंग कर रहे हैं ताकि अगले साल के लिए मिलिट्री टारगेट तय किया जा सके. इसके अलावा पुतिन अपने कमांडर्स के साथ यूक्रेन में चल रहे युद्ध का आकलन भी करेंगे.
साफ है यूक्रेन चोट खाने के बावजूद झुकने को तैयार नहीं है, क्योंकि उसे अमेरिका और NATO का सैन्य और आर्थिक सपोर्ट मिल रहा है. तो इधर पुतिन किसी भी हालत में इस जंग से खाली हाथ लौटना नहीं चाहते हैं.
Rupee vs Dollar: डॉलर के मुकाबले 82 रुपये तक जा सकता है रुपया, ये रहेंगे कारण
Rupee vs Dollar: फेडरल के ब्याज दरों में इजाफा करने से भारत जैसे उभरते बाजारों से विदेशी पूंजी की निकासी तेज हो सकती है. डॉलर की निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से रुपये की कीमत में और गिरावट आ सकती है. कच्चे तेल, कोयले और सोने के महंगे आयात के कारण जून में व्यापार घाटा बढ़ा है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 24 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 24 जुलाई 2022, 7:09 PM IST)
- दिखेगा व्यापार घाटा बढ़ने का असर
- अगले साल तक सुधार की संभावना
आने वाले दिनों में डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय रुपये (Indian Currency) में और गिरावट देखी जा सकती है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि व्यापार घाटा बढ़ने और अमेरिकी फेडरल बैंक (Federal Bank) के ब्याज दरों (Interest Rate) में बढ़ोतरी के चलते आने वाले दिनों में रुपया और अधिक टूट सकता है. अर्थशास्त्रियों के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर 82 रुपये तक गिर सकता है. हालांकि, अभी फेडरल बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान नहीं किया है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व 26-27 जुलाई की बैठक में ब्याज दरों में 0.50-0.75 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकता है.
फेडरल के ब्याज दरों में इजाफा करने से भारत जैसे उभरते बाजारों से विदेशी पूंजी की निकासी तेज हो सकती है. डॉलर की निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से रुपये की कीमत में और गिरावट आ सकती है. पिछले हफ्ते रुपया डॉलर के मुकाबले 80.06 रुपये के सबसे निचले स्तर पर तक पहुंच गया था.
अगले साल तक सुधार की संभावना
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अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों (Crude Oil Price) में स्थिरता और जियो पॉलिटिकल (Geopolitical) स्थिति में सुधार की संभावना के साथ रुपया अगले साल मार्च तक प्रति डॉलर 78 रुपये के स्तर तक आ सकता है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने पीटीआई को बताया- 'कुल मिलाकर हमने यह आकलन किया कि रुपया प्रति डॉलर के मुकाबले 79 रुपये के आसपास स्थिर हो सकता है. यह पूरे वर्ष के लिए औसत वैल्यू होगी'.
विदेशी निवेशकों पर निर्भर
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा- 'डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू अंत में वैश्विक धारणा और विदेशी निवेशकों के पोर्टफोलियो (FPI) प्रवाह से ही तय होगी. इसी से निर्धारित होगा कि आने वाले महीनों में रुपया और टूटेगा या फिर मंदी की आशंका की वजह से अमेरिकी डॉलर की ताकत घटेगी. नोमुरा के अनुसार, जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान रुपया प्रति डॉलर के मुकाबले 82 रुपये के स्तर तक टूट सकता है'.
व्यापार घाटा बढ़ने का असर
क्रिसिल को उम्मीद है कि निकट अवधि में रुपये पर दबाव रहेगा और व्यापार घाटा बढ़ने से रुपया-डॉलर विनिमय दर अस्थिर रहेगा. क्रिसिल की प्रमुख अर्थशास्त्री दीप्ति देशपांडे ने कहा कि वित्तीय वर्ष के अंत में दबाव कम हो सकता है, क्योंकि क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है? कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है.
कच्चे तेल, कोयले और सोने के महंगे आयात के कारण जून में व्यापार घाटा रिकॉर्ड 26.18 अरब डॉलर पर पहुंच गया. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून में घाटा बढ़कर 70.80 अरब डॉलर हो गया है.
INR USD Exchange Rate Today: भारत के 100 रुपये अमेरिका में 1.31 डॉलर, देखें 4 मई का एक्सचेंज रेट
भारत के 100 रुपये के बदले में अमेरिका में 1.31 डॉलर मिलेंगे। 4 मई के एक्सचेंज रेट के मुताबिक भारत का एक रुपया अमेरिका के 0.013 डॉलर होगा। अमेरिका का एक डॉलर भारत के 76.34 रुपये होगा।
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में काफी संख्या में भारतीय लोग ऐसे भी रहते हैं जिन्हें भारत से रुपया आता है जो अमेरिका में डॉलर के रूप में उन्हें मिलता है। छात्र और काफी पहले से यूएस में सेटल हो चुके भी वहां ऐसे काफी लोग हैं जिनका किसी न किसी जरिए ये पैसा भारत से अमेरिका जाता है। वहीं वैश्विक मार्केट में हर रोज डॉलर और रुपयों का भाव ऊपर-नीचे होता रहता है। ऐसे में हम आपको प्रतिदिन एक्सचेंज रेट में दोनों करेंसी का भाव बताते हैं जिससे भारत से आया पैसा यूएस डॉलर में कनवर्ट कराने में आप परेशान ना क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है? हो।
आज यानी बुधवार 4 मई को भारत के 100 रुपये अमेरिका में 1.31 डॉलर बराबर हैं। यानी एक भारतीय रुपया, यूएसए के 0.013 डॉलर बराबर है। ऐसे में भारतीय रुपये को कोई डॉलर में बदलना चाहते हैं तो 10 हजार रुपयों के बदले अमेरिका में आपको 131.01 डॉलर मिलेंगे। बुधवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 76.34 रुपये पर बंद हुआ। मंगलवार को बाजार बंद रहा। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से रुपया और डॉलर के भाव में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में, घरेलू इकाई अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 76.46 पर खुली। सत्र के दौरान यह 76.17 से 76.58 के बीच रहा। रुपया अंत में 76.34 पर बंद हुआ। वहीं वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 3.43% बढ़कर 108.57 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
मालूम हो कि मुद्रा विनिमय दर यानी एक्सचेंज रेट देशों के आर्थिक प्रदर्शन, मुद्रास्फीति, ब्याज दर के अंतर और पूंजी के फ्लो पर निर्भर करती है। पिछले बुधवार को बैंकिंग, रियल एस्टेट और ऑटो बिजनेस में नुकसान होने की क्या यूएसडॉलर का पतन संभव है? वजह से शेयरों में गिरावट आई और इसी वजह से भारत के शेयर निचले स्तर पर बंद हुए थे। इसके बाद रविवार और सोमवार को भी थोड़ा बहुत आगे पीछे हुआ।
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