शॉर्ट टर्म, पोजीशनल और लॉन्ग टर्म के लिए जय ठक्कर के 3
बेहतरीन मिडकैप Picks
प्रत्याशित जोख़िम
सट्टा जोखिम जोखिम की एक श्रेणी है, जो जब किया जाता है, तो लाभ या हानि की अनिश्चित डिग्री का परिणाम होता है। विशेष रूप से, सट्टा जोखिम यह है कि निवेश की तुलना में संभावना मूल्य में सराहना नहीं करेगी। सट्टा जोखिमों को सचेत विकल्पों के रूप में किया जाता है और ये केवल बेकाबू परिस्थितियों का परिणाम नहीं होते हैं। चूंकि उच्च स्तर या जोखिम के बावजूद बड़े लाभ की संभावना है, सट्टा जोखिम एक शुद्ध जोखिम नहीं है, जो केवल नुकसान की संभावना और लाभ के लिए कोई संभावना नहीं है।
लगभग सभी निवेश गतिविधियों में कुछ हद तक सट्टा जोखिम होता है, क्योंकि एक निवेशक को यह पता नहीं होता है कि निवेश एक धमाकेदार सफलता होगी या पूरी तरह से असफल। कुछ संपत्तियाँ- जैसे कि एक विकल्प अनुबंध – जोखिमों के संयोजन से जुड़ा होता है, जिसमें सट्टा जोखिम भी शामिल है, जिसे हेज या सीमित किया जा सकता है ।
चाबी छीन लेना
- सट्टा जोखिम से तात्पर्य कीमत अनिश्चितता और निवेश में नुकसान की संभावना से है।
- सट्टा जोखिम मानते हुए आमतौर पर एक विकल्प का परिणाम है और न कि बेकाबू परिस्थितियों का।
- शुद्ध जोखिम, इसके विपरीत, नुकसान की संभावना है जहां किसी भी लाभ के लिए व्यवहार्य अवसर नहीं है।
- खेल सट्टेबाजी, शेयरों में निवेश और कबाड़ बॉन्ड खरीदना गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं जिनमें सट्टा जोखिम शामिल है।
सट्टा जोखिम को समझना
एक सट्टा निवेश वह है जहां मूल तत्व तत्काल शक्ति या एक स्थायी व्यापार मॉडल नहीं दिखाते हैं। इसके बजाय, व्यापारी को उम्मीद है कि अन्य कारणों से कीमत बढ़ सकती है, या भविष्य की संभावनाएं वर्तमान परिस्थितियों को दूर कर देंगी। इस तरह की सुरक्षा में उच्च स्टॉक किंग विकल्प क्या है? स्तर का संभावित उल्टा हो सकता है, लेकिन यह बहुत बड़ा जोखिम भी है। यह एक पैसा स्टॉक या एक उभरता हुआ बाजार स्टॉक हो सकता है जो व्यापारी भविष्य में बहुत अधिक अनुकूल बनने की उम्मीद करता है।
कुछ निवेश दूसरों की तुलना में अधिक सट्टा हैं। उदाहरण के लिए, सरकारी बॉन्ड में निवेश करने से रद्दी बांड में निवेश करने की तुलना में बहुत कम सट्टा जोखिम होता है क्योंकि सरकारी बॉन्ड में डिफ़ॉल्ट का जोखिम बहुत कम होता है। कई मामलों में, सट्टा जोखिम जितना अधिक होता है, निवेश पर लाभ या रिटर्न की संभावना अधिक होती है।
एक सट्टा जोखिम में लाभ या हानि का परिणाम है। इसमें जोखिम ग्रहण करने वाले व्यक्ति से इनपुट की आवश्यकता होती है और इसलिए यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है। उसी समय, सट्टा जोखिम का परिणाम अनुमानित करना कठिन होता है, क्योंकि लाभ या हानि की सही मात्रा अज्ञात है। इसके बजाय, स्टॉक खरीदते समय कंपनी के इतिहास और बाजार के रुझान जैसे विभिन्न कारक – लाभ या हानि की संभावना का अनुमान लगाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
सट्टा जोखिम बनाम शुद्ध जोखिम
सट्टा जोखिम के विपरीत, शुद्ध जोखिम में ऐसी परिस्थितियां शामिल होती हैं जहां एकमात्र परिणाम नुकसान होता है। आमतौर पर, इस प्रकार के जोखिम स्वैच्छिक रूप से नहीं लिए जाते हैं और इसके बजाय, अक्सर निवेशक के नियंत्रण से बाहर होते हैं। शुद्ध जोखिम का उपयोग आमतौर पर बीमा आवश्यकताओं के मूल्यांकन में किया जाता है । उदाहरण के लिए, क्या किसी व्यक्ति को दुर्घटना में कार को नुकसान पहुंचाना चाहिए, कोई भी मौका नहीं है कि इसका परिणाम एक लाभ होगा। चूंकि उस घटना के परिणाम में केवल नुकसान हो सकता है, इसलिए यह एक शुद्ध जोखिम है।
सट्टा जोखिम के उदाहरण
अधिकांश वित्तीय निवेश, जैसे स्टॉक की खरीद, सट्टा जोखिम शामिल है। शेयर मूल्य के लिए ऊपर जाना संभव है, जिसके परिणामस्वरूप लाभ होता है, या नीचे जाता है, जिसके परिणामस्वरूप नुकसान होता है। हालांकि डेटा किसी निश्चित परिणाम की संभावना के संबंध में कुछ मान्यताओं की अनुमति दे सकता है, परिणाम की गारंटी नहीं है।
सट्टे के जोखिम के रूप में खेल सट्टेबाजी भी योग्य है। यदि कोई व्यक्ति शर्त लगा रहा है कि कौन सी टीम फुटबॉल का खेल जीतेगी, तो इसका परिणाम लाभ या हानि हो सकता है, जिसके आधार पर टीम जीतती है। जबकि परिणाम समय से पहले नहीं जाना जा सकता है, यह ज्ञात है कि लाभ या हानि दोनों संभव हैं।
यदि आप एक कॉल विकल्प खरीदते हैं, तो आप पहले से जानते हैं कि विकल्प अनुबंध समाप्त होने पर आपका अधिकतम नकारात्मक जोखिम प्रीमियम का नुकसान है । उसी समय, आपको नहीं पता कि आपका संभावित उल्टा लाभ क्या होगा क्योंकि कोई भी भविष्य को नहीं जान सकता है।
दूसरी ओर, कॉल विकल्प को बेचना या लिखना प्रीमियम एकत्र करने के बदले में असीमित जोखिम होता है। हालांकि, सट्टा जोखिम के कुछ अन्य रणनीतियों के साथ बचाव किया जा सकता है, जैसे स्टॉक के शेयरों के मालिक या उच्च स्ट्राइक मूल्य के साथ कॉल विकल्प खरीदकर। अंत में, सट्टा जोखिम की मात्रा इस बात पर निर्भर करेगी कि विकल्प खरीदा गया है या बेचा गया है और यह हेज किया गया है या नहीं।
इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे
जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.
क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग
शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.
1. इंट्रा डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.
2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.
3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.
4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.
5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.
डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग
अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.
डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह स्टॉक किंग विकल्प क्या है? जरूर लें.
भारत के मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज की सूचीशेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ निवेशक कंपनियों द्वारा विभिन्न कंपनियों के शेयर, बांड और अन्य प्रतिभूतियों को ख़रीदा स्टॉक किंग विकल्प क्या है? और बेचा जाता हैं। शेयर बाजार अनेक सुविधा प्रदान कर सकता है जैसे, मुद्दे और प्रतिभूतियों के मोचन और अन्य वित्तीय साधनों और पूंजी की घटनाओं आय और लाभांश का भुगतान। सन् 1875 में स्थापित मुंबई का शेयर बाजार (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) एशिया का पहला शेयर बाजार है। स्टॉक मार्केट को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रबंधित और विनियमित किया जाता है।
भारत में सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं। इनमें दो बीएसई और एनएसई के राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज हैं। बाकी 21 रीजनल स्टॉक एक्सचेंज (RSE) हैं। सेबी द्वारा शुरू किए गए कड़े मानदंडों के कारण, देश में 20 आरएसई ने व्यापार से बाहर निकलने का विकल्प चुना। सेबी ने सुस्त कामकाज के कारण 09 जुलाई 2007 को सौराष्ट्र स्टॉक एक्सचेंज, राजकोट की मान्यता रद्द कर दी थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड :
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। सेबी के वर्तमान चेयरमैन अजय त्यागी है। सेबी की स्थापना भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 12 अप्रैल 1992 में गई थी। सेबी का मुख्यालय मुंबई में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के मुख्य कार्य:
सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है। सेबी को एक गैर वैधानिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया जिसे SEBI ACT1992 के अन्तर्गत वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इसके निर्धारित कार्य निम्नलिखित हैं:-
Midcap Stocks: ये 6 दमदार मिडकैप स्टॉक देंगे बंपर रिटर्न, अनिल सिंघवी के साथ लगाएं मुनाफे का दांव
मिडकैप शेयरों में घरेलू निवेशकों का आकर्षण हमेशा देखने को मिलता है. एक तो यहां निवेश के विकल्प भी ज्यादा होते हैं और बाजार की तेजी में ये आउटपरफॉर्म करते हैं.
मिडकैप शेयरों में रैली पिछले 1 साल से जारी है. इस दौरान इंडेक्स ने 70 फीसदी के करीब रिटर्न दिया है.
Best Midcap Stocks: मिडकैप शेयरों को लेकर निवेशकों का आकर्षण बना हुआ है. आज के कारोबार में बीएसई मिडकैप इंडेक्स ने 25435 स्टॉक किंग विकल्प क्या है? का नया हाई बनाया है. मिडकैप शेयरों में रैली पिछले 1 साल से जारी है. इस दौरान इंडेक्स ने 70 फीसदी के करीब रिटर्न दिया है. वैसे इस कटेगिरी में अभी भी कई शेयर ऐसे हैं जो आकर्षक वैल्युएशन पर हैं और मजबूत फंडामेंटल के चलते आगे शानदार तेजी दिखा सकते हैं. अगर आप भी कुछ ऐसे ही शेयरों (Best MidCap Stocks to Invest) की तलाश में हैं तो आज की लिस्ट तैयार है. ये मिडकैप स्टॉक शॉर्ट टर्म से लॉन्ग टर्म में आपको हाई रिटर्न दे सकते हैं. आज इन शेयरों की लिस्ट में Jubilant Pharmova, Anupam Rasayan, Laurus Labs, TCI Express, Sundaram Finance और Burger King शामिल हैं. जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी के साथ बात चीत में एनालिस्ट जय ठक्कर और अंरिश बलिगा ने अपनी पसंद के रूप में इन्हें चुना है.
अंबरिश बलिगा की पसंद
लॉन्ग टर्म: Jubilant Pharmova
अंबरिश बलिगा ने लॉन्ग टर्म के लिए Jubilant Pharmova में निवेश की सलाह दी है. शेयर के लिए उन्होंने 924 रुपये का टारगेट दिया है. यह एक फार्मा कंपनी है. रेडियो फार्मास्युटिकल्स बनाती है. 57 फीसदी रेवेन्यू फार्मा से आता है. कंपनी अपनी कैपेसिटी बढ़ा रही है.
पोजिशनल: Anupam Rasayan
पोजिशनल पिक के रूप में अंबरिश बलिगा ने Anupam Rasayan में निवेश की स्टॉक किंग विकल्प क्या है? सलाह दी है और शेयर के लिए लक्ष्य 900 रुपये रखा है. कंपनी स्पेशिएलिटी केमिकल बनाती है. कंपनी के पास 6 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं. आगे कंपनी डबल डिजिट ग्रोथ दिखा सकती है. कंपनी के कई प्रोडक्ट पाइपलाइन में हैं. कंपनी ने अपना कर्ज भी कम किया है.
शॉर्ट टर्म, पोजीशनल और लॉन्ग टर्म के लिए अंबरीश बलिगा के 3
बेहतरीन मिडकैप Picks
Short- Laurus Labs
Positional- Anupam Rasayan
शॉर्ट टर्म: Laurus Labs
शॉर्ट टर्म के लिए अंबरिश बलिगा ने Laurus Labs में निवेश की सलाह दी है और शेयर के लिए टारगेट 740 रुपये दिया है. कंपनी एपीआई बनाती है, इसके पास क्लाइंट बेस मजबूत है. आर्डरबुक भी बढ़ रही है और रेवेन्यू डबल होने की उम्मीद है.
जय ठक्कर की पसंद
लॉन्ग टर्म: TCI Express
जय ठक्कर ने लॉन्ग टर्म के लिए TCI Express में निवेश की सलाह दी है. शेयर के लिए उन्होंने 2350 रुपये का लक्ष्य दिया है. जबकि 1200 रुपये के भाव पर स्टॉप लॉस लगाने की सलाह दी है. कंनी करीबन डेट फ्री है और फंडामेंटल मजबूत हैं.
पोजिशनल: Sundaram Finance
पोजिशनल पिक के रूप में जय ठक्कर ने Sundaram Finance को चुना है. इसमें 3200 रुपये और 3500 रुपये का 2 टारगेट दिया है. कंपनी फाइनेंस बिजनेस में है जो आटो, कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट के लिए फाइनेंस करती है. आगे डिमांड बढ़ने का फायदा मिलेगा. कंसोलिडेशन के बाद अच्छी तेजी दिख रही है.
शॉर्ट टर्म, पोजीशनल और लॉन्ग टर्म के लिए जय ठक्कर के 3
बेहतरीन मिडकैप Picks
Short- Burger King
Positional- Sundaram Finance
शॉर्ट टर्म: Burger King
जय ठक्कर ने शॉर्ट टर्म के लिए Burger King में निवेश की सलाह दी है. इसमें 215 रुपये और 230 रुपये का 2 लक्ष्य दिया है. जबकि 144 रुपये पर स्टॉप लॉस लगाने की सलाह है.
आटे की कीमतों में उछाल, क्या गेहूं का कम है स्टॉक? आया सरकार का बयान
गेहूं की खुदरा कीमतों में पिछले साल से लेकर अब तक 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. भारत ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 45 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है. इसमें से 21 लाख टन गेहूं का निर्यात प्रतिबंध लगाने से पहले हुआ था. सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था.
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 20 सितंबर 2022,
- (अपडेटेड 20 सितंबर 2022, 11:30 AM IST)
देश में बढ़ती गेहूं की कीमतों (Wheat Price) पर काबू पाने के लिए सरकार ने मई के महीने में इसके निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था. अब सरकार गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि भारत में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक (Wheat Stock) है, लेकिन खुदरा कीमतों में उछाल सट्टा कारोबार के कारण है. उन्होंने जमाखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है. रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की 82वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) में संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि देश में गेहूं की कोई समस्या नहीं है.
कितनी बढ़ी गेहूं और आटे की कीमत?
गेहूं की खुदरा कीमतों में पिछले साल से लेकर अब तक 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. बीते साल गेहूं का रेट 26.01 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो पांच रुपये बढ़कर बढ़कर 31.02 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. इस अवधि में गेहूं के आटे की कीमतों में भी उछाल देखने को मिली है. आटे का रेट 18 फीसदी बढ़कर 36 रुपये प्रति किलोग्राम हो स्टॉक किंग विकल्प क्या है? गया है. एक साल पहले गेंहू के आटे की कीमत 29 रुपये के करीब थी. खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदामों में 2.4 करोड़ टन गेहूं उपलब्ध है.
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जमाखोरी को रोकने का विकल्प
गेहूं की बढ़ती कीमतों ने सरकार को न केवल इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर किया है, बल्कि गेहूं के कुछ बाइ-प्रोडक्ट के आउटबाउंड शिपमेंट को भी प्रतिबंधित किया है. पांडे ने कहा कि केंद्र के पास गेहूं के स्टॉक की जमाखोरी को रोकने के लिए विकल्प हैं. इससे व्यापारियों को अपने पास रखे स्टॉक का खुलासा करना अनिवार्य हो जाएगा. इसके अलावा खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं दोनों पर स्टॉक रखने की सीमा भी लागू हो जाएगी.
सट्टा कारोबार के कारण बढ़ी कीमतें
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय खाद्य निगम के पास 24 मिलियन टन गेहूं का भंडार उपलब्ध है. हालांकि, सचिव ने कहा कि सट्टा कारोबार के कारण कीमतों पर असर पड़ा है. सट्टेबाजों ने आगे कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद में गेहूं की जमाखोरी की है. उन्होंने कहा कि व्यापारी और सट्टेबाज बाजार में कम मात्रा में गेहूं की सप्लाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम अनाज को बाजार में लाने के लिए कदम उठाएंगे.
भारत ने कितना किया निर्यात
पांडे ने आगे कहा कि 2021-22 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के रबी सीजन में सरकार का गेहूं उत्पादन का अनुमान लगभग 105 मिलियन (10.5 करोड़ टन) टन है. वहीं, व्यापारियों को अनुमान है कि उत्पादन 9.5 करोड़ टन रहेगा. उन्होंने बताया कि भारत ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 45 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है. इसमें से 21 लाख टन गेहूं का निर्यात प्रतिबंध लगाने से पहले हुआ था. सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था. इस वित्तीय वर्ष के बाकी महीनों में निर्यात की कोई और गुंजाइश नहीं है. भारत ने पिछले साल 72 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था.
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