ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण
हमारे बैंक ने बैंक द्वारा कारोबार करने के तरीके को डिजिटाइज़ करने के उद्देश्य से “प्रोजेक्ट वेव” शुरू किया है। डिजिटल पहल के एक हिस्से के रूप में हमारे बैंक ने “ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण” लॉन्च किया है जो मौजूदा पूर्व-चयनित ग्राहकों को डिजिटल प्रोसेसिंग के माध्यम से तत्काल एमएसएमई ऋण प्रदान करता है। विभिन्न मानदंडों जैसे आयु, क्रेडिट स्कोर और खाते में लेनदेन के विवरण आदि के आधार पर ग्राहक का पूर्व-चयन किया जाता है।
ग्राहक ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं और संपूर्ण प्रसंस्करण, मूल्यांकन, दस्तावेजीकरण, मंजूरी और संवितरण डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। ग्राहक निम्नलिखित में से किसी भी चैनल के माध्यम से इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं:
- अप्लाई लोन टैब के तहत इंटरनेट बैंकिंग
- अप्लाई लोन टैब के तहत मोबाइल बैंकिंग
- इंडियन बैंक वेबसाईट
ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण के विशेष लाभ:
- ग्राहक को शाखा में जाने की कोई आवश्यकता नहीं
- भौतिक आवेदन की आवश्यकता नहीं
- केवाईसी सत्यापन की आवश्यकता नहीं क्योंकि केवल केवाईसी अनुपालन करने वाले ग्राहकों का ही चयन किया जाता है
- शाखा द्वारा कोई मैनुअल मूल्यांकन और मंजूरी की आवश्यकता नहीं
- किसी मैनुअल दस्तावेजीकरण की आवश्यकता नहीं – ई-स्टैम्पिंग और ई-हस्ताक्षर के माध्यम से डिजिटल दस्तावेज़ निष्पादन
- मैन्युअल खाता खोलने और संवितरण की आवश्यकता नहीं
- शाखा के हस्तक्षेप के बिना तत्काल स्वीकृति और संवितरण
पूर्व-आवश्यक / दस्तावेज़ :
ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण के लिए आवेदन करने से पहले आवेदक के पास निम्नलिखित विवरण होना चाहिए:
- पैन कार्ड
- आधार कार्ड
- उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (लिंक किया गया मोबाइल नंबर सीबीएस और प्रमाणपत्र में एक समान होना चाहिए)
- वैध ई-मेल आईडी
- सक्रिय मोबाइल नंबर जो बचत खाते / चालू खाते, आधार कार्ड और उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (यूआरसी) से जुड़ा हुआ हो। ओटीपी संबंधित साइट के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा
योजना के दिशानिर्देश – ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण
- 18 वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष तक की आयु के भारत में निवास करने वाले व्यक्ति / प्रोप्राइटर।
- स्टाफ सदस्य एवं सरकारी वेतनभोगी से इतर व्यक्ति
- प्रोप्राइटरशिप फर्म।
- बैंक का मौजूदा ग्राहक जिसका खाता कम से कम 12 महीने से हमारे बैंक में है।
- बचत खाते या चालू खाते के रूप में व्यावसायिक खाता परिचालन अवस्था में हो एवं एकल आवेदक द्वारा परिचालित होन चाहिए।
- ग्राहक का खाता पहले से सी-केवाईसी / ई-केवाईसी अनुपालित होना चाहिए।
- खाता वर्तमान में और विगत 2 वर्षों के दौरान कभी एनपीए नहीं हुआ हो।
- आवेदन की तिथि को आवेदक के सीआईएफ़ पर हमारे बैंक में अन्य कोई व्यावसायिक ऋण नहीं लिया गया हो।
उधारकर्ता को बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सिबिल प्रभार का भुगतान करना होगा।
प्रश्न :- क्या है हवाला ?हवाला कैसे कार्य करता है ? इसे रोकने के लिए कौन से कानून हैं ? भारत में हवाला की क्या स्थिति है ?
✓✓ हवाला व्यापार या लेन-देन स्वदेशी भाषा का ही एक शब्द है जिसका मतलब है बताये गए या हवाला दिए गए व्यक्ति को भुगतान करना ! इस लेन -देन में अनाधिकृत रूप से एक देश से दूसरे देश में विदेशी विनिमय किया जाता है अर्थात हवाला विदेशी मुद्रा का एक स्थान से दूसरे स्थान पर गैर कानूनी रूप से हस्तांतरण का ही नाम है इसमें सबसे अहम् भूमिका एजेंट की ही होती है , या यूँ कह सकते है की एजेंटों के ही हवाले से यह कारोबार संचालित होता है इसीलिए इसका नाम हवाला पड़ा !
✓✓ ये पैसा लेन-देन का अवैध तरीका है जिसे हुंडी भी कहते हैं। आज की तारिख में हवाला राजनीतिक दलों और आंतकी संगठनों तक पैसा पहुंचाने का सबसे सरल तरीका है। इसके माध्यम से अवैध तरीकों से धन राजनीतिक पार्टियों और आंतकी संगठन तक पहुंचाया जाता है।
✓ यह विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम (फेरा) , मनी लॉन्डरिंग तथा विभिन्न कर कानूनों का भी उल्लंघन करता है , इसलिए उस कारोबार से सम्बंधित व्यक्ति से रुपया लेने का अर्थ है - अवैध रूप से प्राप्त रकम अवैध ढंग से लेना I
- " फेरा " कानून के तहत सिर्फ अधिकृत व्यापारी के तहत देश में या देश के बाहर रकम प्राप्त की जा सकती है , परन्तु उससे बहुत से लोगों का काम नहीं चलता इसलिए वे गैर कानूनी ढंग से हवाला कारोबार के जरिये क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? विदेशी मुद्रा प्राप्त करतें हैं ! हवाला कारोबारी विदेशी विनिमय के लेन -देन में विनिमय दरों में अंतर का लाभ लेता है I इस असंवैधानिक अंतरण में "फेरा " का उल्लंघन होता है I
- अधिनियम की धारा-६ के अनुसार रिजर्व बैंक में इस सन्दर्भ में आवेदन किये जाने पर किसी भी व्यक्ति को विदेशी विनिमय में व्यवहार करने के लिए अधिकृत कर सकता है तथा यह अधिकार लिखित होना चाहिए व उसके माध्यम से विक्रेता को समस्त विदेशी मुद्राओं में व्यवहार करने का अधिकार भी दिया जा सकता है या केवल किन्ही विशिस्ट मुद्राओं में ही उसे अधिकृत किया जा सकता है I
- यही बात विदेशी मुद्राओं के लेन -देन पर भी लागू होती है ! ऐसा अधिकतर किसी निर्दिष्ट अवधि अथवा किसी निर्दिष्ट राशि सीमा के अंतर्गत हो सकता है तथा अधिकृत व्यापारी को उन समस्त शर्तों के अंतर्गत कार्य करना होगा , जो ऐसा आदेश जारी करते समय रिजर्व बैंक ने निर्धारित की है "फेरा" उल्लंघन पर नकद या सजा अथवा दोनों का दंड मिल सकता है ! जुर्माने की राशि रकम की पांच गुना तक हो सकती है व सजा की अवधि सात वर्ष तक हो सकती है I
=> हवाला व्यापार में तीन पक्ष होते हैं , और इससे तीनों पक्ष लाभान्वित होते हैं ! पहला पक्ष वह है जो हवाला लेन -देन चाहता है ! दूसरा पक्ष हवाला एजेंट होता है , जो मुद्रा का प्रबंधन करता है और तीसरा पक्ष वह है जिसे मुद्रा में भुगतान प्राप्त करना है I
- निर्यात व्यापार में संलग्न अधिकांश कम्पनियाँ किसी न किसी रूप में हवाला व्यापार का सहारा लेती क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? हैं I
✓✓ एक अध्यन के अनुसार भारतीय अर्थ व्यवस्था में काला धन सफ़ेद धन की तुलना में ५० से १०० गुना अधिक है I लोग बड़े पैमाने पर "फेरा ' का उल्लंघन कर रहें हैं और उन्हें सजा भुगतने का भी भय नहीं है , क्योंकि कानून बनाने वाले व कानून के संरक्षक उनके पीछे रहतें हैं I राजनेताओं और व्यापारियों के लिए काले धन को सफ़ेद करने व काली कमाई विदेशी बैंकों में जमा करने का यह सबसे उपयुक्त जरिया है I
क्या है अमेरिका की करेंसी मॉनीटरिंग लिस्ट जिसमें से हटाया गया है भारत को?
अमेरिका (US) के राजकोष विभाग की रिपोर्ट में जारी मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring List) में इस बार भारत (India) . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : November 15, 2022, 11:10 IST
हाइलाइट्स
मुद्रा निगरानी सूची हर छह महीने में जारी होती है.
भारत का इस सूची से हटना एक अच्छी खबर है.
इससे रुपये कीमत काबू करने में आसानी होगी.
इस समय दुनिया के सभी देश आर्थिक चुनौतियों से निपटने में उलझे हुए हैं. कोविड-19 महामारी के कमजोर पड़ने और रूस यूक्रेन संघर्ष के चलते दुनिया की अर्थव्यवस्था में अमेरिका (USA) और ब्रिटेन जैसे बड़े बड़े क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? देश तक डगमगाते दिख रहे हैं. ऐसे में अमेरिका के आर्थिक नीतिगत फैसलों पर दुनिया की निगाहें होना स्वाभाविक है. हाल ही में अमेरिका ने टेजरी विभाग ने मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring List) जारी की है जिसमें इस बार भारत का नाम नहीं (India) हैं. साल में दो बार अमेरिकी रोजकोष विभाग द्वारा वहां की संसद में पेश की जाने वाली रिपोर्ट में यह सूची जारी की जाती है. आखिर इस सूची में नाम होने का क्या मतलब है, उससे हटने के क्या फायदे-नुकसान है और क्या उसका कोई बहुत बड़ा प्रभाव भी पड़ेगा या नहीं.
क्या है इस सूची का मतलब
किसी देश के करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में शामिल होने का मतलब यह है कि वह देश कृत्रिम तरीके से अपने देश की मुद्रा की कीमत कम कर रहा है जिससे वह दूसरें की से गलत फायदा उठा सके. ऐसा इसलिए है क्योंकि मुद्रा का मूल्य कम होने से उस देश के लिए निर्यात की लागत कम हो जाएगी और उससे होने वाला मुनाफा बढ़ जाएगा. जबकि सामान खरीदने वाले दश को उतनी ही कीमत देनी पड़ेगी.
क्या यह इस रिपोर्ट का मकसद
अमेरिका का राजकोष विभाग हर छह क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? महीने में वैश्विक आर्थिक विकास और विदेशी विनियम दरों की समीक्षा पर निगरानी के आधार पर अपनी रिपोर्ट में इसकी चर्चा करता है. इसके साथ ही वह अमेरिकी के 20 सबसे क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? बड़े व्यापारिक व्यवसायी साझेदारों की मुद्रा संबंधी गतिविधियों की समीक्षा भी करता है. इस बार इस सूची में से भारत के अलावा इटली, मैक्सिको, वियतनाम और थाईलैंड को भी हटाया गया है.
इस सूची के जारी होने का समय
रोचक बात यह है कि इस रिपोर्ट को उसी दिन जारी किया गया है कि जब अमेरिका की राजकोष सचिव जेनट येलन भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बीच दिल्ली में मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करने पर जोर दिया था. यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब भारत जी20 देशों की अध्यक्षता संभालने जा रहा है.
इस सूची का संबंध मुद्रा नीति (Currency Policy) में अनुचित हेरफेर करने वाले देशों की पहचान करना है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
भारतीय रिजर्व बैंक को फायदा
इस सूची में नाम आने पर देश को मुद्रा में हेरफेर करने वाला देश माना जाता है जो अपने देश को अवैध तरीका से व्यापारिक फायदा पहुंचाने के लिए गलत मुद्रा तरीके अपनाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अब भारतीय रिजर्व बैंक को विनिमय दरों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की सहूलियत मिल सकेगी और भारत पर हेरफेर करने वाले देश का तमगा भी नहीं लगेगा.
बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था की साख
माना जा रहा है कि इससे रुपये को मजबूती हासिल करने में मदद मिल सकती है. बाजारों में इसका फायदा देखने को मिले विदेशी निवेशकों में भारत में निवेश करने के लिए विश्वास बढ़ेगा. और विश्व स्तर पर भारत की आर्थिक साख मजबूत होगी.इसके साथी जी 20 देशों की अध्यक्षता मिलने और सूची से नाम हटने दोनों से देश की अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा.
इस सूची का संबंध मुद्रा नीति (Currency Policy) में अनुचित हेरफेर करने वाले देशों की पहचान करना है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
तीन मानदडों का आधार
इस रिपोर्ट में बताया गया है मुद्रा निगरानी सूची में अभी चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यदि कोई देश इस सूची की तीन मानदंडों में से दो भी पूरा करता है तो उस देश को इस सूची में शामिल कर लिया जाता है. एक बार सूची में नाम आ जाने पर वह इसमें कम से कम लगातार दो रिपोर्ट तक शामिल रहता है.
अमेरिका के ट्रेड फैलिटेशन एंड ट्रेड एनफोर्समेंट एक्ट 2015 के अनुसार अगर कोई देश तीन मानदडों में से दो को भी पूरा करता है तो वह इस सूची में शामिल करने के योग्य हो जाता है. पहला, उस देश का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष कम से कम 15 अरब डॉलर का होना चाहिए. दूसरा, सामग्री चालू खाता अधिशेष जीडीपी का कम से कम 3 प्रतिशत हो, जिसका आंकलन राजकोष विभाग अपने वैश्विक विनिनय दर आंकलन ढांचे के तहत करे. तीसरा, एक साल में कम से कम 8 बार विदेशी मुद्रा की खरीदी में एक तरफा दखल हो और यह खरीद जीडीपी की कम से कम दो प्रतिशत हो. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इन तीन में से केवल की मानदंड पूरा करता है.
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प्राचीन भारतीय मुद्राओं का क्या इतिहास है और क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? इनकी वैल्यू कितनी होती थी?
फूटी कौड़ी (Footie Cowrie), धेला (Dhela), दमड़ी (Damri), पाई और पैसा ये भारतीय सिक्कों की ऐसी इकाइयाँ हैं जो कि बहुत पहले ही चलन से बाहर हो गयी हैं. वर्तमान पीढ़ी के बच्चों ने इन सिक्कों को शायद कभी नही देखा होगा. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने यह लेख प्रकशित किया है, जिसमें यह बताया गया है कि किस सिक्के की वैल्यू कितनी होती थी?
मनुष्य के बहुत से अविष्कारों में से एक है, रुपये या मुद्रा का अविष्कार. इस अकेले अविष्कार ने पूरी दुनिया का नक्सा ही बदल दिया है. रुपये के विकास ने ना केवल पूरी दुनिया में आर्थिक और सामाजिक तत्रों का विकास किया है बल्कि लोगों के जीने के तरीकों को ही बदल दिया है.
इसी मुद्रा को लेकर समाज में कई तरह की कहावतें भी प्रचलित हुईं हैं जैसे, सोलह आने सच, मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है, मेरा नौकर एक धेले का भी काम नहीं करता है और चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाये.
लेकिन क्या आजकल की पीढ़ी यह जानती है कि कौड़ी, दमड़ी, धेला, पाई और सोलह आने की वैल्यू कितनी होती थी? यदि नहीं तो आइये इस लेख में इसके बारे में पूरी जानकारी लेते हैं.
आइये जानते हैं कि रुपये का अविष्कार कैसे हुआ? (History of Indian Currency)
मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण में वस्तु विनिमय चलता था लेकिन बाद में लोगों की जरूरतें बढ़ी और वस्तु विनिमय से कठिनाइयाँ पैदा होने लगीं जिसके कारण कौड़ियों से व्यापार आरम्भ हुआ जो कि बाद में सिक्कों में बदल गया.
वर्तमान में जो रुपया चलता है दरअसल यह कई सालों के बाद रुपया बना है. सबसे पहले चलन में फूटी कौड़ी थी जो बाद में कौड़ी बनी. इसके बाद;
A. कौड़ी से दमड़ी बनी
B. दमड़ी से धेला बना
C. धेला से पाई बनी
D. पाई से पैसा बना
E. पैसे से आना बना
F. आना से रुपया बना और अब क्रेडिट कार्ड और बिटकॉइन का जमाना आ गया है.
प्राचीन मुद्रा की एक्सचेंज वैल्यू इस प्रकार थी;
256 दमड़ी =192 पाई=128 धेला =64 पैसा =16 आना =1 रुपया
अर्थात 256 दमड़ी की वैल्यू आज के एक रुपये के बराबर थी.
अन्य मुद्राओं की वैल्यू इस प्रकार है; (Exchange Value of Old Indian Currency)
I. 3 फूटी कौड़ी (Footie Cowrie) =1 कौड़ी
II.10 कौड़ी (Cowrie) =1 दमड़ी
III. 2 दमड़ी (Damri) =1 धेला
IV. 1.5 पाई (Pai) =1 धेला
V. 3 पाई =1 पैसा (पुराना)
VI. 4 पैसा =1 आना
VII.16 आना (Anna)=1 रुपया
VIII.1 रुपया =100 पैसा
इस प्रकार ऊपर दिए गये पुराने समय की मुद्राओं की वैल्यू से स्पष्ट है कि प्राचीन समय में मुद्रा की सबसे छोटी इकाई फूटी कौड़ी थी जबकि आज के समय में यह इकाई पैसा है.
भारत में कौन से सिक्के चलन से बाहर हो गये हैं?
भारतीय वित्त मंत्रालय ने 30 जून 2011 से बहुत ही कम वैल्यू के सिक्के जैसे 1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस लिए गए हैं अर्थात अब ये सिक्के भारत में वैध मुद्रा नहीं हैं. इसलिए कोई भी दुकानदार और बैंक वाला इन्हें लेने से मना कर सकता है और उसको सजा भी नहीं होगी.
नोट: ध्यान रहे कि भारत में 50 पैसे का सिक्का अभी वैध सिक्का है इस कारण बैंक, दुकानदार और पब्लिक उसको लेने से मना नहीं कर सकते हैं. यदि कोई 50 पैसे का सिक्का लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
उम्मीद है कि इस लेख में पढ़ने के बाद वर्तमान पीढ़ी के बहुत से बच्चे अब प्राचीन मुद्राओं को मुहावरों से हटकर भी पहचान सकेंगे.
चीन से ज्यादा भारत को होगा यूक्रेन युद्ध का नुकसानः आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि यूक्रेन में जारी युद्ध का आर्थिक नुकसान चीन को उतना नहीं होगा जितना भारत को होगा. प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस के व्यापार जारी रखने का संकेत दे चुका.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि यूक्रेन में जारी युद्ध का आर्थिक नुकसान चीन को उतना नहीं होगा जितना भारत को होगा. प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस के व्यापार जारी रखने का संकेत दे चुका है.अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि यूक्रेन युद्ध का चीन को फौरी आर्थिक नुकसान भारत को होने वाले नुकसान की तुलना में काफी कम होगा. आईएमएफ के कम्यूनिकेशन डायरेक्टर गेरी राइस ने मीडिया से बातचीत में गुरुवार को कहा, "ऐसी आशंका है कि यूक्रेन युद्ध भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालेगा. विभिन्न रास्तों से होने वाला यह नुकसान कोविड-19 के दौरान हुए क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? नुकसान से अलग होगा.” राइस ने कहा कि तेल की कीमतों में भारी वृद्धि व्यापक आर्थिक नुकसान को दिखाती है. उन्होंने कहा कि इससे महंगाई बढ़ेगी और देशों का घाटा भी. 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था जिसके बाद कच्चे तेल के दामों में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है.
निर्यात का फायदा होगा राइस ने संभावना जताई कि कुछ बातें भारत के पक्ष में जा सकती हैं. उन्होंने कहा, "गेहूं जैसी चीजों के निर्यात से भारत के आर्थिक घाटे में कुछ हद तक कमी हो सकती है.” रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक हैं लेकिन युद्धरत होने के कारण निर्यात नहीं कर पा रहे हैं.इसका फायदा भारत को हो रहा है जिसका गेहूं अंतरराष्ट्रीय खरीददारों के लिए विकल्प बन गया हैइसका फायदा भारत को हो रहा है जिसका गेहूं अंतरराष्ट्रीय खरीददारों के लिए विकल्प बन गया है. राइस ने कहा कि इस निर्यात का फायदा उतना नहीं होगा क्योंकि युद्ध का अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन की अर्थव्यवस्थाओं पर भी बुरा असर होगा और उनकी आयात क्षमता घट जाएगी. इससे भारत का निर्यात प्रभावित होगा. इसके अलावा सप्लाई चेन में आने वाली बाधाओं का असर भारत के आयात पर पड़ेगा और उसे महंगाई झेलनी होगी.
राइस ने कहा, "तंग होतीं वित्तीय स्थितियों और बढ़ती अनिश्चितता के कारण भी घरेलू मांग पर असर पड़ेगा और मौद्रिक हालात तंग होंगे क्योंकि लोगों का अर्थव्यवस्था में भरोसा कम रहेगा.” आईएमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर खासी अनिश्चितता जताई है. राइस ने पत्रकारों से कहा, "संक्षेप में मुझे लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर खासी अनिश्चितता है. मैं तो यही कहूंगा कि अनिश्चितता और बढ़ गई है और इस बात पर निर्भर करेगी कि कितना बड़ा धक्का लगता है और व्यापक आर्थिक स्तर पर उठाए जा रहे खतरों का फायदा पहुंचता है या नहीं. और बेशक, इस बात पर भी कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार क्या नीतियां अपनाती है.” चीन को नुकसान कम चीन के बारे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की आशंकाएं इतनी गंभीर नहीं हैं. राइस ने कहा कि यूक्रेन युद्ध का चीन पर इतना ज्यादा असर नहीं होगा.
उन्होंने कहा, "चीन पर इस संघर्ष का फौरी असर तुलनात्मक रूप से कम होगा. ऊंची तेल कीमतें घरेलू उपभोग को प्रभावित कर सकती हैं जिसका असर निवेश पर होगा लेकिन कीमतों की तय सीमा इस असर को कम कर देगी.” भारत की नजर सस्ते रूसी तेल पर उन्होंने कहा कि चीन का रूस को क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? निर्यात उसके कुल निर्यात का बहुत छोटा हिस्सा है लेकिन बाकी देशों पर होने वाले असर के नुकसान उसे झेलने पड़ सकते हैं. उन्होंने कहा, "उसके व्यापार साझीदारों पर होने वाले असर उसकी वृद्धि को धीमा कर सकते हैं. सप्लाई चेन में बाधाओं और वित्तीय बाजारों में बहुत ज्यादा उथल-पुथल होती है तो भी चीन प्रभावित हो सकता है.” अगले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं की संभावना बताने वाली रिपोर्ट जारी होनी है. राइस ने कहा कि इस रिपोर्ट में तस्वीर और ज्यादा स्पष्ट हो पाएगी रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी).
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